फ़र्ज़ी सांप्रदायिक रंग देकर केदारनाथ में तीर्थयात्रियों से मारपीट का पुराना वीडियो वायरल
वीडियो के साथ किया जा रहा दावा ग़लत है. यह घटना जून 2023 की है और तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले सभी आरोपी हिंदू समुदाय से थे.
फैक्ट चेक
निर्णय असत्ययह घटना जून 2023 की है और खच्चर संचालकों और तीर्थयात्रियों के बीच हुई लड़ाई में कोई सांप्रदायिक पहलू शामिल नहीं था. सभी आरोपी हिंदू समुदाय से थे. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग एक महिला और एक पुरुष को लाठी-डंडों से पीटते नज़र आ रहे हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि यह केदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग का वीडियो है और तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले हमलावर मुस्लिम समुदाय के लोग हैं.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, "केदारनाथ धाम की यात्रा श्रद्धालुओं के साथ में मारपीट करके अपमानित करने वाले - घोड़े खच्चर पर यात्रीयों को बैठने के लिए जिहादी जबरदस्ती दबाब बना रहे हैं, डरा रहे हैं कि यात्री पैदल यात्रा नहीं कर सकते हैं - केवल घोड़े खच्चर पर बैठने वालों को ही जाने दिया जायेगा." इस पोस्ट को अब तक 750,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें और ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
गौरतलब है कि केदारनाथ यात्रा हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है.
हालांकि, वीडियो के साथ किया जा रहा दावा ग़लत है. यह घटना जून 2023 की है और तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले सभी आरोपी हिंदू समुदाय से थे.
हमने सच का पता कैसे लगाया
वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजने पर, हमें जून 13, 2023 को न्यूज़ एजेंसी एएनआई द्वारा किया गया एक एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) मिला, जिसमें वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट है. एएनआई के पोस्ट में लिखा है, "केदारनाथ जा रहे श्रद्धालुओं पर हमला करने वाले घोड़ा और खच्चर संचालकों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है: रुद्रप्रयाग पुलिस उत्तराखंड."
जून 14, 2023, को टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस घटना पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि विवाद इसलिए शुरू हुआ क्योंकि श्रद्धालु घायल घोड़े के लिए मदद मांग रहे थे और घोड़ों को कथित तौर पर मारे जाने पर आपत्ति जता रहे थे. उनकी आपत्ति के मद्देनजर, घोड़ा मालिकों ने तीर्थयात्रियों पर हमला कर दिया.
हमें ज़िला रुद्रप्रयाग पुलिस (उत्तराखंड) के आधिकारिक फ़ेसबुक अकाउंट (आर्काइव यहां) पर घटना के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिली. इसमें कहा गया है कि जून 12 को की गई शिकायत में दावा किया गया था कि दो दिन पहले, दिल्ली के एक निवासी ने मंदिर की चढ़ाई के दौरान एक घायल घोड़े को बुरी हालत में पाया था. मदद मांगते समय, तीर्थयात्री ने कथित तौर पर एक व्यक्ति से सवाल किया जो अन्य जानवरों को चोट पहुंचा रहा था.
शिकायत के अनुसार, तभी "घोड़े संचालकों की भीड़ आ गई, और 4-5 लोगों ने उन्हें पीटना और गाली देना शुरू कर दिया; उनके बचाव में आए अन्य लोगों को भी पीटा गया, और उन्हें उत्तराखंड छोड़ने की चेतावनी दी गई." इसके अलावा, शिकायत में संबंधित विभाग द्वारा उनके संचालन के लिए लाइसेंस रद्द करने का अनुरोध भी किया गया.
जांच के दौरान हमें उत्तराखंड पुलिस का जून 13, 2023, का एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) भी मिला, जिसमें पुलिस ने जानकारी दी कि आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया गया है, और सोनप्रयाग कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने बताया कि पांच आरोपी अंकित सिंह, संतोष कुमार, गौतम और रोहित कुमार हैं, और एक नाबालिग है जिसके ख़िलाफ़ अलग से कार्रवाई की गई है.
उत्तराखंड पुलिस के एक्स-पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
बता दें कि इस वीडियो को 2023 में भी इसी तरह के सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया था. उस समय भी लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने इसका फ़ैक्ट चेक किया था.
तब लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने गुप्तकाशी के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) विमल सिंह रावत से संपर्क किया था. रावत ने हमें बताया था कि भक्त केदारनाथ के दर्शन के लिए आ रहे थे और "रास्ते में, उनका खच्चर संचालकों के साथ किसी बात को लेकर विवाद हो गया, इसलिए खच्चर संचालकों ने उन पर हमला किया और मारपीट शुरू कर दी, जैसा कि सार्वजनिक डोमेन में देखा गया है." आगे उन्होंने कहा कि वीडियो में शामिल कुल चार से पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, एक एफ़आईआर दर्ज की गई है, और कानूनी कार्यवाही शुरू की गई है.
रावत ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को यह भी बताया था कि "इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था, इसमें शामिल सभी लोग दर्शन (प्रार्थना) के लिए आए थे, इसलिए इसमें कोई मुस्लिम या कोई अन्य कोण शामिल नहीं है. यह सिर्फ़ एक सड़क पर हुई लड़ाई थी, और उत्तराखंड पुलिस ने इसे सुलझा लिया है."
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट है कि घटना जून 2023 की और तीर्थयात्रियों पर हमला करने वाले घोड़ा-खच्चर संचालक हिंदू समुदाय से थे. मामले में कोई सांप्रदायिक पहलू नहीं है.