फैक्ट चेक
निर्णय [असत्य]बांग्लादेश के चटगांव में मारे गए वकील सैफुल इस्लाम अलिफ़ चिन्मय दास के वकील नहीं थे; दास का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सुभाशीष शर्मा ने किया था. |
दावा क्या है?
द इकोनॉमिक टाइम्स, रिपब्लिक, ऑपइंडिया, फर्स्ट पोस्ट सहित भारतीय न्यूज़ आउटलेट्स की रिपोर्ट्स और कई सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि बांग्लादेश के चटगांव में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की पैरवी करने वाले एक मुस्लिम वकील की हत्या कर दी गई है. बांग्लादेश में दास की गिरफ़्तारी के बाद कथित तौर पर हिंसा भड़क उठी थी.
एक्स पर एक पोस्ट (आर्काइव यहां), जिसमें रिपब्लिक का एक वीडियो शामिल था, में कहा गया: "चटगाँव कोर्ट के बाहर इस्लामिस्ट भीड़ द्वारा इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास का बचाव करने वाले मुस्लिम वकील की हत्या कर दी गई. बांग्लादेश पाकिस्तान से भी बदतर है. क्या अभी तक किसी को भी मुस्लिम होने पर शर्म आई है."
एक्स पर इसी तरह की पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं. यह दावा फ़ेसबुक पर भी वायरल हो रहा है, जिनके आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
इस्कॉन लीडर और हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास को नवंबर 25,2024 को देशद्रोह के आरोप में ढाका हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया गया था. इसके बाद, चटगांव में विरोध प्रदर्शन हुए, जहां उनके समर्थकों ने उनकी रिहाई की मांग की. नवंबर 26 को, एक स्थानीय अदालत ने उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण हिंसा भड़क गई, जिसमें एक वकील की हत्या और कई अन्य घायल हो गए.
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि झड़प में मारे गए वकील सैफुल इस्लाम अलिफ़ चिन्मय दास के वकील नहीं थे, बल्कि वह चटगांव कोर्ट में असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्युटर थे. अधिवक्ता सुभाशीष शर्मा ने दास का प्रतिनिधित्व किया था.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
बांग्लादेश की न्यूज़ रिपोर्ट्स की जांच करने पर पता चला कि मारे गए वकील का नाम सैफुल इस्लाम था, जिन्हें अलिफ़ के नाम से भी जाना जाता था. वह असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्युटर (एपीपी) के रूप में काम करते थे, यह सरकार द्वारा कोर्ट में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया पद है.
रिपोर्ट्स में विस्तार से बताया गया है कि चिन्मय दास की ज़मानत ख़ारिज होने के बाद चटगांव कोर्ट परिसर के पास हिंसा भड़क उठी. स्थानीय मीडिया आउटलेट प्रोथोम एलो के मुताबिक़, चटगांव वकील संघ के अध्यक्ष नाज़िम उद्दीन चौधरी ने कहा, "प्रदर्शनकारियों ने सैफुल इस्लाम को चैंबर से पकड़ लिया और मौत के घाट उतार दिया." बाद में चटगांव मेडिकल कॉलेज में सैफुल को मृत घोषित कर दिया गया.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार की प्रेस विंग द्वारा जारी एक प्रेस नोट (आर्काइव यहां) ने इस दावे को और भी ग़लत साबित कर दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि अधिवक्ता सुभाशीष शर्मा ने चिन्मय दास का प्रतिनिधित्व किया था. प्रेस नोट में लिखा है, "कुछ भारतीय मीडिया दावा कर रहे हैं कि वकील सैफुल इस्लाम अलिफ़, जिनकी आज चटगांव में बेरहमी से हत्या कर दी गई, चिन्मय कृष्ण दास का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. यह दावा झूठा है और दुर्भावनापूर्ण इरादे से फैलाया जा रहा है. चिन्मय कृष्ण दास द्वारा मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रस्तुत वकालतनामा से पता चला है कि अधिवक्ता सुभाशीष शर्मा उनके वकील हैं. हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे किसी भी भड़काऊ, झूठी रिपोर्ट से दूर रहें."
पोस्ट में दास का वकालतनामा भी मौजूद है, जो उनके वकील की नियुक्ति का एक आधिकारिक दस्तावेज है, जिसमें सुभाशीष शर्मा को उनके कानूनी प्रतिनिधि के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.
लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने मुख्य सलाहकार के सहायक प्रेस सचिव मुहम्मद युनुस नईम अली से संपर्क किया, जिन्होंने हमें दावे का खंडन करने वाले आधिकारिक प्रेस नोट की ओर निर्देशित किया.
बीबीसी बांग्ला की एक रिपोर्ट ने दास के वकील सुभाशीष शर्मा के हवाले से इसकी पुष्टि की: “उन्हें (दास को) जेल ले जाया गया है. यहां, उनकी आज़ादी चाहने वाली भीड़ मौजूद थी. पुलिस ने उन पर हमला किया, सभी को तितर-बितर किया और प्रभु (दास) को जेल वैन में ले गई. उन्हें साढ़े तीन बजे के बाद ले जाया गया.”
चट्टोग्राम लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नाज़िम उद्दीन चौधरी ने भी लॉजिकली फ़ैक्ट्स से इसकी पुष्टि करते हुए कहा, “ये बयान सच नहीं हैं. सैफुल का किसी भी तरह से कृष्ण दास से कोई संबंध नहीं था. वह नियमित रूप से वकालत करता था।”
इसके अलावा, ढाका में एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न बताने की शर्त पर पुष्टि की कि सैफुल इस्लाम हाल ही में सरकार द्वारा नियुक्त एक सरकारी वकील थे और उनका दास के मामले से कोई संबंध नहीं था.
निर्णय
हाल ही में चटगांव में हुई हिंसा में मारे गए वकील इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी नहीं कर रहे थे. वकील सैफुल इस्लाम असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्युटर थे, जबकि दास का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सुभाशीष शर्मा कर रहे थे.
[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]