फैक्ट चेक
निर्णय फ़ेकशिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे का उर्दू को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग वाला यह वायरल बयान फ़र्जी है. |
दावा क्या है?
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम से एक बयान वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि उन्होंने मांग की है कि उर्दू को मराठी की तरह शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए, जो कि महाराष्ट्र में व्यापक रूप से बोली जाती है.
वायरल पोस्ट में ठाकरे की तस्वीर के साथ एक ग्राफ़िक है. इसके ऊपर मराठी में लिखा है: “हमारी मांग है कि उर्दू को मराठी की तरह ही शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए.”
महाराष्ट्र बीजेपी के नेता दिलीप मटकर द्वारा शेयर की गई एक फ़ेसबुक पोस्ट में मराठी में कैप्शन के साथ ग्राफ़िक शामिल है, जिसमें कहा गया है, “पिता हिंदू हृदय के सम्राट हैं, और यह सज्जन उर्दू हृदय के सम्राट हैं.” इसी तरह की पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
अक्तूबर 3, 2024 को सरकार ने पांच भाषाओं- मराठी, पाली, असमिया, प्राकृत और बंगाली- को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में नामित किया था, जो मौजूदा शास्त्रीय भाषाओं: कन्नड़, संस्कृत, तेलुगु, तमिल, मलयालम और ओडिया की सूची में शामिल होती हैं.
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि उद्धव ठाकरे के नाम से वायरल हो रहा बयान फ़र्जी है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने वायरल ग्राफ़िक पर 'ABP माझा' का लोगो देखा. इससे हिंट लेते हुए, हमने एबीपी माझा के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर इसी तरह के पोस्ट की खोज की, लेकिन ठाकरे की ओर से उर्दू को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का कोई बयान नहीं मिला.
हमने पाया कि उद्धव ठाकरे की तस्वीर के साथ एक बहुत ही समान ग्राफ़िक टेम्पलेट का इस्तेमाल पहली बार 2022 में एबीपी माझा द्वारा किया गया था (आर्काइव यहां) लेकिन इसमें मराठी में एक अलग कथन था, जिसका अनुवाद इस प्रकार था: “कल मुंबई में मंगलमूर्ति और 'अमंगलमूर्ति' को देखा. (हम) उन लोगों को आसमान दिखाएंगे जो ज़मीन दिखाने की बात करते हैं.”
इस ग्राफ़िक का इस्तेमाल मई 2024 (आर्काइव यहां) में एबीपी माझा के आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर भी किया गया था, जिसमें मराठी में ठाकरे का एक और बयान था: "वे उन सभी चरित्रहीन, भ्रष्ट और देशद्रोहियों को इकट्ठा करके संतुष्ट नहीं हैं. इसलिए उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जिसका उपनाम हो, और वह भी उन्होंने किराए पर लिया हो."
लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने उद्धव ठाकरे के सोशल मीडिया अकाउंट की भी जांच की लेकिन उर्दू को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग करने वाला कोई बयान नहीं मिला. हमें गूगल सर्च से भी कोई संबंधित परिणाम या मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें कथित बयान का हवाला दिया गया हो, जिससे इसकी अप्रमाणिकता की पुष्टि होती है.
हमने प्रतिक्रिया के लिए एबीपी से संपर्क किया है और प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि उद्धव ठाकरे के नाम से मराठी की तरह उर्दू को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग करने वाला बयान असल में मनगढ़ंत है. उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. एबीपी माझा का वायरल ग्राफ़िक फ़ेक है.