फैक्ट चेक
निर्णय भ्रामकमध्य प्रदेश के रीवा ज़िले की इस घटना में जातिगत अत्याचार का कोई पहलू नहीं है. पीड़ित और आरोपी दोनों ब्राह्मण समाज से हैं. |
(ट्रिगर वार्निंग: स्टोरी में विचलित करने वाले दृश्यों का वर्णन है. पाठकों को विवेक के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. )
दावा क्या है?
मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें कुछ महिलाएं मिट्टी में धंसी हुई दिखाई दे रही हैं. वीडियो में महिलाएं रोती-बिलखती नज़र आ रही हैं, जबकि कुछ लोग उन्हें बाहर निकालने की कोशिश करते दिख रहे हैं. इस बीच, वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में ऊंची जाति के लोगों ने दो दलित महिलाओं को ज़मीन में ज़िंदा दफ़नाने की कोशिश की.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, "रीवा, मध्य प्रदेश में उच्च गुंडों द्वारा दलित महिलाओं को जिंदा ज़मीन में गाड़ने का दिल दहलाने वाला हादसा शर्मनाक है. रीवा में दबंगों द्वारा महिला को मुरम में दबाने का प्रयास निंदनीय है। यह अमानवीयता बर्दाश्त नहीं की जा सकती." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, वायरल दावा भ्रामक है. यह वीडियो मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के हिनौता कठार गांव में परिवार के दो पक्षों के बीच हुए ज़मीन विवाद का है. पीड़ित और आरोपी ब्राह्मण समाज से हैं और मामले में जातिगत अत्याचार का कोई पहलू नहीं है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने संबंधित कीवर्ड्स के ज़रिये खोजबीन की, तो हमें जुलाई 21, 2024 को प्रकाशित एनडीटीवी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट मौजूद है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यह घटना मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के मनगवां क्षेत्र में आने वाले हिनौता कोठार की है. पीड़ित महिलाओं के नाम आशा पाण्डेय और ममता पाण्डेय हैं, जबकि आरोपी का नाम विपिन पाण्डेय है, जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. पुलिस ने डंपर को भी जब्त कर लिया है. आशा पांडेय का उनके ससुर गौकरण पांडेय से साझे की ज़मीन को लेकर रास्ता निकलने को लेकर विवाद है.
रिपोर्ट में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जयदीप प्रसाद के हवाले से बताया गया है कि शनिवार को रीवा ज़िले के हिनौता कोठार गांव में एक पारिवारिक ज़मीन विवाद में दो महिलाओं आशा पाण्डेय और ममता पाण्डेय पर मुरूम गिराई गई थी. ये पाण्डेय परिवार है और इसमें अनुसूचित जाति/जनजाति की कोई महिला नहीं थीं. एक आरोपी विपिन पाण्डेय पुलिस की गिरफ़्त में है.
इस घटना को लेकर इंडियन एक्सप्रेस, न्यूज़ 18 और दैनिक भास्कर समेत कई मीडिया आउटलेट्स ने रिपोर्ट प्रकाशित की हैं.
इसके अलावा, हमें एएनआई द्वारा एक्स पर पोस्ट (आर्काइव यहां) किया गया रीवा के एडिशनल एसपी विवेक लाल एक वीडियो मिला, जिसमें उन्होंने कहा कि घटना के पीछे पारिवारिक ज़मीन विवाद है. एसपी ने पुष्टि की कि परिवार के ही दो पक्ष अलग-अलग थे. एक पक्ष रोड बनाना चाह रहा था और मुरुम डाल रहा था. दूसरे पक्ष की महिलाएं आशा पाण्डेय और ममता पाण्डेय हैं, जो मुरुम डालने से मना करने के बीच उसमें दब गईं. उनकी हालत सामान्य है. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 110 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोपी प्रदीप, गौकरण पाण्डेय और विपिन पाण्डेय हैं. विपिन की गिरफ़्तारी हो गई है.
इस मामले पर रीवा एसपी (आर्काइव यहां) और मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग की तरफ़ से भी प्रेस रिलीज़ जारी की गई है, जिसमें घटना का पूरा विवरण पढ़ा जा सकता है.
इसके बाद, लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने रीवा के एडिशनल एसपी विवेक लाल से बात की, जिसमें उन्होंने पुष्टि की कि वायरल दावा ग़लत है. दोनों महिलाएं और दोनों परिवार ब्राह्मण समाज से हैं. एडिशनल एसपी ने यह भी बताया कि इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
हमने पाया कि मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस अधिकारियों के बयानों में घटना के पीछे की वजह के रूप में परिवार के दो पक्षों के बीच ज़मीन विवाद का ज़िक्र है, जिससे यह पुष्टि होती है कि यह घटना जातिगत अत्याचार नहीं है. पीड़ितों और आरोपियों का उपनाम पाण्डेय है, जोकि हिन्दुओं की उच्च जाति में गिनी जाती है.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह साफ़ हो गया है कि मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले के हिनौता कोठार गांव में एक परिवार के दो पक्षों के बीच ज़मीन विवाद में दलित उत्पीड़न का पहलू ग़लत तरीके से जोड़ा गया है.