AFSPA: सरकार ने अरुणाचल के तीन जिलों में बढ़ाया अफस्पा, जानें किन राज्यों में है लागू, क्यों है विवाद
Arunachal Pradesh AFSPA: केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के 3 जिलों में अफस्पा (AFSPA) को 30 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है. इसके अलावा सूबे के 2 पुलिस स्टेशनों में आने वाले इलाकों में भी ये बढ़ाया गया है.
AFSPA In 3 Districts Of Arunachal Pradesh: भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश (AP) के 3 जिलों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम-अफस्पा (Armed Forces Special Powers Act) को शनिवार (1 अक्टूबर) अगले साल मार्च तक बढ़ा दिया है. सरकार ने इन जिलों की सुरक्षा का रिव्यू करने बाद यह कदम उठाया है. गृह मंत्रालय ने इसे लेकर एक अधिसूचना जारी की है. इसके मुताबिक केंद्र सरकार ने एपी के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों में अफस्पा को 1 अक्टूबर 2022 से लेकर 30 मार्च 2023 तक के लिए बढ़ाया है.
पुलिस स्टेशन भी अफस्पा के दायरे में
गृह मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के 3 जिलों में 30 मार्च 2023 तक सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम-अफस्पा बढ़ाने की अधिसूचना जारी की है. साथ ही एमएचए (MHA) ने शुक्रवार (30 सितंबर) को जारी अधिसूचना में सूबे के नामसाई जिले के दो पुलिस स्टेशन के इलाकों को भी इसमें शामिल किया है. नामसाई जिले के (Namsai) और महादेवपुर (Mahadevpur ) पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में भी अफस्पा (AFSPA) को बढ़ाया गया है.
दरअसल इन पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों को अफस्पा की धारा 3 के तहत 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया गया है. इन दोनों पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों में अफस्पा को 1 अक्टूबर 2022 से लेकर 6 महीने के वक्त तक बढ़ाया गया है. ये इन इलाकों में तब-तक बना रहेगा जब-तक इसे वापस नहीं लिया जाता. नामसाई जिले के ये इलाके असम की सीमा से लगते हैं.
क्या है अफस्पा
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम-अफस्पा (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को भारत की संसद आज से 64 साल पहले लेकर आई थी. ये सुरक्षा बलों (Security Forces) को बगैर वारंट के किसी शख्स को गिरफ्तार करने और कुछ अन्य कार्रवाइयों के साथ ही वारंट के बगैर किसी भी परिसर (Premises)में जाने या तलाशी लेने का हक देता है. ये अधिनियम अशांत इलाकों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए सुरक्षा बलों को कुछ खास शक्तियां देता है.
इसके तहत सशस्त्र बल इस तरह के किसी भी इलाके में 5 या 5 से ज्यादा लोगों के जमा होने पर रोक लगा सकते हैं. इस तरह के इलाकों में सशस्त्र बल कानून तोड़ने वाले शख्स को आगाह करने के बाद उस पर बल का इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां तक की गोली भी चला सकते हैं. इस कानून के बेजा इस्तेमाल को लेकर सशस्त्र बलों पर आरोपों- प्रत्यारोप भी लगते रहे हैं. मसलन सीबीआई की जांच में सशस्त्र बलों की कई मुठभेड़ों के फर्जी पाए जाने के बाद इस पर विवाद भी गहराए हैं.
ब्रितानी हुकूमत के वक्त भी था ये
साल 1942 का सशस्त्र बल विशेषाधिकार अध्यादेश 15 अगस्त 1942 को ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए लाई थी. इसी तर्ज पर भारत सरकार ने साल 1947 में चार अध्यादेश- बंगाल अशांत क्षेत्र (सशस्त्र बलों की विशेष शक्तियां) अध्यादेश, असम अशांत क्षेत्र (सशस्त्र बलों की विशेष शक्तियां) अध्यादेश, पूर्वी बंगाल अशांत क्षेत्र (सशस्त्र बलों की विशेष शक्तियां) अध्यादेश, संयुक्त प्रांत अशांत क्षेत्र (सशस्त्र बलों की विशेष शक्तियां) अध्यादेश लागू किए. साल 1947 में बंटवारे के बाद देश में आंतरिक सुरक्षा को पैदा हुए खतरों को देखते सरकार ये अधिनियम लेकर आई थी. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 355 हर सूबे को आंतरिक अशांति से बचाने के लिए केंद्र सरकार को शक्ति देता है.
2022 कम किया गया अफस्पा का दायरा
केंद्र सरकार ने 2022 में लगभग 64 साल बाद पूर्वोत्तर के असम, नगालैंड (Nagaland) और मणिपुर राज्यों में अफस्पा के दायरे को कम किया है. असम के 23 जिलों से इसे पूरी तरह से गया. वहीं मणिपुर के 6 जिलों और नागालैंड के 7 जिलों के 15-15 पुलिस थानों से भी इसे हटा लिया गया है. सरकार ने ये कदम इन इलाकों में आई स्थिरता और बेहतर होती सुरक्षा व्यवस्था की वजह से उठाया है. सरकार ने अफस्पा का दायरा अरुणाचल प्रदेश में भी कम किया गया, लेकिन वहां ये कुछ हद तक अभी भी लागू है. पंजाब और चंडीगढ़ इस कानून के दायरे से 1997 में मुक्त हो गए थे. साल 1990 से जम्मू -कश्मीर (Jammu- Kashmir) में भी लगा है.
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