दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछले करीब 10 दिनों से धरने पर बैठे पहलवानों की बीती रात दिल्ली पुलिस से जमकर झड़प हुई. इस झड़प के दौरान कुछ पहलवान घायल भी हुए और रातभर हंगामा चलता रहा. हालांकि अब तक ये धरना-प्रदर्शन काफी शांतिपूर्वक चल रहा था, पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और उनकी गिरफ्तारी की मांग करने लगे. इस बीच दिल्ली पुलिस पर भी जमकर आरोप लगे, लेकिन 3 मई की रात जो कुछ हुआ उसने अब इस धरना-प्रदर्शन को नया रूप दे दिया है. देश को मेडल दिलाने वाले पहलवानों ने रोते हुए अपने राज्य हरियाणा के लोगों से जंतर-मंतर पर इकट्ठा होने की अपील की है. जिसके बाद अब किसान आंदोलन समेत उन तमाम आंदोलनों की यादें ताजा हो गईं, जो पुलिस कार्रवाई के बाद भड़क उठे थे.
बीजेपी सांसद के खिलाफ प्रदर्शन
किसान आंदोलन का जिक्र करें, उससे पहले आपको बताते हैं कि जंतर-मंतर पर आखिर क्या-क्या हुआ और पहलवानों ने क्या कहा. करीब चार महीने बाद एक बार फिर हरियाणा के पहलवान जंतर-मंतर पहुंचे और उन्होंने कहा कि जिस कमेटी ने जांच की उसकी रिपोर्ट उन्हें नहीं सौंपी जा रही है. ये जांच बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन उत्पीड़न और घोटाले के आरोपों की थी. पहलवानों ने कहा कि कमेटी ने उनके साथ इंसाफ नहीं किया और वो अपने इंसाफ की लड़ाई लड़ने आए हैं. इसके बाद तमाम विपक्षी नेता पहलवानों से मिलने जंतर-मंतर पहुंचे.
दिल्ली पुलिस पर लगे आरोप
बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगातार आरोप लगते रहे और कई महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप उन पर लगाए. करीब 7 महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस में इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कई दिनों तक एफआईआर ही दर्ज नहीं की गई. दिल्ली पुलिस हर बार कहती रही कि वो आरोपों की जांच कर रही है, जिसके बाद ही मामला दर्ज किया जाएगा. इसके बाद पहलवानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने से ठीक पहले दिल्ली पुलिस की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है. जिसके बाद आखिरकार पुलिस ने आरोपी सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
बृजभूषण के अजीबो-गरीब बयान
एक तरफ पहलवान जंतर-मंतर पर बैठकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ बृजभूषण सिंह कविता गा रहे थे. इसके बाद जब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने की बात हुई तो उन्होंने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा. इसके बाद बृजभूषण ने शिलाजीत वाला बयान दिया. उन्होंने कहा कि मुझ पर सैकड़ों लड़कियों के यौन शोषण के आरोप हैं, क्या मैं शिलाजीत वाली रोटियां खाता हूं? इसके बाद जब उनसे इस्तीफे को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो इस्तीफा नहीं देंगे, क्योंकि वो बेकसूर हैं... हां अगर पीएम मोदी उनसे ऐसा करने को कहते हैं तो वो इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद कई वीडियो ऐसे भी आए, जिसमें बृजभूषण भड़कते हुए नजर आए.
जंतर-मंतर पर क्यों हुआ बवाल?
अब बीती रात यानी 3 मई की रात को जो कुछ बवाल हुआ उस पर आते हैं. आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती धरने पर बैठे पहलवानों के लिए फोल्डिंग खाट लेकर जंतर-मंतर पहुंचे, जहां पुलिस ने उन्हें रोक लिया. देखते ही देखते मामला बढ़ता गया और बहस शुरू हो गई, इस बहस में पहलवान भी शामिल हो गए. पुलिस ने सोमनाथ भारती को हिरासत में ले लिया, जिसके बाद उनके समर्थक भी वहां जुट गए. पहलवानों के साथ पुलिस की जमकर झड़प हुई और कुछ पहलवानों को चोट आई. जिसमें विनेश फोगाट के चचेरे भाई दुष्यंत फोगाट के सिर पर भी चोट लगी. महिला पहलवानों ने आरोप लगाया कि इस दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने शराब के नशे में उनसे बदसलूकी की.
