लखनऊ रेलवे स्टेशन के बाहर बारिश में डूबी सड़क पर चलती नाव का ये वीडियो एडिटेड है
वायरल वीडियो एडिटेड है. लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर बारिश से डूबी सड़कों का फुटेज असली है, लेकिन इसमें नाव वाला हिस्सा एडिट करके जोड़ा गया है.
फैक्ट चैक
निर्णय [फ़ेक]लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर बारिश से जलमग्न सड़क के एक वीडियो में एडिट करके यह दिखाया गया है कि पानी में डूबी सड़कों पर नाव चल रही है. |
दावा क्या है?
लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर जलमग्न सड़क का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सड़क पर एक नाव चलती हुई दिखाई दे रही है. इस वीडियो के ज़रिए दावा किया जा रहा है कि स्टेशन के बाहर सड़कों पर जलभराव के कारण नाव का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह वीडियो उत्तर प्रदेश और उत्तरी भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश के दौरान सामने आया है, जिसके कारण राज्य की राजधानी लखनऊ में काफ़ी जलभराव हो गया था.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन दिया, "लखनऊ चारबाग स्टेशन के सामने नाव चल रही है जब डबल इंजन मिलकर घोटाला करता है तो सड़क नाव चलती है, शहर वेनिस बन जाता है." इस पोस्ट को अब तक 300,000 से ज़्यादा बार देखा गया है. पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों वाले अन्य पोस्ट यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स, फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
फ़ेसबुक पर भी यह वीडियो अपर्याप्त जल निकासी बुनियादी ढांचे के लिए "डबल-इंजन" सरकार (केंद्र और राज्य में) की आलोचना करने वाले कैप्शन के साथ शेयर किया गया है. कुछ पोस्ट में व्यंग्यात्मक रूप से शहर की तुलना वेनिस से की गई है.
फ़ेसबुक पर वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: फ़ेसबुक/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वायरल हो रहा वीडियो एडिटेड है. मूल वीडियो देखने पर पता चलता है कि वहां कोई नाव मौजूद नहीं थी, और नाव की क्लिप को स्टेशन के बाहर जलभराव वाली सड़क के वीडियो पर सुपरइम्पोज किया गया है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजबीन की, तो हमें मूल वीडियो मिला, जो लखनऊ में जलभराव वाली सड़कों के 23 सेकंड के मोंटाज का हिस्सा है. यह वीडियो यूट्यूब (आर्काइव यहां) और इंस्टाग्राम (आर्काइव यहां) पर अपलोड किया गया था. चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर की सड़कों को दिखाने वाला हिस्सा इस वीडियो में 0:13 मार्क पर दिखाई देता है; और ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें कोई नाव नहीं है.
वायरल वीडियो की मूल वीडियो से तुलना. (स्रोत: एक्स, इंस्टाग्राम/स्क्रीनशॉट)
वीडियो की बारीकी से जांच करने पर वायरल वर्ज़न और मूल वीडियो में कई विसंगतियां सामने आती हैं, जिससे पता चला कि क्लिप को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके एडिट किया गया था. मूल वीडियो में सड़क पर दो ऑटो-रिक्शा दिखाई देते हैं, जबकि वीडियो के एडिटेड वर्ज़न में एक ऑटो-रिक्शा और एक वाहन जैसी दिखने वाली काली, विकृत तस्वीर दिखाई देती है.
ऐसी विकृतियां एआई जनरेटेड दृश्यों की विशेषता होती हैं. इसके अलावा, वीडियो के बाकी हिस्से और मूल फुटेज में सड़क पर चलती हुई गाड़ियां दिखाई देती हैं, जबकि वायरल वीडियो में नाव वाले हिस्से के बैकग्राउंड में कोई हलचल दिखाई नहीं देती है.
वायरल वीडियो के बैकग्राउंड में काले रंग का विकृत वाहन. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हमने वीडियो का विश्लेषण आईआईटी जोधपुर द्वारा विकसित डीपफेक डिटेक्शन टूल इतिसार का उपयोग करके भी किया, जिसे आईआईटी जोधपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मयंक वत्स ने वेरीफाईड किया है. टूल ने वीडियो को फ़ेक के रूप में वर्गीकृत किया, जिसमें बताया गया कि यह डीपफ़ेक नहीं है, लेकिन नाव को जोड़ा गया है और फ्रेम को बदला गया है.
निर्णय
वायरल वीडियो एडिटेड है. लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन के बाहर बारिश से डूबी सड़कों का फुटेज असली है, लेकिन इसमें नाव वाला हिस्सा एडिट करके जोड़ा गया है.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.