माँ-बेटे की सालों पुरानी तस्वीर ‘हिंदू महिला की बेटे से शादी’ के फ़र्ज़ी दावे से वायरल
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि मां और बेटे की सालों पुरानी तस्वीर को उनकी शादी के ग़लत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
फैक्ट चैक
निर्णय [असत्य]2013 में जेल से रिहा होने के बाद अपने बेटे के साथ खड़ी एक महिला की तस्वीर इस ग़लत दावे के साथ शेयर की गई है कि उन दोनों ने शादी कर ली है. |
दावा क्या है?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि ज्योति पाठक नाम की महिला ने अपने पति की मौत के बाद अपने बेटे विकास पाठक से शादी कर ली है. इस वीडियो में एक तस्वीर दिखाई गई है जिसमें एक महिला और एक लड़का साथ में नज़र आ रहे हैं, जिन्हें ज्योति और विकास पाठक बताया जा रहा है.
यह वीडियो एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ख़ूब शेयर किया जा रहा है. इन पोस्ट्स में कैप्शन दिया गया है, "देखो हिन्दुओ विकास पाठक ने अपनी माँ-ज्योति पाठक से शादी करके बीबी बना लिया! और तुम हलाल के नाम पर मुसलमानों को बदनाम करते हो. ऐसे दावों के साथ शेयर किये गए पोस्ट्स के आर्काइव वर्ज़न यहां, यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल पोस्ट्स के स्क्रीनशॉट. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि तस्वीर में दिखाई गई महिला का नाम विजय कुमारी है और लड़के का नाम कन्हैया है, जिसने 2013 में अपनी मां की 20 साल की जेल की सज़ा से रिहाई कराया था. उन्होंने शादी नहीं की.
हमने सच का पता कैसे लगाया?
हमने वायरल वीडियो में दिखाई गई महिला और लड़के की तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये खोजा, तो हमें यह 2013 की कई मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई मिली. मई 27, 2023 को प्रकाशित ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में इस तस्वीर के साथ जानकारी देते हुए बताया गया कि एक भारतीय महिला विजय कुमारी के बेटे कन्हैया ने उसे जेल से बाहर निकाला है — 19 साल पहले उसने जेल में ही अपने बेटे को जन्म दिया था।
हमने वायरल वीडियो में दिख रही महिला और लड़के की तस्वीर पर रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि यह 2013 की कई मीडिया रिपोर्ट्स में मौजूद है. जून 13, 2013 को प्रकाशित फुके न्यूज की एक रिपोर्ट में तस्वीर के साथ जानकारी दी गई कि एक भारतीय महिला विजय कुमारी को उसके बेटे कन्हैया ने जेल से बाहर निकाला, जिसे उसने 19 साल पहले जेल में ही जन्म दिया था.
मई 24, 2013 को 'जेल में पैदा हुए बेटे ने दिलाई माँ को आज़ादी' शीर्षक के साथ प्रकाशित बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट में विजय कुमारी और कन्हैया की अन्य तस्वीरें भी हैं और दोनों की विस्तृत कहानी बताई गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 80 के दशक में विजय कुमारी अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रहती थीं. अक्टूबर 1989 में उन पर पड़ोस के ढाई साल के बच्चे की हत्या का आरोप लगा. अलीगढ़ की एक निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई पांच साल तक चली और दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें लखनऊ जेल भेज दिया गया. उस समय विजय कुमारी गर्भवती थीं.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि विजय कुमारी के पति कांति प्रसाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत तो ले ली लेकिन ज़रूरी बॉन्ड नहीं भर पाए, जिसके चलते उनकी रिहाई नहीं हो सकी. इसी बीच विजय कुमारी ने जेल में एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने कन्हैया रखा. उन्होंने कन्हैया को चार साल की उम्र में लखनऊ सुधार गृह भेज दिया और फिर जब वह 18 साल का हुआ तो उसे कानपुर में किशोर लड़कों के लिए उत्तर प्रदेश संरक्षण एवं पुनर्वास केंद्र में जगह मिल गई. रिपोर्ट में पुनर्वास केंद्र के चेयरमैन रहमान के हवाले से कहा गया है कि कन्हैया ने यहां दर्जी का काम और अपनी मां को छुड़ाने के लिए पैसे इकट्ठा करना शुरू कर दिया.
जुलाई 12, 2013 को गल्फ़ न्यूज़ ने विजय कुमारी और कन्हैया की कहानी पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें विजय कुमारी और कन्हैया की टिप्पणी शामिल है. रिपोर्ट में लिखा है कि कन्हैया को ख़बर मिली कि जेल में उसकी दोस्त बनी एक महिला को जमानत मिल गई है, और उसने सुझाव दिया कि विजय को भी जमानत मिल सकती है. उसने उसे इलाहाबाद के एक वकील अरविंद कुमार सिंह से संपर्क करने का सुझाव दिया.
गल्फ़ न्यूज़ रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट. (सोर्स: गल्फ़ न्यूज़/स्क्रीनशॉट)
कन्हैया ने बिना समय गंवाए तुरंत वकील से संपर्क किया और उसने वकील के साथ प्रक्रिया शुरू की. हालांकि उन्हें एक आश्चर्य का सामना करना पड़ा जब उन्हें पता चला कि विजय कुमारी को 1994 में ही जमानत मिल गई थी, लेकिन उसका पति बॉन्ड की राशि और गारंटर का इंतजाम नहीं कर पाया था, इसलिए मामला दब गया.
इस बारे में पता चलने पर वकील ने तुरंत इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और विजय की रिहाई की मांग की. इसके बाद, अप्रैल 2013 में अदालत ने कन्हैया को तलब किया. अदालत में उसने अपनी मां की रिहाई की गुहार लगाई. अदालत ने आदेश दिया कि विजय को तुरंत रिहा किया जाए और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह महिला को पर्याप्त मुआवजा दे, जो उसने सलाखों के पीछे बिताए. आखिरकार मई 4, 2013 को विजय कुमारी जेल से रिहा हो गई.
कन्हैया के अलावा विजय कुमारी के दो और बच्चे हैं — विजय शर्मा और चंद्रावती.
अपनी मां विजय कुमारी की रिहाई के लिए कन्हैया के संघर्ष की कहानी न्यूज़18 और अमर उजाला सहित कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने भी प्रकाशित की थी. किसी भी रिपोर्ट में यह ज़िक्र नहीं है कि जमानत मिलने के बाद दोनों ने शादी की थी.
निर्णय
हमारी अब तक की जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि मां और बेटे की सालों पुरानी तस्वीर को उनकी शादी के ग़लत दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट पहले logicallyfacts.com पर छपी थी. स्पेशल अरेंजमेंट के साथ इस स्टोरी को एबीपी लाइव हिंदी में रिपब्लिश किया गया है. एबीपी लाइव हिंदी ने हेडलाइन के अलावा रिपोर्ट में कोई बदलाव नहीं किया है.