बांग्लादेश में बौद्ध मंदिर पर हमले की 2012 की तस्वीरें हालिया हिंसा से जोड़कर की गईं शेयर
जांच से साफ़ हो जाता है कि वायरल तस्वीरों और बांग्लादेश में मौजूदा हिंसा के बीच कोई संबंध नहीं है. ये तस्वीरें दरअसल 2012 में कॉक्स बाज़ार में बौद्धों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा की हैं.
फैक्ट चैक
निर्णय [भ्रामक]ये तस्वीरें सितंबर 2012 की हैं, जब मुस्लिमों ने इस्लाम के कथित अपमान के चलते बांग्लादेश के कॉक्स बाजार ज़िले के रामू में बौद्ध मंदिरों पर हमला किया था. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर तीन तस्वीरों का एक सेट वायरल हो रहा है, जिसमें गौतम बुद्ध की टूटी हुई मूर्तियां दिखाई गई हैं. इन तस्वीरों को बांग्लादेश में चल रही हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश के एकमात्र बौद्ध मंदिर में तोड़फोड़ की गई और बुद्ध की मूर्तियों को जमात-ए-इस्लामी नेताओं ने तोड़ दिया.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने तस्वीरों के साथ कैप्शन दिया, "बांग्लादेश से आयी जय मीम जय भीम भाईचार की सुन्दर तस्वीर." पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां और यहां देखें. इसे #SaveHindusinBangladesh और AllEyesonBangladesh जैसे हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है, जिनका उपयोग सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा यह दावा करने के लिए किया गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमला किया जा रहा है.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
ये तस्वीरें ऐसे समय में आई हैं जब ऐसी ख़बरे आ रही हैं कि प्रदर्शनकारियों द्वारा अल्पसंख्यक प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों पर हमला किया जा रहा है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट में बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता के हवाले से लिखा है कि पिछले 48 घंटों में बांग्लादेश के 64 ज़िलों में फैले 20-25 हिंदू मंदिरों के अलावा धार्मिक अल्पसंख्यकों की करीब 400 संपत्तियों पर हमला किया गया है.
हालांकि, वायरल तस्वीरें 2012 की हैं, जब मुस्लिमों ने इस्लाम के कथित अपमान के चलते बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले के रामू में बौद्ध मंदिरों पर हमला किया था. इसका बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक संकट और अशांति से कोई संबंध नहीं है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने एक-एक करके चारों तस्वीरों पर रिवर्स इमेज सर्च चलाया, तो हमें ये 2020 के एक एक्स-पोस्ट (आर्काइव यहां) में मिली, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इसका बांग्लादेश में मौजूदा अशांति से कोई लेना-देना नहीं है.
2020 एक्स-पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
बुद्ध की प्रतिमा पर हमला करते युवक की तस्वीर
हमें यह तस्वीर 2020 के एक्स-पोस्ट और 2023 के एक फ़ेसबुक पोस्ट (आर्काइव यहां) में मिली, जिसके साथ बताया गया कि ये तस्वीर 29 और 30 सितंबर 2012 को बांग्लादेश के बौद्ध कस्बों में चरमपंथियों द्वारा किए गए हिंसक हमलों की हैं.
2023 फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट, जिसमें तस्वीर को 2012 का बताया गया है. (सोर्स: फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
इससे पता चलता है कि यह तस्वीर कम से कम 2012 से ऑनलाइन है, और इसलिए इसे बांग्लादेश में हाल की अशांति से नहीं जोड़ा जा सकता.
बौद्ध मठ के खंडहर को देखते बच्चों की तस्वीर
हमें यह तस्वीर 'लंकाट्रू' नाम के एक ब्लॉगस्पॉट (आर्काइव यहां) पर मिली, जहां इसे नवंबर 6, 2012 को पोस्ट किया गया था. हालांकि, इस तस्वीर के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन तस्वीर के नीचे कैप्शन में लिखा है: "बौद्ध मंदिर को जलाने के बाद, रामू, कॉक्स बाज़ार." बता दें कि कॉक्स बाज़ार बांग्लादेश का एक ज़िला है, जहां 2012 में चरमपंथियों की भीड़ ने बौद्ध मठों और घरों पर आगजनी की थी.
ब्लॉगस्पॉट पर मौजूद तस्वीर का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: लंकाट्रू ब्लॉगस्पॉट/स्क्रीनशॉट)
टूटी हुई बुद्ध प्रतिमाओं की तस्वीर
हमें यह फोटो 'ऑनलंका' (आर्काइव यहां) नाम की वेबसाइट पर अक्टूबर 13, 2012, को प्रकाशित एक रिपोर्ट में मिली, जिसमें बांग्लादेश में बौद्ध स्थलों और घरों पर हमले की घटना पर चर्चा की गई थी.
