लेबनान में नसरुल्लाह की हत्या के बाद शिया-सुन्नी दंगो का ये वीडियो नहीं है
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयशा बक्कर इलाके में स्थानीय लोगों ने हिज़्बुल्लाह और अमल के सैकड़ों युवकों का विरोध किया, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं. तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए सेना और सुरक्षाकर्मियों को हस्तक्षेप करना पड़ा.
फैक्ट चेक
निर्णय असत्ययह वीडियो 2018 का है, जिसमें लेबनान की राजधानी बेरूत में संसदीय चुनाव नतीजों के बाद हिज़्बुल्लाह समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष दिखाया गया है. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें सड़क पर दो समूहों के बीच झड़प हो रही है. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद लेबनान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दंगे शुरू हो गए हैं. वहीं, कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स ने वीडियो को पेरिस का बताकर शेयर किया है.
गौरतलब है कि सितंबर 28 को इज़राइल ने लेबनान के बेरूत में एयर स्ट्राइक के ज़रिये हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह को मार गिराने का दावा किया था, जिसकी पुष्टि ने हिज़्बुल्लाह ने टेलीग्राम पर एक बयान के ज़रिये की.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जितेन्द्र प्रताप सिंह, जो अक्सर फ़ेक न्यूज़ फ़ैलाने के लिए जाना जाता है, ने वीडियो पोस्ट कर कैप्शन दिया, “"लेबनान में शिया सुन्नी दंगा शुरू हो गया. सुन्नी मुसलमान अब शिया मुसलमानो को जो हिज्बबुलाह के समर्थक है उनको मार मार कर अपने इलाके से भगा रहे हैं." इस पोस्ट को अब तक 366,000 व्यूज़, 3500 रीपोस्ट और 10,000 से ज़्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.
इस वीडियो को पेरिस का बताकर शेयर करने वाले पोस्ट्स के आर्काइव वर्ज़न यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
हालांकि, यह वीडियो 2018 का है, जब लेबनान के संसदीय चुनावों के नतीजे घोषित किए जाने के बाद, हिज़्बुल्लाह और अमल मूवमेंट के समर्थकों ने लेबनान की राजधानी बेरूत में आयशा बक्कर सहित कई इलाकों पर हमला किया था, सांप्रदायिक नारे लगाए थे, जिससे तनाव और झड़पें हुईं थीं.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
वायरल वीडियो को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजने पर, हमें यह मई 7, 2018 के एक फ़ेसबुक पोस्ट (आर्काइव यहां) में मिला, जिसमें अरबी में कैप्शन था कि यह आयशा बक्कर इलाके में हिज़्बुल्लाह समर्थकों और ‘फ्यूचर’ समर्थकों के बीच झड़पों को दिखाता है. चूंकि यह वीडियो छह साल से मौजूद है, इसलिए यह स्पष्ट है कि इसका हाल की घटनाओं से कोई संबंध नहीं है.
जांच के दौरान, हमें मई 8, 2018 को प्रकाशित स्काई न्यूज़ अरबिया की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो मौजूद है. रिपोर्ट के मुताबिक़, लेबनान की राजधानी बेरूत में संसदीय चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद हिज़्बुल्लाह और अमल मूवमेंट के समर्थकों के काफिले ने सांप्रदायिक नारे लगाते हुए कई इलाकों पर हमला किया. नतीजे घोषित होते ही मोटरसाइकिल सवार युवकों ने सुन्नी और ईसाई बहुल इलाकों पर हमला कर दिया और सांप्रदायिक और भड़काऊ नारे लगाए.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयशा बक्कर इलाके में स्थानीय लोगों ने हिज़्बुल्लाह और अमल के सैकड़ों युवकों का विरोध किया, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं. तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए सेना और सुरक्षाकर्मियों को हस्तक्षेप करना पड़ा.
मई 9, 2018 को प्रकाशित अल-खलीज की रिपोर्ट में बताया गया है कि सोशल मीडिया पर प्रकाशित वीडियो में युवाओं को हिज़्बुल्लाह और अमल मूवमेंट के झंडे लहराते हुए, "बेरूत शिया बन गया" जैसे सांप्रदायिक नारे लगाते और दिवंगत प्रधानमंत्री रफ़ीक हरीरी की मूर्ति को नष्ट करने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है. झड़पों के बाद बेरूत के कई इलाकों में सेना तैनात की गई. फ्यूचर मूवमेंट ने भी इन उकसावे की निंदा करते हुए एक बयान जारी करते हुए कहा कि इससे उकसावे का माहौल फिर से पैदा हो गया है और नागरिक शांति के साथ छेड़छाड़ हो रही है.
फ्यूचर मूवमेंट एक लेबनानी राजनीतिक पार्टी है जो सुन्नी संप्रदाय से जुड़ी है.
इस घटना से संबंधित ख़बरें होर्रिया, अल-आन टीवी और अल-मदन जैसे मीडिया आउटलेट्स द्वारा रिपोर्ट की गईं.
हमने वायरल वीडियो में दिख रही जगह को गूगल स्ट्रीट व्यू पर भी ट्रेस किया, जिससे पुष्टि हुई कि यह बेरूत के आयशा बक्कर इलाके में अल रशीदीन रोड पर मस्जिद अल-कस्सार के ठीक सामने है, जहां यह घटना घटी थी. इससे उन पोस्ट्स का दावा ख़ारिज हो जाता है जिनमें कहा गया था कि यह वीडियो पेरिस से है.
2018 के लेबनान संसदीय चुनाव में हिज़्बुल्लाह और उसके सहयोगियों ने 2009 के बाद से लेबनान के पहले संसदीय चुनावों में "जीत" हासिल की थी. मई 7, 2018 को प्रकाशित बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुन्नी प्रधानमंत्री साद हरीरी की पार्टी फ्यूचर मूवमेंट अपनी एक तिहाई सीटें हार गई.
रिपोर्ट में रॉयटर्स के हवाले से लिखा है कि शुरुआती नतीजों के आधार पर हिज़्बुल्लाह और उसके सहयोगियों ने संसद की 128 सीटों में से कम से कम 67 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन हिज़बुल्लाह सांसदों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह लगभग 13 ही रही.
इसके अलावा, हमें सितंबर 28, 2024, को हिज़्बुल्लाह प्रमुख की हत्या के बाद से लेबनान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच हिंसक झड़पों या दंगों की पुष्टि करती कोई रिपोर्ट नहीं मिली. हालांकि लेबनान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच हिंसक झड़पों का इतिहास रहा है, लेकिन इन दोनों संप्रदायों के बीच झड़पों की कोई हालिया रिपोर्ट नहीं है.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि वायरल वीडियो मई 2018 का है और इसका लेबनान में हुई किसी हाल की घटना से कोई संबंध नहीं है.