फैक्ट चेक
निर्णय असत्यजयपुर कमिश्नरेट के एसीपी कुंवर राष्ट्रदीप ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स से पुष्टि की कि आरोपी और पीड़ित दोनों हिंदू हैं, और घटना में एक भी मुस्लिम शामिल नहीं है. |
दावा क्या है?
राजस्थान के जयपुर में अक्टूबर 17 को एक धार्मिक आयोजन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं पर हुए हमले को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह हमला मुसलमानों द्वारा किया गया था. वायरल पोस्ट्स में 'विशेष समुदाय' शब्द का इस्तेमाल यह आरोप लगाने के लिए किया गया कि इस घटना में मुसलमान शामिल हैं.
सुदर्शन न्यूज़ ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किए गए एक वीडियो में दावा किया कि अक्तूबर 17 की रात जयपुर में आरएसएस के शरद पूर्णिमा कार्यक्रम में हमला किया गया. खीर वितरण के दौरान "समुदाय विशेष" के लोगों ने चाक़ू से हमला कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की, जिसमें आरएसएस के आठ कार्यकर्ता घायल हो गए. इस पोस्ट क़ा आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.
हालांकि, राजस्थान के जयपुर की इस घटना में किसी तरह का कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं है. इसमें हमलावर और पीड़ित दोनों ही हिन्दू समुदाय से हैं.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन शुरू की, तो हमें कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं, जिनमें कहा गया था कि अक्टूबर 17 को जयपुर के रजनी विहार इलाके में एक मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर खीर वितरण के समय आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमला किया गया, जिसमें लगभग 7-8 लोग घायल हो गए, जिन्हें सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रिपोर्ट्स में हमला करने वाले व्यक्ति की पहचान नसीब चौधरी के रूप में की गई है.
अक्तूबर 18 को प्रकाशित एनडीटीवी राजस्थान की रिपोर्ट में बताया गया है कि जयपुर के करणी विहार इलाके में आरएसएस कार्यकर्ताओं पर चाकू से हमला करने के मामले में एडिशनल कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप ने कहा कि हमला करने वाला आरोपी मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू समुदाय से है. आरोपी का नाम नसीब चौधरी है. उसके नाम की वजह से भ्रम की स्थिति है, जिसके चलते इस आपसी विवाद को सांप्रदायिक बताया जा रहा है.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई एमपी/सीजी/राजस्थान के एक्स अकाउंट (आर्काइव यहां) पर जयपुर पुलिस के एडिशनल कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप का एक वीडियो मौजूद है, जिसमें वे घटना की जानकारी देते हुए कहते हैं कि नसीब चौधरी नाम के व्यक्ति का घर मंदिर के पास है, उसने और उसके बेटे ने लोगों पर चाकुओं और लाठियों से हमला किया, जिसमें छह लोग घायल हो गए. दोनों को उसी रात गिरफ़्तार कर लिया गया. उन्होंने इस घटना में किसी मुस्लिम व्यक्ति के शामिल होने से इनकार किया.
इसके बाद, लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने जयपुर पुलिस के एडिशनल कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि इस घटना में आरोपी और पीड़ित दोनों हिन्दू समुदाय से हैं.
उन्होंने बताया, "जो नसीब चौधरी नाम का व्यक्ति (आरोपी) है, वह जाट है. उसके बेटे का नाम भीष्म चौधरी और पत्नी का नाम निर्मला चौधरी है. ये हिन्दू हैं और तीनों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. इस घटना में एक भी मुस्लिम शामिल नहीं है. ये दो समुदायों के बीच का मामला नहीं है."
एसीपी ने आगे बताया कि आरोपी ने इसलिए हमला नहीं किया क्योंकि वह आरएसएस कार्यकर्ता है, बल्कि इसलिए किया क्योंकि उसे धार्मिक आयोजन से आपत्ति थी. उसे शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि कार्यक्रम में मौजूद लोग आरएसएस से जुड़े हुए हैं. आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड है.
इस घटना के बाद जयपुर के रजनी विहार स्थित नसीब चौधरी के मकान पर जयपुर विकास प्राधिकरण ने बुलडोज़र चला दिया. डेक्कन हेराल्ड ने रिपोर्ट किया कि अक्तूबर 20 को एक मंदिर की ज़मीन पर अवैध रूप से निर्मित भवन के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया. यह निर्माण कथित तौर पर पिता-पुत्र द्वारा कराया गया था.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो चुका है कि जयपुर में धार्मिक आयोजन के दौरान आरएसएस कार्यकर्ताओं पर हमला करने वाले आरोपी मुस्लिम नहीं, बल्कि हिंदू समुदाय के जाट हैं.