Arab Men Vs Anti Impotency Drugs: अरब की दुनिया (Arab World) में मिस्र (Egypt) का नाम पिरामिड्स (Pyramids) के बाद अब नपुंसकता (Anti-Impotency Drugs) दूर करने वाली दवाईयों के लिए मशहूर हो रहा है. एक अध्ययन में पाया गया है कि मिस्र के पुरुष नपुसंकता दूर करने वाली दवाईयों की खपत करने में अरबी दुनिया में सबसे आगे हैं. आलम ये है कि यहां इन दवाओं की खपत आबादी में अपने से पांच गुना बड़े देश रूस से भी 10 गुना अधिक है. आखिर क्यों अरब के पुरुष नपुंसकता की दवाईयों पर इस कदर निर्भर होते जा रहे हैं ? ये वहां की पूर्व प्रचलित संस्कृति का प्रभाव है या फिर कुछ और ! यहां हम यही जानने की कोशिश करेंगे. 


जादुई मिश्रण यानी नपुंसकता दूर करने की दवा


काहिरा (Cairo) के मध्य में बाब अल-शरिया  (Bab al-Shaaria) जैसे ऐतिहासिक इलाके में दवा की दुकान चलाने वाले औषधिविद (Herbalist) रबिया अल-हबाशी (Rabea al-Habashi) बताते हैं कि वह नपुसंकता दूर करने वाले अपने मिश्रण को  "जादुई मिश्रण" कहते हैं. उन्होंने  मिस्र की राजधानी काहिरा में कामोद्दीपक और प्राकृतिक यौन संवर्द्धन बेचने के लिए नाम कमाया है. वह कहते हैं बीते कुछ वर्षों से वो देख रहे हैं कि उनके ग्राहकों की चाहत में बदलाव आ रहा है. उन्होंने बीबीसी को बताया कि अधिकांश पुरुष अब पश्चिमी कंपनियों (Western companies) की बनाई नीली गोली के दीवाने बन रहे हैं. इस बात को कई तरह के अध्ययन भी सही साबित करते हैं. इन अध्ययनों में पाया गया है कि अरब के युवा मर्द व्यावसायिक रूप से वियाग्रा (Viagra) के तौर जानी जाने वाली सिल्डेनाफिल (Sildenafil) वॉर्डनफिल लेविट्रा, स्टैक्सिन (Vardenafil -Levitra, Staxyn)  और तडालाफिल सियालिस (Tadalafil -Cialis) जैसी दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. 


अरबी मर्दों नपुंसकता की दवा न बाबा न!


सभी सबूतों के बाद भी मिस्र और बहरीन (Bahrain) की सड़कों पर अधिकांश युवा पुरुष आश्चर्यजनक तरीके से स्तंभन परेशानियों (Erectile Problems) के लिए दवा का इस्तेमाल करने या उनके बारे में जानने से भी साफ इंकार करते हैं.  कुछ ने तो इस मुद्दे के बारे में बात करने से भी गुरेज किया, क्योंकि उन्होंने इसे "समाज की नैतिकता के विपरीत" समझा. दरअसल साल 2012 के एक अध्ययन के मुताबिक मिस्र अरब दुनिया में प्रति व्यक्ति नपुंसकता विरोधी दवाओं का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता था. जबकि सऊदी अरब (Saudi Arabia) इस सूची में सबसे ऊपर है.


अखबार भी देते हैं गवाही 


सऊदी अखबार ( Saudi newspaper) अल-रियाद (Al-Riyadh) के एक अनुमान के मुताबिक सउदी ने यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली गोलियों (Sexual Enhancement Pills) पर सालाना 1.5 बिलियन डॉलर खर्च किए थे. सऊदी अरब की खपत रूस की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक थी, जबकि आबादी के मामले में रूस इससे पांच गुना अधिक बड़ा है. हाल ही में, अरब जर्नल ऑफ यूरोलॉजी (Arab Journal of Urology)के एक अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि 40 फीसदी युवा सऊदी पुरुष प्रतिभागियों ने अपने जीवन में किसी न किसी वक्त वियाग्रा जैसी दवा का इस्तेमाल किया था. मिस्र (Egypt)अभी भी इस मामले में टॉप पर है. अगर साल 2021 के राज्य के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो वहां नपुंसकता-रोधी दवाओं की बिक्री लगभग 127 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष है, जो पूरे मिस्र के फार्मास्यूटिकल्स बाजार के 2.8 फीसदी के बराबर है. 


नपुसंकता की दवाई चॉकलेट बार में


साल 2014 में मिस्र के किराने की दुकानों में अल-फंकौश (Al-Fankoush) नाम की एक नपुंसकता विरोधी दवा चॉकलेट बार के रूप में दिखाई दी. अल-फंकौश को एक मिस्री पाउंड 0.04 आज की विनियम दर (Exchange Rate) पर ही बेचा गया था. इसके बाजार में आने के कुछ ही दिन में लोकल मीडिया की रिपोर्ट के बाद इसकी बिक्री रोक दी गई थी और इसे बनाने वालों को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था. लोकल मीडिया ने इसे बच्चों को बेचने की खबर प्रकाशित की थी. युवा पुरुषों की तुलना में बुजुर्गों में नपुंसकता विरोधी दवाओं का इस्तेमाल अधिक देखा गया.  हालांकि यमन (Yemen) के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों कुछ और ही बयां करते हैं. इनके मुताबिक अधिकांश 20 से 45 साल की आयु के पुरुषों में इन दवाईयों का इस्तेमाल अधिक देखा गया है.


