निर्णय- असत्य




    वायरल तस्वीरें पुरानी और असंबंधित हैं और इनका दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित 'इंडिया' गठबंधन की 'लोकतंत्र बचाओ रैली' से कोई संबंध नहीं है.


मार्च 31, 2024 को 'इंडिया' गठबंधन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 'लोकतंत्र बचाओ रैली' का आयोजन किया. इस रैली में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पावर, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे समेत गठबंधन के सभी शीर्ष नेता शामिल हुए. इस रैली को ईडी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के विरोध में आयोजित रैली के रूप में प्रस्तुत किया गया, हालांकि 'इंडिया' गठबंधन ने इसे किसी एक व्यक्ति विशेष पर केंद्रित नहीं बल्कि 'लोकतंत्र बचाओ' पर केंद्रित रखा.


दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर 'लोकतंत्र बचाओ रैली' की कई तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिसमें विपक्षी नेताओं की एकजुटता और इसमें बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की झलक दिख रही है. इसी सिलसिले में सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें शेयर की जा रही हैं, जिसमें लोगों का जनसैलाब दिखाई दे रहा है. इन तस्वीरों के ज़रिये दावा किया जा रहा है कि ये दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली की हैं और इसमें अरविंद केजरीवाल के समर्थन में लाखों लोग शामिल हुए हैं.


एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, "दिल्ली में ये भीड़ बता रही है मोदी जी जिस आंधी की तरह आए थे उसी तरह तूफ़ान की तरह चले जाएंगे." इस पोस्ट को अब तक 222,000 से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें देखें. 


इसी तरह, एक अन्य यूज़र ने एक और तस्वीर पोस्ट की, जिसमें सड़क पर पीले कपड़ों में लोग दिख रहे हैं और इसे कैप्शन दिया, "लाखो केजरीवाल है आज रामलीला मैदान में किस-किस केजरीवाल को गिरफ़्तार करोगे." इस पोस्ट को अब तक 102,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न यहांयहां और यहां देखें. 


हालांकि, ये दोनों तस्वीरें पुरानी और असंबंधित हैं और इनका दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई 'इंडिया' गठबंधन की 'लोकतंत्र बचाओ रैली' से कोई संबंध नहीं है. 


हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये एक-एक करके दोनों तस्वीरों की जांच की, तो जो नतीजे सामने आए उससे पता चला कि ये दोनों तस्वीरें सालों से इंटरनेट पर मौजूद हैं और इनमें से एक तस्वीर पश्चिम बंगाल की है तो दूसरी अफ़्रीकी देश इथियोपिया की.


पहली तस्वीर
हमें अपनी जांच के दौरान यह तस्वीर 'पीपल डिस्पैच' नाम की वेबसाइट पर फ़रवरी 4, 2019, को प्रकाशित रिपोर्ट में बतौर कवर इमेज मिली. रिपोर्ट के मुताबिक़, यह तस्वीर फ़रवरी 3, 2019 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में लेफ़्ट-फ्रंट के नेतृत्व में हुई रैली की है, जिसमें 10 लाख से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था.


रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर आयोजित इस रैली में राज्य की बीजेपी और टीएमसी सरकार को हटाने का संकल्प लिया गया.


इसके अलावा, हमें यही तस्वीर फ़ोटो स्टॉक वेबसाइट अलामी, इंडिया कंटेंट पर भी मिली, जिसके साथ जानकारी देते हुए स्पष्ट शब्दों में बताया गया है कि इस तस्वीर में फ़रवरी 3, 2019 को लेफ़्ट पार्टीज़ के कार्यकर्ताओं को कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में लेफ़्ट-फ्रंट की रैली में भाग लेते हुए दिखाया गया है.  इस रैली के एरियल व्यू दिखाने वाली कई तस्वीरें प्रोकेरल की वेबसाइट पर मौजूद हैं, जहां तस्वीरों के लिए आईएएनएस को क्रेडिट दिया गया है. 


दूसरी तस्वीर
एक सड़क पर पीले कपड़ों में लोगों का जनसमूह दिखाने वाली तस्वीर, हमें सीएनएन की 2017 की एक रिपोर्ट में मिली, जिसके डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि ये इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में वार्षिक ग्रेट इथियोपियन रन की है. 


हमें यही तस्वीर यूनाइटेड नेशन के एमडीजी अचीवमेंट फंड की वेबसाइट पर भी मिली, जिसके साथ जानकारी देते हुए लिखा है कि हेली गेब्रसेलासी ने "हम 2015 तक ग़रीबी समाप्त कर सकते हैं" नारे के तहत ग्रेट इथियोपियन रन की शुरुआत की. इसके अलावा, हमें 2017 के कई एक्स पोस्ट्स में यह तस्वीर मिली. हालांकि, हम स्वतंत्र रूप से यह पता नहीं लगा सके कि असल में ये तस्वीर कब ली गई थी.


बता दें कि इस तस्वीर को हम पहले ही फैक्ट चेक कर चुके हैं, जब इसे आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स के समर्थक दिखाने के दावे के साथ शेयर किया गया था. यहां पढ़ें.


निर्णय
पुरानी और असंबंधित दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही हैं कि ये कल दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई ‘इंडिया’ गठबंधन की हैं. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं. 


डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.