पहलवानों ने हरियाणा के किसानों से की अपील
जंतर-मंतर पर पुलिस कार्रवाई के बाद अब पहवानों ने अपना प्रदर्शन तेज करने के संकेत दे दिए हैं. हर बार की तरह इस बार भी पुलिस एक्शन के बाद ये आंदोलन और ज्यादा बढ़ सकता है. क्योंकि सोशल मीडिया पर लगातार पहलवानों की रोती-बिलखती तस्वीरें और वीडियो वायरल होने लगे हैं, ऐसे में ये एक बड़े आंदोलन को खड़ा कर सकते हैं. खुद पहलवानों की तरफ से भी इसकी अपील की जा रही है. पहलवानों ने किसानों को बड़ी संख्या में आने की अपील की है.
पुलिस के साथ झड़प के बाद पहलवान बजरंग पूनिया की तरफ से हरियाणा और अन्य राज्यों के लोगों से अपील की गई. उन्होंने कहा, अब दिल्ली पुलिस की मनमानी नहीं चलेगी, "हम इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैं सभी किसानों से गुरुवार सुबह तक दिल्ली आने की अपील करता हूं. ट्रैक्टर, ट्रॉली जो कुछ मिलता है उसे लेकर लोग यहां पहुंचें. अब नहीं तो कब? ये अब हमारी बेटियों की गरिमा का सवाल है."
दिल्ली पुलिस हुई सतर्क
पहलवानों की अपील को देखते हुए अब दिल्ली पुलिस भी सतर्क हो गई है. जंतर-मंतर पर भारी पुलिसबल को तैनात किया गया है. हालांकि पुलिस की तरफ से कहा गया है कि किसी को भी पहलवानों से मिलने से नहीं रोका जा रहा है. बताया जा रहा है कि हरियाणा और आसपास के इलाकों से कई किसान और महिलाएं दिल्ली पहुंच सकती हैं, जिसे लेकर पुलिस भी तैयारी कर रही है. फिलहाल धरना स्थल के पास धारा-144 लगा दी गई है.
किसान आंदोलन की तरह भड़क सकती है चिंगारी
जंतर-मंतर पर जहां पिछले करीब 10 दिनों से काफी कम संख्या में पहलवान और बाकी लोग प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं अब पुलिस एक्शन ने इस चिंगारी को भड़काने का काम कर दिया है. पुलिस कार्रवाई के बाद तमाम विपक्षी दलों ने भी पहलवानों के समर्थन में ट्वीट किए हैं. आरएलडी चीफ जयंत चौधरी भी जंतर-मंतर पहुंचे, जहां उन्होंने पहलवानों से मुलाकात की. उनके साथ कई किसान भी यहां पहुंचे. बताया जा रहा है कि दिल्ली की सीमाओं पर भी कुछ लोग जुट रहे हैं.
दिल्ली में हुए किसान आंदोलन में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, नवंबर 2020 में दिल्ली में तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन शुरू हुआ, लेकिन कुछ महीनों बाद जब आंदोलन कमजोर पड़ने लगा तो कुछ लोगों ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की. पूरा माहौल बनाया गया और कहा गया कि आंदोलन की जड़ें उखड़ गई हैं. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में पुलिसबल भी तैनात किया गया था, जिसे किसानों के आंदोलन को खत्म करने की तरफ एक कदम बताया गया.
किसानों से मारपीट के बाद मजबूत हुआ आंदोलन
28 जनवरी 2021 को कुछ बीजेपी नेता किसानों के प्रदर्शन स्थल पहुंचे और उनके साथ जमकर झड़प हुई. कुछ किसानों के साथ मारपीट भी हुई. भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत इससे दुखी होकर रो पड़े, जो किसान आंदोलन का टर्निंग प्वाइंट बन गया. अपने नेता की आंखों में आंसू देख किसान भड़क गए और देखते ही देखते खाली होता प्रदर्शन स्थल फिर से भर गया. हजारों की संख्या में किसान गाजीपुर में जुटे और दोगुनी ताकत से किसान आंदोलन फिर खड़ा हो गया. नतीजा ये हुआ कि सरकार को घुटने टेकने पड़े और कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा.
अब हरियाणा और देश का नाम रोशन करने वाले पहलवानों ने भी खुद के साथ मारपीट के आरोप लगाए हैं, पहलवानों की आंखों में भी आंसू हैं. ऐसे में इन आंसुओं का दर्द कितना गहरा होता है, ये देखना होगा. टिकैत के आंसुओं की तरह ये भी दिल्ली में एक बड़े आंदोलन को जन्म दे सकते हैं. अगर पुलिस और सरकार ने बीजेपी सांसद के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो प्रदर्शन से उठी इस चिंगारी को आंदोलन में बदलने में देर नहीं लगेगी.