गृहयुद्ध ने बढ़ाया वियाग्रा का इस्तेमाल


लोकल रिपोर्ट्स की माने तो साल 2015 में विद्रोही हूती आंदोलन (Houthi Movement)और सऊदी समर्थित सरकार के बीच गृह युद्ध (Civil War ) की शुरुआत के बाद से मनोरंजक पार्टी ड्रग्स (Recreational Party Drugs) के रूप में वियाग्रा और सियालिस (Cialis) इस्तेमाल युवा पुरुषों के बीच आम हो चुका है. यूरोलॉजी और प्रजनन सर्जरी (Urology and Reproductive Surgery) के ट्यूनीशियाई (Tunisian ) प्रोफेसर मोहम्मद सफ़क्सी (Mohamed Sfaxi) ने बीबीसी को बताया कि ऐसी दवाएं "उत्तेजक नहीं" थीं और ज्यादातर मामलों में बुजुर्गों पर प्रभाव डालने वाली स्थितियों के इलाज के लिए थीं. 


प्रचलित संस्कृति है भी अरबी पुरुषों की नपुंसकता की दवा की वजह


इस बीच, मध्य पूर्व (Middle East ) में कामुकता के एक विशेषज्ञ का सुझाव है कि प्रचलित संस्कृति के कारण युवा अरब पुरुष नपुंसकता के खिलाफ गोलियों की ओर रुख कर रहे हैं. मिस्र-ब्रिटिश पत्रकार और सेक्स एंड द सिटाडेल: इंटिमेट लाइफ इन ए चेंजिंग (Sex and the Citadel: Intimate Life in a Changing Arab World.)अरब वर्ल्ड के लेखक शेरेन एल फ़ेकी ( Shereen El Feki) बताते हैं, "इसकी वजह एक ऐसा बड़ा मुद्दा हो सकता है जिसका सामना युवा अरब पुरुष कर रहे हैं." मध्य पूर्व में लैंगिक समानता (Gender Equality) पर संयुक्त राष्ट्र (UN) समर्थित 2017 के एक प्रमुख सर्वेक्षण के नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए एल फेकी (El Feki) बताती हैं: " सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लगभग सभी पुरुष भविष्य को लेकर डरे हुए देखे गए कि वह अपने परिवार के लिए कैसे सबकुछ कर पाएंगे. लगभग सभी पुरुषों पर महिलाओं की नजर (यौन संबंधों को लेकर) में खुद को पुरुष साबित करने का भारी दबाव था- महिलाओं की व्यख्या के मुताबिक कैसे पुरुष अब पुरुष नहीं हैं." वह बताती हैं कि अरब की प्रचलित संस्कृति में एक पुरुष का होने का मतलब दबाव में होना है. यहां की संस्कृति का ताना-बाना यौन शक्ति को मर्दानगी से जोड़कर देखता है, इसलिए यहां पुरुष अपने यौन प्रदर्शन को लेकर अधिक तनाव में होते हैं" शेरेन एल फ़ेकी मानती है कि इस गलत धारणा के पीछे पोर्नोग्राफ़ी (Pornography) भी जवाबदेह है. इससे पौरुष को लेकर युवा पुरुषों की धारणाएं गलत तरीके से प्रभावित होती हैं. 


ऐतिहासिक धारणाएं भी जवाबदेह


भले ही अरब समाजों में यौन जरूरतों के लिए दवाओं के इस्तेमाल को एक आधुनिक फनॉमिनन (Phenomenon ) माना जा सकता है, लेकिन पूरे अरब इतिहास में कामोद्दीपक (Aphrodisiacs) की खपत इसकी लोकप्रिय संस्कृति का वजूद रहा है. 14 वीं शताब्दी के एक अहम इस्लामी विद्वान और लेखक इब्न कय्यम अल-जौज़िया (Ibn Qayyim al-Jawziyya) ने अपनी बुक सीरीज प्रोविजन्स फॉर द हियरआफ्टर ( Provisions for the Hereafter ) में यौन इच्छा बढ़ाने वाली हर्बल रेसिपीज के कलेक्शन हैं. शेरेन एल फ़ेकी का सुझाव है कि अरबी परंपरा और इस्लामी विरासत में "महिलाओं को ऐतिहासिक रूप से पुरुषों की तुलना में अधिक शक्तिशाली और बढ़ी यौन इच्छा (Sexual Drive) होने वाली के तौर पर देखा जाता है", जबकि पुरुषों को "अपने यौन प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए सुधार" की जरूरत महसूस होती है. यह आईडिया ऑटोमन साम्राज्य (Ottoman Empire) में अधिक देखा गया है, जब लेखक अहमद बिन सुलेमान (Ahmed bin Suleiman) ने 1512 से 1520 तक शासन करने वाले सुल्तान सलीम प्रथम के कहने पर शेख की रिटर्न टू यूथ ( Sheikh's Return To Youth) किताब लिखी थी. ये किताब यौन उपचार के लिए दवाओं और हर्बल व्यंजनों का एक विश्वकोश (Encyclopaedia) थी. पुरुष और महिला यौन इच्छाओं को उत्तेजित करने पर लिखी गई थी. सैकड़ों साल बाद भी कई युवा अरब पुरुष उपचार की इस किताब में दिए गए घरेलू उपचारों की तरफ ओर रुख कर रहे हैं, और इसका बाजार आज भी जीवंत है. 


ये भी पढ़ेंः


नीरव मोदी के करीबी को काहिरा से भारत लेकर आई CBI, जारी था रेड कॉर्नर नोटिस


मुंबई के बाजारों में इजिप्ट का इम्पोर्टेड प्याज नहीं आ रहा लोगों को रास