CLAIM वीडियो में देखा जा सकता है कि बांग्लादेश में मुस्लिमों ने हिंदुओं के खेतों में रखी फसल पर पेट्रोल डालकर उसे जला दिया. FACT CHECK बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया वीडियो में दिख रहा किसान हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम है. न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार बीते 4 दिसंबर को बांग्लादेश स्थित कुश्तिया के पिअरपुर में नसीम मियां की फसल पेट्रोल डालकर जला दी गई थी. |
सोशल मीडिया पर बांग्लादेश में मुस्लिमों द्वारा जानबूझकर हिंदू किसान की फसल जला देने के सांप्रदायिक दावे से एक वीडियो वायरल है.
लगभग 2 मिनट 17 सेकंड के इस वीडियो में रोते-बिलखते किसान अपनी आपबीती बताते हुए कहते हैं, सुबह 3:30 बजे के करीब देखा कि खेत में आग लगी हुई है. ऐसा लग रहा था जैसे पेट्रोल का इस्तेमाल कर फसलों में आग लगाई गई है.
बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. वीडियो में दिख रहा किसान हिंदू नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय से आता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित किसान का नाम नसीम मियां है.
एक्स पर दक्षिणपंथी यूजर जितेंद्र प्रताप सिंह ने वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया कि बांग्लादेश में मुस्लिम हिंदुओं की फसल जलाकर नष्ट कर रहे हैं.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
बूम पहले भी यूजर जितेंद्र प्रताप सिंह द्वारा किए गए कई गलत दावों का फैक्ट चेक कर चुका है. रिपोर्ट्स यहां, यहां और यहां देखें.
फैक्ट चेक: पीड़ित किसान हिंदू नहीं है
बांग्लादेश में पेट्रोल डालकर फसल जलाने की इस घटना से संबंधित बांग्ला कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें The News 24 की 6 दिसंबर 2024 एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से मिलती-जुलती तस्वीर देखी जा सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश के कुश्तिया स्थित पिअरपुर गांव में किसान नसीम मियां ने लीज पर ली हुई डेढ़ बीघे जमीन में धान की खेती की थी. उन्होंने धान काटकर खेत में सुखाने के लिए रख छोड़ा था. इसी बीच 4 दिसंबर की रात को कुछ बदमाशों ने नसीम मियां की खेत में रखी धान की फसल को आग के हवाले कर दिया. घटनास्थल पर पेट्रोल की बोतलें भी पाई गई थीं.
रिपोर्ट में आरोपियों के संदर्भ में नसीम के हवाले से बताया गया, "मेरा कोई दुश्मन नहीं है. मैंने कुछ स्थानीय लड़कों को धान के खेतों में शरारत करने के लिए डांटा था. हो सकता है उन्होंने ऐसा किया हो."
रिपोर्ट में मौके पर पहुंची कुश्तिया पुलिस के हवाले से मामले की जांच की बात भी कही गई है.
कालबेला, चैनल 24, देश टीवी समेत कई बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट्स ने इस घटना पर रिपोर्टिंग की थी. इन सभी रिपोर्ट्स में पीड़ित किसान का नाम नसीम मियां बताया गया. इसके अलावा किसी भी रिपोर्ट घटना में किसी हिंदू-मुस्लिम एंगल का जिक्र नहीं किया गया था.
[डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट Shakti Collective के पार्ट के तहत पहले Boom पर छपी थी. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.]