फैक्ट चैक

निर्णय [असत्य]

वीडियो में मौजूद ऑडियो एक वॉयस क्लोन है, न कि कमल नाथ की असल आवाज़ है. इसे वीडियो में अलग से जोड़ा गया है

दावा क्या है?

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश समेत 13 राज्यों की क़रीब 89 सीटों पर होना है. इस बीच कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इसमें कमल नाथ को लोगों के एक समूह के साथ बैठक करते हुए दिखाया गया है, जहां वह कथित तौर पर आर्टिकल 370 को निरस्त करने पर पुनर्विचार पर चर्चा कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय के समर्थन के बदले में "एक मस्जिद स्थल" वापस दिलाने का वादा कर रहे हैं.

30 सेकंड के वीडियो क्लिप में कमल नाथ कहते हैं, "मैं बहुत समय से सोच रहा था कि आप लोगों से बात करूं. ये समझ लो कि ये बात यहां से बाहर नहीं जानी चाहिए. हमें आपकी सबसे ज़्यादा चिंता और फ़िक्र है. इसलिए कांग्रेस चाहती है कि आप मुस्लिम भाई हमारा साथ दें ताकि आगे चलकर हम आपके हक़ में फैसले लें. मैं आपको आश्वासन देता हूं साथ बनाकर रखिये. हम आपको मस्जिद वाली जगह भी दिलवा देंगे और 370 भी देखा जाएगा. देखो मैं हर बात खुलकर नहीं बोलता..."

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, "इस वीडियो को BJP के हाथो मत लगने देना कांग्रेसियों." इस पोस्ट को अब तक 109,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहांयहां और यहां देखे जा सकते हैं.

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, कांग्रेस नेता कमल नाथ का यह वीडियो पुराना है और इसमें उनकी ख़ुद की आवाज़ नहीं है बल्कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर एक अलग आवाज़ जोड़ी गई है.

हमने सच का पता कैसे लगाया? 

हमने वायरल वीडियो को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजना शुरू किया, तो हमें यह वीडियो लोकमत हिंदी के यूट्यूब चैनल पर नवंबर 14, 2018 को अपलोड हुआ मिला. हालांकि, हमने पाया कि इस वीडियो में एक अलग ऑडियो है. 

वीडियो में कमल नाथ को कहते हुए सुना जा सकता है, "मैं तो छिंदवाड़ा की बात करूं, मुझे तो लोग आ के बता देते हैं. उनके आरएसएस, क्योंकि नागपुर से जुड़ा हुआ है. वहां तो उनके लिए सुबह आओ, रात को चले जाओ और बड़ा ही आसान है. वो उनका एक ही स्लोगन है. अगर हिंदू को वोट देनी है तो हिंदू शेर मोदी को वोट दो. अगर मुस्लिम को वोट देनी है तो कांग्रेस को वोट दो. केवल दो लाइन, और कोई पाठ पढ़ाने नहीं जाते. ये इनकी रणनीति है और इसमें आप सबको बड़ा सतर्क रहना पड़ेगा. आपको उलझाने की कोशिश करेंगे. हम निपट लेंगे इनसे बाद में.पर मतदान के दिन तक आपको सबकुछ सहना पड़ेगा." 

हमें यह वीडियो एनडीटीवीटाइम्स नाउ समेत एबीपी न्यूज कई मीडिया आउटलेट्स के यूट्यूब चैनलों पर मिला. इन सभी में कमल नाथ वही बातें दोहराते सुनाई दे रहे हैं, जिसका ट्रांसक्रिप्शन ऊपर दिया गया है.

नवंबर 14, 2018 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, वायरल वीडियो 2018 में राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम नेताओं के साथ मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम की बैठक के दौरान रिकॉर्ड किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो सामने आने के बाद यह वायरल हो गया और इसके बाद जो विवाद हुआ, उस पर कमलनाथ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने आरएसएस के ख़िलाफ़ जो कहा था, उस पर कायम हैं.

दरअसल उस समय कमल नाथ की इसी बैठक का एक और वीडियो सामने आया था जिसमें वह मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपना वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने की बात कहते हुए दिखाई दिए थे. बीजेपी ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कमल नाथ पर जमकर हमला बोला था. यहां तक कि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले को लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस भी की थी. (यहां देखें)

ज़ाहिर है कि वीडियो में कमल नाथ ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ बैठक कर ज़्यादा से ज़्यादा वोट करने और आरएसएस की रणनीति को लेकर चर्चा की थी. वर्तमान में वायरल हो रहे वीडियो में छेड़छाड़ करके अलग़ से मनगढ़ंत आवाज़ जोड़ी गई है. 

हमने इस वीडियो की जांच नवंबर 2023 में भी की थी, जब इसे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान शेयर किया जा रहा था. यहां पढ़ें.

निर्णय

वायरल वीडियो के साथ यह दावा कि कांग्रेस नेता कमल नाथ ने मुस्लिम समुदाय के साथ बैठक कर उन्हें “मस्जिद की जगह” वापस दिलाने और आर्टिकल 370 हटाने को लेकर वादा करते हुए दिखाई दे रहे हैं, ग़लत. असल में, यह उनकी आवाज़ नहीं है बल्कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर एक अलग आवाज़ जोड़ी गई है. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं.  

[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]