बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों के नमाज़ अदा करने का वीडियो फ़र्ज़ी सांप्रदायिक दावे से वायरल
जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि वायरल वीडियो वास्तव में जुलाई 16, 2024 को ढाका में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान नमाज़ अदा कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों का है, न कि हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन का.
फैक्ट चैक
निर्णय [असत्य]यह वीडियो हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का नहीं, बल्कि जुलाई 16, 2024 को ढाका में विरोध प्रदर्शन के दौरान नमाज़ अदा कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों का है. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो ख़ूब शेयर किया जा रहा है जिसमें लोग सड़क पर सामूहिक नमाज़ अदा करते नज़र आ रहे हैं. साथ ही कुछ लोग लाठी-डंडे लेकर उनके इर्द-गिर्द खड़े भी दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में दावा किया गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं को बंधक बनाकर उन्हें जबरन इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, "बांग्लादेश में हिंदुओं को बंधक बनाकर इस्लाम कबूल करवाते हुए जिहादी." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. इसी तरह, एक फ़ेसबुक यूज़र ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, "जिहादियों ने बांग्लादेश में बहन-बेटियों से बलात्कार किया, उन्हें बंधक बनाया, और पुरूषों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया!" पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें. यह वीडियो यूट्यूब पर भी शेयर किया गया है.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों और उसके बाद शेख़ हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़े के बाद बांग्लादेश में अशांति और हिंसा का माहौल है. हालांकि, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद अब स्थिति बदलने की उम्मीद जताई जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, अगस्त 5 को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में सैकड़ों हिंदू अपने घरों और व्यवसायों पर हुए हमलों में घायल हुए हैं. इस बीच, बांग्लादेश में हिदुओं के ख़िलाफ़ हिंसा दिखाने के दावे के साथ कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
हालांकि, वायरल वीडियो का दावा ग़लत है. वीडियो में हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित होते नहीं दिखाया गया, बल्कि जुलाई 16, 2024 को आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान ढाका, बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्रों को ज़ोहर की नमाज़ अदा करते हुए दिखाया गया है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यह वीडियो सोमॉय टीवी बुलेटिन (आर्काइव यहां) के यूट्यूब चैनल पर मिला जिसे जुलाई 16, 2024 को अपलोड किया गया था. वीडियो के शीर्षक में बताया गया है कि प्रदर्शनकारी छात्र बांग्लादेश के ढाका के बसुंधरा में अपनी ज़ोहर (मुस्लिमों द्वारा अदा की जाने वाली पांच दैनिक नमाज़ों में से एक) की नमाज़ अदा कर रहे थे.
सोमॉय टीवी बुलेटिन के वीडियो का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: सोमॉय टीवी बुलेटिन/स्क्रीनशॉट)
इसी तरह के वीडियो यहां (आर्काइव यहां) और यहां (आर्काइव यहां) देखे जा सकते हैं, जिनमें बताया गया है कि आरक्षण आंदोलन के दौरान छात्र जोहर की नमाज अदा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इससे यह पुष्टि होती है कि वायरल वीडियो हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने और अगस्त 5 को देश छोड़ने से पहले का है.
जुलाई 16, 2024 को प्रकाशित सोमॉय न्यूज़ की रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी ढाका के बसुंधरा गेट के सामने सड़क जाम कर कई निजी यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रदर्शन किया. एक घंटे तक चले इस प्रदर्शन के दौरान जब ज़ोहर की नमाज़ का समय हुआ तो छात्र कतार में खड़े होकर नमाज़ अदा करने लगे. पास में खड़े बाकि छात्र नारेबाजी और प्रदर्शन जारी रखे हुए थे. रिपोर्ट में प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा नमाज़ अदा करने की तस्वीर भी है, जो वायरल वीडियो के दृश्यों से मेल खाती है.
सोमॉय न्यूज़ रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: सोमॉय न्यूज़/स्क्रीनशॉट)
ढाका प्रेस और बांग्लादेश मोमेंट्स की जुलाई 16, 2024 की रिपोर्ट से भी पुष्टि होती है कि वीडियो में प्रदर्शनकारी छात्र ज़ोहर की नमाज़ अदा करते दिख रहे हैं.
बांग्लादेश में मौजूदा अशांति
कई दिनों की हिंसा के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने अगस्त 8, 2024 को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली.
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना सार्वजनिक सेवा में कोटा प्रणाली को लेकर जून 2024 में शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच अगस्त 5 को बांग्लादेश से भाग गईं. विरोध प्रदर्शन सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया, जिसके परिणामस्वरूप अगस्त 6 तक कम से कम 440 लोगों की मौत हो हो चुकी है.
लॉजिकली फ़ैक्ट्स बांग्लादेश हिंसा के बारे में ग़लत सूचनाओं का सक्रिय रूप से खंडन कर रहा है. आप हमारे फ़ैक्ट-चेक यहां पढ़ सकते हैं.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि वायरल वीडियो वास्तव में जुलाई 16, 2024 को ढाका में आरक्षण विरोधी प्रदर्शन के दौरान नमाज़ अदा कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों का है, न कि हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन का.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.