निर्णय [असत्य]

हमने अपनी जांच में पाया कि इस दावे का पुष्टि करने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है कि अंगूर खाने से गले में ख़राश, संक्रमण या कैंसर हो सकता है.

दावा क्या है?

व्हाट्सएप सहित सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया गया है कि अंगूर से गले में संक्रमण (इन्फेक्शन) हो सकता है और यह कैंसर का कारण भी बन सकता है क्योंकि इसे कीटनाशकों में मिलाया जाता है. 30 सेकंड की क्लिप में अंगूरों को एक सफेद तरल पदार्थ में धोते हुए दिखाया गया है और एंकर लोगों को केमिकल्स के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी देता है. वह लोगों से सुरक्षित रहने के लिए फलों को खाने से पहले खारे पानी में धोने की सलाह देता है.

वीडियो को एक्स (पूर्व में ट्विटर)लिंक्डइन और इंस्टाग्राम सहित कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया है. 

वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: सोशल मीडिया/स्क्रीनशॉट)

हालांकि, वीडियो में किया गया दावा ग़लत है. इस तर्क की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि अंगूर खाने से गले में ख़राश, संक्रमण या कैंसर हो सकता है.

सच्चाई क्या है?

वीडियो के कमेंट सेक्शन को स्क्रॉल करने पर, हमें कई लोग यह बताते हुए मिले कि वीडियो में किशमिश बनाने की प्रक्रिया दिखाई गई है. 

लिंक्डइन पोस्ट पर कमेंट. (सोर्स: लिंक्डइन/स्क्रीनशॉट)

अंगूर से किशमिश बनाने के कई तरीके हैं. भारत में, अंगूरों को या तो शेड में सुखाया जाता है या एथिल ओलिएट और पोटेशियम कार्बोनेट के घोल में डुबोया जाता है, क्योंकि इससे उनमें से पानी तेजी से निकल जाता है. हमें यूट्यूब पर कई वीडियो मिले (आर्काइव यहां देखें) जिनमें यह प्रक्रिया दिखाई गई है.

 

इसके बाद, हमने किशमिश बनाने की प्रक्रिया का विवरण देने वाले दस्तावेज़ों को देखा. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) - केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत एक संस्थान - राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र (एनआरसीपी) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अंगूरों का पानी तेजी से सूख जाए, इसके लिए उन्हें इथाइल ओलिएट और पोटेशियम कार्बोनेट के घोल में डुबोया जाता है.

“बाज़ार में डिपिंग ऑयल के कई ब्रांड उपलब्ध हैं. आम तौर पर इसके लिए एथिल ओलिएट (1.5 प्रतिशत) और पोटेशियम कार्बोनेट (2.5 प्रतिशत) का संयोजन इस्तेमाल किया जाता है. अंगूर के गुच्छों को घोल में 2 से 6 मिनट तक डुबोकर रखा जाता है. फिर पहले से उपचारित किए गए गुच्छों को अंगूर सुखाने वाले शेड में एक परत में फैला दिया जाता है," रिपोर्ट में कहा गया है.

लॉजिकली फ़ैक्ट्स को ईमेल के जवाब में, आईसीएआर-एनआरसीपी के निदेशक डॉ. कौशिक बनर्जी ने बताया कि वीडियो किशमिश बनाते समय अपनाए जाने वाले नियमित प्रक्रिया को दिखाता है.

“सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो भारतीय अंगूर उद्योग को बदनाम कर रहे हैं. वीडियो के एक हिस्से में, यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि अंगूरों को एथिल ओलिएट और पोटेशियम कार्बोनेट के सफेद घोल में डुबोया जा रहा है, जो कि किशमिश बनाने का एक नियमित प्रक्रिया है," उन्होंने कहा.

आईसीएआर द्वारा शेयर किया गया किशमिश बनाने की प्रक्रिया को समझाने वाला चार्ट (सोर्स: आईसीएआर - राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र)

उन्होंने यह भी कहा कि लोगों द्वारा सीधे खाए जाने वाले टेबल अंगूर को इस घोल में नहीं डुबोया जाता है. उन्होंने कहा, "अंगूर खाने से गले पर कोई असर नहीं पड़ता है और अंगूर में कीटनाशकों का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है."

अफ़वाहों को ख़ारिज करने के लिए आईसीएआर-एनआरसीजी ने भी एक्स का सहारा लिया

होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के जीव विज्ञान सेल के वैज्ञानिक अधिकारी विक्रांत घनेकर ने भी पुष्टि की कि वीडियो किशमिश बनाते समय अपनाई जाने वाली एक सामान्य प्रक्रिया को दिखाता है.

“आम तौर पर, खाद्य उद्योग में कई तरह के खाद्य-ग्रेड केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, और वे लैब केमिकल्स के जैसे नहीं होते हैं. इसलिए, वे आम तौर पर सुरक्षित हैं. लेकिन हाई कंसंट्रेशन ज़हरीला हो सकता है," उन्होंने कहा.

गले में खुजली, कैंसर और अंगूर के बीच क्या संबंध है?

गले में ख़राश पैदा करने वाले अंगूर के दावों के बारे में पूछे जाने पर घनेकर ने कहा, “अंगूर पर कई कीटनाशकों के निशान पाए जाते हैं, यहां तक कि तथाकथित जैव कीटनाशक भी, लेकिन इन केमिकल की मौजूदगी के साथ गले में ख़राश, खुजली के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. ”

वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि अंगूर पर कीटनाशक कैंसर का कारण बन सकते हैं. हालांकि, कैंसर रिसर्च यूके का कहना है कि “हम जो खाते हैं उसकी सतह पर थोड़ी मात्रा में कीटनाशक या शाकनाशी हो सकते हैं. लेकिन स्तर कम होता है और इससे लोगों में कैंसर का ख़तरा नहीं बढ़ता है.”

“कोई भी सीधे तौर पर कीटनाशकों की मौजूदगी को कैंसर के कारण से नहीं जोड़ सकता है. भारत सरकार पहले ही ऐसे केमिकल्स पर प्रतिबंध लगा चुकी है,” विक्रांत घनेकर ने कहा.

क्या अंगूरों को खारे पानी से धोना चाहिए?

वीडियो के आख़िरी हिस्से में लोगों को अंगूर खाने से पहले नमक के पानी से अच्छी तरह धोने की सलाह दी गई है, जो सामान्य रूप से लोगों को दी जाने वाली सलाह है. यूनाइटेड किंगडम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) भी इस्तेमाल करने से पहले फलों और सब्जियों को धोने की सलाह देती है.

“लगभग 75 प्रतिशत से 80 प्रतिशत कीटनाशक अवशेष ठंडे पानी से धोने से निकल जाते हैं. दो प्रतिशत नमक के पानी से धोने से ज़्यादातर संपर्क में आने वाले कीटनाशक अवशेष निकल जाएंगे जो आम तौर पर फलों की सतह पर दिखाई देते हैं," घनेकर ने कहा.  भारत में एक शोध संगठन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के मुताबिक़, फलों और सब्जियों को दो प्रतिशत नमक वाले पानी से धोने से मदद मिलती है.

निर्णय

हमने पाया कि इस बात की पुष्टि करने वाला कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि अंगूर खाने से गले में ख़राश या संक्रमण हो सकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) - राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र ने पुष्टि की है कि अंगूर खाने से किसी के गले पर कोई असर नहीं पड़ता है और इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि अंगूर में मौजूद कीटनाशक मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं. 

 

डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.