'ऑनलंका' रिपोर्ट की 2012 रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: ऑनलंका/स्क्रीनशॉट)
इससे मिलती-जुलती तस्वीर हमें फ़ोटोस्टॉक साईट अलामी पर मिली (आर्काइव यहां), जिसके साथ जानकारी देते हुए बताया गया है कि सितंबर 30, 2012, को कॉक्स बाज़ार के रामू में एक बौद्ध मंदिर में क्षतिग्रस्त मूर्ति को स्थानीय मुस्लिम भीड़ ने आग के हवाले कर दिया. यह हमला फ़ेसबुक पर कथित तौर पर स्थानीय बौद्ध बताए जा रहे एक व्यक्ति द्वारा पोस्ट की गई जली हुई कुरान की तस्वीर के कारण हुआ था. इस घटना में कम से कम 10 बौद्ध मंदिर और 40 बौद्ध घर जला दिए गए.
अलामी पर मौजूद तस्वीर का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: अलामी/स्क्रीनशॉट)
इस घटना के एक साल बाद उसी खंडित प्रतिमा की तस्वीर गेट्टी इमेजेज़ (आर्काइव यहां) पर भी शेयर की गई थी.
2012 रामू, कॉक्स बाज़ार हिंसा
सितंबर 30, 2012, को प्रकाशित सीएनएन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश में मुसलमानों की भीड़ ने बौद्ध धर्मस्थलों और घरों पर हमला किया और उनमें से कुछ को आग लगा दी. यह हिंसा सितंबर 30 को सुबह राजधानी ढाका के दक्षिण में कॉक्स बाज़ार के रामू शहर में शुरू हुई और शाम तक यह आस-पास के इलाकों में फैल गई. रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से लिखा है कि रामू में कम से कम सात मंदिर जला दिए गए और दूसरे इलाकों में पांच अन्य मंदिर में हिंसा हुई है. कम से कम 50 घर क्षतिग्रस्त हो गए या नष्ट हो गए.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, बौद्धों के ख़िलाफ़ यह हिंसा एक फ़ेसबुक पोस्ट के कारण फैली थी, जिसमें कथित तौर पर क़ुरान का अपमान किया गया था. इसके बाद, बौद्ध इलाकों में हज़ारों मुसलमानों ने उत्पात मचाया, एक दर्जन से ज़्यादा मंदिरों और मठों और कम से कम 50 घरों में आग लगा दी. बुद्ध की मूर्तियों सहित संपत्ति लूट ली गई.
बांग्लादेश ने म्यांमार से आए मुस्लिम रोहिंग्या शरणार्थियों पर बौद्ध मंदिरों और घरों पर हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया. रायटर्स की रिपोर्ट में तत्कालीन गृह मंत्री मोहिउद्दीन अलमगीर के हवाले से लिखा है कि रोहिंग्या और सरकार के राजनीतिक विरोधी इन हमलों में शामिल थे. इन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में हिंसा से नष्ट हुए बौद्ध मठों के दृश्य देखे जा सकते हैं.
बांग्लादेश में मौजूदा अशांति
शेख़ हसीना के प्रधानमंत्री के रूप में 15 साल बाद एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देते हुए, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने अगस्त 8, 2024 को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ ली. उन्होंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और नागरिकों से बांग्लादेश के पुनर्निर्माण में मदद करने का आह्वान किया.
गौरतलब है कि अगस्त 5 को शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर चली गईं. वह फिलहाल भारत में हैं और वह कहीं और शरण मांगते तक वहीं रहेंगी, ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि वे यूनाइटेड किंगडम जा सकती हैं.
दरअसल बांग्लादेश में हिंसा की शुरुआत जुलाई 16 को हुई, जब ढाका यूनिवर्सिटी में छात्र कार्यकर्ताओं पर हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों ने हमला किया, क्योंकि वे बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के लिए अब समाप्त हो चुकी विवादास्पद कोटा प्रणाली का विरोध कर रहे थे. इस प्रणाली के प्रावधानों में से एक युद्ध नायकों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां सुरक्षित करना था.
विरोध प्रदर्शनों के जवाब में, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और कर्फ्यू लगा दिया गया. हालांकि, स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की, जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और गोलियाँ चलानी पड़ीं. पुलिस के साथ झड़प में कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई.
अगस्त 6 तक, रिपोर्ट्स बताती हैं कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 440 हो गई है, जिसमें हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद 230 से मौतें हो चुकी हैं.
लॉजिकली फ़ैक्ट्स बांग्लादेश हिंसा के बारे में ग़लत सूचनाओं का सक्रिय रूप से खंडन कर रहा है. आप हमारे फ़ैक्ट-चेक यहां पढ़ सकते हैं.
निर्णय
अब तक हमारी जांच से साफ़ हो जाता है कि वायरल तस्वीरों और बांग्लादेश में मौजूदा हिंसा के बीच कोई संबंध नहीं है. ये तस्वीरें दरअसल 2012 में कॉक्स बाज़ार में बौद्धों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा की हैं, जो कथित तौर पर इस्लाम विरोधी भावनाओं वाले एक फ़ेसबुक पोस्ट के परिणामस्वरूप हुई थी.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.