उत्तर प्रदेश ने दो ‘बच्चों की नीति’ नहीं किया क़ानून लागू
सोशल मीडिया यूज़र्स का यह दावा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दो बच्चों की नीति लागू कर दी है, जो कि ग़लत है.
फैक्ट चैक
निर्णय [भ्रामक]उत्तर प्रदेश में दो बच्चों की नीति पर एक मसौदा विधेयक सरकार को सौंपा गया है, लेकिन इसे अभी तक पारित या लागू नहीं किया गया है. |
दावा क्या है?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अधिकारियों के साथ बैठक की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि उत्तर प्रदेश में दो बच्चों की नीति लागू हो गई है. पोस्ट में कहा गया है कि इस नीति के मुताबिक़, दो से ज़्यादा बच्चे होने पर कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी. यूपी में दो से ज़्यादा बच्चे वाले परिवारों को सरकारी नौकरी, राशन, आवास समेत कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने इस तस्वीर के साथ कैप्शन दिया, “उत्तर प्रदेश में दो बच्चों का कानून लागू हुआ. अगर आपके दो से ज़्यादा बच्चे हैं, तो कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी. कोई सरकारी नौकरी नहीं, कोई पीएम राशन नहीं, कोई घर नहीं.” पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. ऐसे ही दावों के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
कुछ यूजर्स ने एक न्यूज़ चैनल की एक छोटी क्लिप भी शेयर की है, जिसमें एंकर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मुख्यमंत्री जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक नई योजना लेकर आए हैं. इस पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, यह दावा भ्रामक है. दो बच्चों की नीति के लिए एक मसौदा विधेयक राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया है, लेकिन अभी तक इसे पारित या लागू नहीं किया गया है.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने वायरल तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर जून 6, 2024 को पोस्ट की गई थी. इस पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है कि तस्वीरें राज्य की लोक कल्याण परियोजनाओं की समीक्षा के लिए एक बैठक के दौरान ली गई थीं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कार्यालय द्वारा पोस्ट (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
इस पोस्ट में दो बच्चों की नीति क़ानून के लागू होने या चर्चा का कोई ज़िक्र नहीं है.
इसके अलावा, वायरल पोस्ट में शेयर की गई न्यूज़ क्लिप भी पुरानी है. हमें रिपब्लिक भारत के यूट्यूब चैनल पर जुलाई 11, 2021 को अपलोड हुआ एक वीडियो (आर्काइव यहां) मिला, जिसमें वायरल हिस्सा क़रीब 16 मिनट पर देखा जा सकता है और 18:11 की समयावधि पर ख़त्म होता है. इसमें न्यूज़ एंकर बताता है कि उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने सिफ़ारिश की है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोगों को सरकारी नौकरियों से वंचित किया जाना चाहिए; और कुछ सरकारी कल्याणकारी योजनाओं और लाभों के लिए अयोग्य होना चाहिए.
ड्राफ्ट बिल में क्या है?
दो बच्चों की नीति पर कीवर्ड सर्च करने पर, हमें 2021 की न्यूज़ रिपोर्ट मिलीं, जिसमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने 2021 में जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित बिल का एक ड्राफ्ट राज्य सरकार के साथ शेयर किया था.
उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक, 2021 मसौदा के मुताबिक़, दो से अधिक बच्चों वाले दम्पतियों को सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति पाने या सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने की अनुमति नहीं होगी. असम में भी ऐसी ही नीति लागू है, जो असम लोक सेवा (सीधी भर्ती में छोटे परिवार के मानदंडों का अनुप्रयोग) नियम, 2019 के तहत दो से अधिक बच्चों वाले माता-पिता को सरकारी नौकरियों से रोकती है.
लॉजिकली फ़ैक्ट्स ने उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव के निजी सचिव सैयद अहमद हुसैन रिज़वी से बात की. रिज़वी ने कहा, "प्रस्ताव 2021 में सरकार के साथ शेयर किया गया था और उनके पास लंबित है. तब से कोई नया प्रस्ताव या लागू नहीं हुआ है."
हमें कोई आधिकारिक घोषणा नहीं मिली कि उत्तर प्रदेश ने इस क़ानून को लागू किया है. हमारी जांच में सामने आया कि विधेयक अभी भी राज्य सरकार के पास लंबित है. हमने उत्तर प्रदेश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट की जांच की, जहां 2024 में लागू किए जाने वाले क़ानूनों की सूची दी गई है और उनमें दो 'दो बच्चों की नीति' शामिल नहीं है.
निर्णय
सोशल मीडिया यूज़र्स का यह दावा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दो बच्चों की नीति लागू कर दी है, ग़लत है. उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के साथ काम करने वाले एक अधिकारी ने हमें बताया कि विधेयक अभी भी लंबित है और इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.