ये वीडियो नहीं दिखाता बांग्लादेश में ‘मुस्लिमों द्वारा हिंदू महिला पर हमला’
जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि वीडियो में दिख रही महिला बांग्लादेश की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा छात्र लीग की सदस्य है और मुस्लिम समुदाय से है, न कि हिंदू का है.
फैक्ट चैक
निर्णय [असत्य]लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो में दिख रही महिला मुस्लिम है, जिस पर छात्र लीग से जुड़े होने के कारण हमला किया गया. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें काले कपड़े पहने हुए दिख रही एक महिला पर लोगों का एक समूह हमला कर रहा है. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो बांग्लादेश में चल रही अशांति के बीच मुसलमानों द्वारा एक हिंदू महिला पर हमला करने का है.
वीडियो में काले कपड़े पहने एक महिला को भीड़ से घिरा हुआ दिखाया गया है, जो उसे उठक-बैठक करवाती है और जूता चाटने पर मजबूर करती है. इसके अलावा, लाल दुपट्टा पहनी एक महिला द्वारा एक तरह का पाउडर लगाए जाने के बाद उसे भागते हुए भी देखा जा सकता है. वीडियो में महिला को तालाब जैसी दिखने वाली जगह में धकेलते हुए भी दिखाया गया है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट कर कैप्शन दिया, "बांग्लादेश में मुसलमानों का एक समूह एक हिंदू लड़की को पकड़ता है, उसका अपमान करता है और फिर उसे डुबो देता है।. दुनिया की नज़रें कहां हैं? बांग्लादेश में नरसंहार से हिंदुओं को बचाओ." इस पोस्ट को 36,000 से ज़्यादा बार रीपोस्ट किया गया और इसे क़रीब 71,000 लाइक मिले हैं. ऐसे ही दावों के साथ शेयर कुए गए अन्य पोस्ट यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, वायरल दावा ग़लत है और वीडियो में दिख रही महिला असल में हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय से है. उसे बांग्लादेश की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग की छात्र इकाई छात्र लीग से जुड़े होने के कारण निशाना बनाया गया था.
सच्चाई क्या है?
वायरल वीडियो को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजने पर, हमें यूट्यूब पर "रोंगधोनू" नाम के चैनल (आर्काइव यहां) द्वारा अगस्त 8, 2024 को पोस्ट किया गया एक वीडियो मिला, जिसमें वही दृश्य थे. बंगाली में लिखे गए कैप्शन का मोटे तौर पर अनुवाद है, "छात्र लीग की महिला नेता को भीड़ ने पीटा | सरकार गिरने के बाद, छात्र लीग के पुरुष और महिला नेता असहाय अवस्था में हैं." इसी तरह का एक वीडियो फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया (आर्काइव यहां) जिसके कैप्शन में बताया गया कि यह बांग्लादेश के एक शहर ब्राह्मणबारिया में रिकॉर्ड किया गया था और यह भी बताया गया कि वायरल वीडियो में दिख रही महिला छात्र लीग से जुड़ी हुई है.
फ़ेसबुक पर पोस्ट किए गए एक अन्य वीडियो (आर्काइव यहां) में भी इसी घटना के समान दृश्य थे. यहां, लाल दुपट्टा पहनी एक महिला - जिसे वायरल वीडियो में भी देखा जा सकता है - को गुलाबी हैंडबैग में तलाशी लेते हुए देखा जा सकता है, जिसे वह बीच में खड़ी उसी काले पोशाक वाली महिला से छीन लेती है. वीडियो में लाल दुपट्टा पहनी महिला को बैग से सामान निकालते और कैमरे के सामने दिखाते हुए भी दिखाया गया है. इन सामानों में एक पोलिंग एजेंट कार्ड शामिल है जिस पर बंगाली में "अफ़साना इबाद" लिखा हुआ है, जो दिखाता है कि महिला हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम है.
फ़ेसबुक वीडियो में दिख रही आईडी और लॉजिकली फ़ैक्ट्स को प्राप्त आईडी का स्क्रीनशॉट .(सोर्स: फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
इसके बाद लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने एटीएन न्यूज के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो प्रमुख पीजूष क्रांति आचार्य से संपर्क किया, जिन्होंने पुष्टि की, "महिला बांग्लादेश छात्र लीग, ब्राह्मणबारिया ज़िला इकाई की सदस्य है. वह मुस्लिम समुदाय से है."
बांग्लादेश में मौजूदा अशांति
बांग्लादेश में महीनों से चल रही अशांति, जो कोटा प्रणाली के ख़िलाफ़ छात्रों के विरोध प्रदर्शन से शुरू हुई और सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गई, जिसके परिणामस्वरूप अगस्त 16 अगस्त तक कम से कम 560 लोगों की मौत हो गई है.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ अगस्त 13 को हत्या का मामला दर्ज किया गया है, जिन्होंने अगस्त 5 को इस्तीफ़ा दिया और देश छोड़कर भाग गईं. नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन से देश में हालात बदलने की उम्मीद है.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर उनके घरों और व्यवसायों में हमलों का सामना करने की भी ख़बरें सामने आई हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के 52 ज़िलों में हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की क़रीब 200 घटनाएं सामने आई हैं, जिसके बाद अंतरिम सरकार ने कार्रवाई का वादा किया है.
निर्णय
हमारी जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि वीडियो में दिख रही महिला बांग्लादेश की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग की छात्र शाखा छात्र लीग की सदस्य है और मुस्लिम समुदाय से है, न कि हिंदू, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.