फैक्ट चैक

निर्णय [भ्रामक]

कन्हैया कुमार ने कहा था कि जिन लोगों को नक्सली बताकर मार दिया जाता है और जो सेना के जवान मुठभेड़ और सीमा पर मारे जाते हैं, दोनों शहीद हैं.

दावा क्या है?

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो के ज़रिये सोशल मीडिया यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि कन्हैया कुमार ने कहा है कि नक्सली हमले में मारे गए सेना के जवानों को शहीद का दर्जा नहीं देना चाहिए, बल्कि सेना द्वारा मारे गए नक्सलियों को शहीद कहा जाना चाहिए.

20 सेकंड के इस वीडियो में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के साथ नज़र आ रहे कन्हैया कुमार कहते हैं, "सारे शहीदों को शहादत का दर्जा दिया जाए और जो इनको शहीद बना रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ जंग छेड़ी जाए. मैं कहता हूं जिनको नक्सली बताकर मारा जा रहा है, वो भी शहीद हैं, भोले-भाले आदिवासी हैं. जो तथाकथित नक्सली हिंसा में शहीद हो रहा  है, वो भी उनके जैसा ही.."

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, "नक्सली हमले में शहीद हुए सेना के जवानों को शहीद नहीं कहा जाना चाहिए. सेना द्वारा मारे गए नक्सलियों को असली शहीद कहा जाना चाहिए. कांग्रेस नेता कॉमरेड कन्हैया कुमार से लेकर कॉमरेड रवीश कुमार. अगर आप देश विरोधियों को सबक सिखाना चाहते हैं तो सोच समझकर वोट करे." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें.

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वायरल दावा भ्रामक है. दरअसल, यह वीडियो 2016 में एनडीटीवी पर प्रसारित एक इंटरव्यू से लिया गया है, जिसमें रवीश कुमार के एक सवाल के जवाब में कन्हैया कुमार ने कहा था कि जिन लोगों को नक्सली बताकर मारा जाता है और जो सेना के जवान मुठभेड़ और सीमा पर मारे जाते हैं, दोनों शहीद हैं.

हमने सच का पता कैसे लगाया?

हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन की तो हमें मार्च 16, 2016 को एनडीटीवी की वेबसाइट पर रवीश कुमार के साथ कन्हैया कुमार का पूरा इंटरव्यू मिला. 

वीडियो में, 37:15 की समयावधि पर, रवीश कुमार, जो तब एनडीटीवी के साथ जुड़े हुए थे, जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार से सवाल पूछते हैं, "एक बाइनरी चल गई है, तर्क चल रहा है कि सीमा पर जवान शहीद हो रहा है और आप इस तरह की मिनिमम यूनिटी जैसी अय्याशी जैसी वाली बातें कर रहे हैं, आपने कहा कि आपके भाई भी सीआरपीएफ़ में थे और उनकी शहादत भी हुई नक्सलियों से लड़ते हुए. कभी आपको लगा कि आप उनकी शहादत को डिमीन कर रहे हैं?"

इस सवाल का जवाब देते हुए कन्हैया कुमार कहते हैं, "देखिये हम किसी की शहादत को डिमीन (अपमान) नहीं करना चाहते. हमारी तो लड़ाई यही है कि सारे शहीदों को शहादत का दर्जा दिया जाए और जो इनको शहीद बना रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ जंग छेड़ी जाए. मैं कहता हूं जिनको नक्सली बताकर मारा जा रहा है, वो भी शहीद हैं, भोले-भाले आदिवासी हैं. जो तथाकथित नक्सली हिंसा में शहीद हो रहा  है, वो भी उनके जैसा ही एक ग़रीब का बेटा है. जो लोग इस देश में अनाज उपजा रहे हैं, वो जो किसान मर रहे हैं, वो भी इस देश के शहीद हैं. और जो सीमा पर लोग मर रहे हैं, वो भी शहीद हैं. इन सारे शहीदों को एकजुट होना है. ये सारे परिवार को शहीद के परिवार का दर्जा मिलना चाहिए."

आगे वह कहते हैं, "ये सारे शहीद जब रोड पर निकलेंगे एक साथ जय-जवान, जय किसान, मजदूर, आदिवासी, किसान का बेटा; ये जब सब एक साथ होगा. तभी वो लोग जो इनको शहीद बना रहे हैं, उनकी राजनीति को एक्सपोज़ किया जाएगा कि लड़ाई होती क्यों है और लड़वाते कौन हैं." 

गौरतलब है कि फ़रवरी 9, 2016 को दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में कथित तौर पर देशद्रोही नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था. बाद में जमानत पर रिहा होने के बाद रवीश कुमार ने कन्हैया का इंटरव्यू लिया था.

निर्णय 

सोशल मीडिया यूज़र्स का यह दावा किया कि रवीश कुमार के साथ इंटरव्यू में कन्हैया कुमार ने कहा था कि नक्सली हमले में शहीद हुए सेना के जवानों को शहीद का दर्जा नहीं देना चाहिए, भ्रामक है. असल में, कन्हैया ने कहा था कि नक्सली बताकर मारे गए लोगों और सेना के जवानों, दोनों को शहीद कहा जाना चाहिए. इसलिए, हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 

डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.