क्या जून महीने में खत्म हो जाएगी कोरोना की दहशत और पटरी पर लौट आएगा जनजीवन?
क्या कोरोना कभी खत्म नहीं होगा, क्या कोरोना की कोई दवा नहीं आएगी, क्या इससे बचाव के लिए कोई वैक्सीन नहीं बन पाएगी, ये सब ऐसे सवाल हैं, जो पूरी दुनिया के जेहन में हैं. जेहन में एक और बात है. और वो ये है कि उनके पास जितने भी ये सवाल हैं, उन सबका जवाब ना में है.
कोरोना की वजह से देश में अब भी लॉकडाउन का चौथा चरण चल रहा है. लेकिन इस चौथे चरण में पहले तीन लॉकडाउन की अपेक्षा कुछ राहतें मिली हैं. और ये तब हैं जब कोरोना के केस एक लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं. तो क्या अब हम इस बात को लेकर तैयार हैं कि कोरोना कभी खत्म नहीं होगा और हमें इसके साथ ही जीना सीखना होगा. ये सवाल इसलिए है कि जब देश में पहली बार 24 मार्च को लॉकडाउन लगा था तो कोरोना के कुल केस 600 से भी कम थे. खूब सख्ती बरती गई. कहा गया कि 21 दिनों के लिए घर से बाहर न निकलें. लोगों ने इसे फॉलो भी किया. जिसने नहीं किया, पुलिस ने जबरन उनसे नियम फॉलो करवाया.
अभी पहला लॉकडाउन खत्म होता, उससे पहले ही दूसरे लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई. इस बार 21 की बजाय 19 दिनों का लॉकडाउन था. फिर 14 दिनों का तीसरा लॉकडाउन और फिर 14 दिनों का चौथा लॉकडाउन. चार बार लॉकडाउन की घोषणा हुई लेकिन भारत में कोरोना के संक्रमण का आंकड़ा एक लाख को पार कर गया. इस दौरान सरकार की ओर से मज़दूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गईं. खास लोगों के लिए एसी स्पेशल ट्रेन चलीं. विदेश में फंसे लोगों को भारत लाया गया.
और अब रुटीन फ्लाइट सेवाओं के साथ ही नॉन एसी ट्रेन शुरू करने की घोषणा हो चुकी है. कुछ बंदिशों के साथ दफ्तर खुल रहे हैं, कंपनियां खुल रही हैं, बाजार खुल रहे हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू किए जा रहे हैं. ये सब तब हो रहा है, जब मई का महीना आधे से ज्यादा बीत चुका है और कोरोना के केस में होने वाली बढ़ोतरी ने रफ्तार पकड़ रखी है. लेकिन सरकार जैसे-जैसे लॉकडाउन के नियमों में ढील देती जा रही है, उससे बहुत हद तक इस बात की संभावना है कि 1 जून से लॉकडाउन का पांचवा चरण नहीं होगा और अब जनजीवन पटरी पर लौट आएगा.
हालांकि अब भी उम्मीद है कि स्कूल-कॉलेज जून के महीने में नहीं खुलेंगे, पब्लिक प्लेस पर भीड़ को इकट्ठा होने से रोका जाएगा, स्टेडियम को दर्शकों के लिए नहीं खोला जाएगा. इन सबके लिए धीरे-धीरे तैयारी की जाएगी. लेकिन कुछ चीजे हैं, जो शायद ही कभी खत्म होंगी. अब सोशल डिस्टेंसिंग हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएगा. मुंह पर बिना मास्क लगाए हम शायद ही कभी बाहर निकल पाएंगे.
इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे कि रेलवे, बस और फ्लाइट्स से चलने के नियम पूरी तरह से बदल जाएंगे. अभी तक आप अपने दफ्तर जाते थे या फिर रेलवे स्टेशन और एयर पोर्ट जाते थे तो मेटल डिटेक्टर के जरिए चेकिंग होती थी. लेकिन अब भविष्य में इस चेकिंग के अलावा हो सकता है कि आपकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की जाए. इसके अलावा हो सकता है कि शादियों और बड़े-बड़े आयोजनों पर भी कोरोना अपना स्थाई असर छोड़ जाएगा, जहां मेहमानों की संख्या को सीमित किया जा सकता है.
कुल मिलाकर कोरोना ने दुनिया के सामने एक नया टाइम फ्रेम तय कर दिया है. अभी तक दुनिया का इतिहास ईसा पूर्व और ईस्वी सन में बंटा है. लेकिन अब हो सकता है कि जब भी नए सिरे से दुनिया का इतिहास लिखा जाएगा, इतिहास का टाइम फ्रेम प्री कोरोना और पोस्ट कोरोना होगा. और ये इसलिए होगा, क्योंकि कोरोना की वजह से दुनिया में इतनी चीजें बदल गई हैं कि अब वो न्यू नॉर्मल में शुमार हो गई हैं और उनका न होना कि आपको अटपटा लग सकता है.
हो सकता है अगर कोई शख्स आपसे तीन फीट से कम की दूरी पर खड़ा हो तो आप असहज महसूस करने लगेंगे. हो सकता है कि अगर किसी ने मुंह पर मास्क न लगाया हो तो आप उससे दूर भागेंगे. हो सकता है कि अगर किसी ने हाथ में बिना सैनेटाइजर के आपके किसी सामान को छू दिया तो आप खुद के सामान को हाथ लगाने से बचेंगे. कुल मिलाकर ऐसी कई बातें अब आपके जीवन का हिस्सा बन जाएंगी, जिसे कभी आश्चर्यजनक तरीके से देखा जाता था.