राजस्थान में पारिवारिक झगड़े का वीडियो फर्जी दावे के साथ किया जा रहा शेयर, सांप्रादायिक एंगल गलत तरीके से जोड़ा गया
वायरल वीडियो राजस्थान के अलवर का है, जहां एक पुराने मकान को लेकर एक ही परिवार के दो पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था. दोनों पक्ष हिंदू समुदाय से हैं. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
निर्णय- असत्य
- यह वीडियो राजस्थान के अलवर में मकान को लेकर एक ही परिवार के बीच हुए झगड़े का है. दोनों पक्ष हिन्दू हैं. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग बुज़ुर्ग समेत निहत्थे लोगों को लाठियों से पीटते नज़र आ रहे हैं. यह वीडियो राजस्थान के अलवर का बताया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि मुसलमानों ने हिंदुओं के घर में घुसकर उन्हें लाठियों से पीटा.
यह वीडियो इसी दावे के साथ एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है. ऐसे ही दावे के साथ शेयर किये गए एक पोस्ट को अब तक 21,000 से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं. इस पोस्ट का का आर्काइव वर्ज़न यहां देखा जा सकता है. अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
हालांकि, वीडियो के साथ किया गया दावा फ़र्ज़ी है. यह वीडियो राजस्थान के अलवर का है, जहां एक पुराने मकान को लेकर एक ही परिवार के दो पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था. दोनों पक्ष हिंदू समुदाय से हैं. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
जब हमने वायरल वीडियो के कीफ़्रेम्स को गूगल लेंस के ज़रिये सर्च किया तो हमें एक रिपोर्ट मिली, जिसमें वही दृश्य मौजूद थे जो वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहे हैं.
19 जनवरी को प्रकाशित इस रिपोर्ट में घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि अलवर के थानागाजी थाना क्षेत्र के चीमा की ढाणी में पुराने मकान को लेकर परिवार के ही लोगों ने 70 साल के बुज़ुर्ग और 65 साल की महिला पर लाठियों से हमला कर दिया. इस मारपीट में एक ही परिवार के 8 लोग घायल हो गए.
दरअसल, यह पूरा मामला एक पुराने मकान को लेकर उपजे विवाद का है. रिपोर्ट में 70 वर्षीय रामस्वरूप के परिजनों के हवाले से बताया गया है कि रामस्वरूप के छोटे भाई की पत्नी बदामी देवी और उनके बेटे व पोते पुराने मकान पर कब्ज़ा करना चाहते हैं. इसको लेकर पहले भी मारपीट की धमकी दी गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक़, 18 जनवरी को बदामी देवी के परिवार के जितेंद्र, सतीश, योगेश ऊर्फ सूगला, तुलसी, रामभरोसा उर्फ बच्चा, गजन, गजेंद्र, गिरीराज, नरेश, गोपाल, सुमन, पूजा, सुनीता ऊर्प धोली, अंचल सहित क़रीब 18 लोगों ने लाठी-डंडो से रामस्वरूप के परिवार पर अचानक से हमला कर दिया.
आगे बताया गया है कि इस हमले में रामस्वरूप, रोहिताश, कृपा देवी, मिश्रो देवी, बिरमा शर्मा, टेकचंद, खुशबु शर्मा, उमा शंकर घायल हो गए. घायलों को इलाज के लिए थानागाजी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भर्ती करवाया गया. गंभीर रूप से घायल रोहिताश, कृपा देवी, मिश्रो देवी, बिरमा शर्मा और टेकचंद को जयपुर रेफर किया गया.
हमने पाया कि रिपोर्ट में उल्लिखित पीड़ित और आरोपी पक्ष हिंदू समुदाय से हैं. इनमें से कोई भी मुसलमान नहीं है.
कई मीडिया संस्थानों ने इस घटना को कवर किया. किसी भी मीडिया रिपोर्ट में उपरोक्त घटना में सांप्रदायिक एंगल का कोई जिक्र नहीं है. रिपोर्ट में घटना का कारण एक ही परिवार के बीच मकान को लेकर विवाद बताया गया है.
हमने पाया कि इस घटना में दोनों पक्षों की तरफ़ से एफ़आईआर दर्ज कराई थी. इसमें से हम एक एफ़आईआर एक्सेस करने में सफल रहे, जिसमें स्पष्ट रूप से मकान के विवाद का ज़िक्र है. इस एफ़आईआर में दर्ज नाम मीडिया रिपोर्ट्स में आए नामों से भी मेल खाते हैं. इसमें कहीं भी हिंदू-मुस्लिम एंगल का जिक्र नहीं है.
इसके बाद हमने अलवर के थानागाजी थाना अधिकारी राजेश कुमार मीणा से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि मारपीट की घटना का यह वीडियो उनके ही थाना क्षेत्र के चीमा की ढाणी का है. यह एक पारिवारिक मकान को लेकर हुए विवाद का है. उन्होंने वीडियो में मारपीट करते हुए नज़र आने वालों की पहचान सतीश शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, तुलसी शर्मा, गजन, सुमन के रूप में की. इनमें से तीन लोगों को जेल भेजा चुका है.
“सोशल मीडिया पर जो दावा किया गया है, ग़लत है. दोनों पक्ष हिन्दू, ब्राहमण हैं. इसमें कोई मुस्लिम नहीं है”, थाना अधिकारी राजेश कुमार मीणा ने लॉजिकली फ़ैक्ट्स को स्पष्ट किया.
इसके अलावा, हमें अलवर पुलिस का 27 जनवरी 2024 का एक एक्स पोस्ट मिला, जिसमें वायरल दावे का खंडन करते हुए इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल होने से इंकार किया गया है.
निर्णय
वायरल हो रहे वीडियो के साथ यह दावा कि इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को हिंदुओं के घर में घुसकर उन्हें पीटते हुए दिखाया गया है, ग़लत है. यह मामला पारिवारिक विवाद का है. दोनों पक्ष हिन्दू हैं और इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. इसलिए हम वायरल दावे को ग़लत मानते हैं.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन, कंटेंट और फोटो में बदलाव करके रिपोर्ट को रिपब्लिश किया है.