डूम्सडे क्लॉक में कम कर दिए गए 10 सेकेंड, जानिए क्यों कहते हैं इसे कयामत की घड़ी
डूम्सडे क्लॉक जिसे कयामत की घड़ी भी कहा जाता है, इसमें अगर समय रात के 12 बजे हुआ तो इसका मतलब की दुनिया समाप्त हो जाएगी.
पूरी दुनिया में जिस तरह से इंसानी और प्राकृतिक आपदाओं ने तांडव मचाया है उसे देखकर कोई भी कह सकता है कि शायद अब यह पृथ्वी प्रलय की ओर और तेजी से बढ़ने लगी है. बड़े देशों के बीच हो रहे युद्ध हों या फिर क्लाइमेट चेंज की वजह से पृथ्वी और उसके वातावरण में परिवर्तन, सब कुछ हमें विनाश की ओर धकेल रहे हैं. इन्हीं सब संकेतों को देखते हुए दुनिया के कुछ परमाणु वैज्ञानिकों ने तबाही का संकेत देने वाली डूम्सडे क्लॉक में 10 सेकंड कम कर दिए हैं. बीते 3 सालों में ऐसा पहली बार किया गया है. आपको बता दें इस घड़ी को कयामत की घड़ी कहते हैं और इसे बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा सेट किया जाता है.
इस घड़ी में 12 बजे तो क्या होगा
डूम्सडे क्लॉक जिसे कयामत की घड़ी भी कहा जाता है, इसमें अगर समय रात के 12 बजे हुआ तो इसका मतलब की दुनिया समाप्त हो जाएगी. इस घड़ी में 10 सेकंड कम करने के पीछे वजह बताई जा रही है रूस और यूक्रेन का युद्ध. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दोनों देशों का युद्ध अपने चरम अवस्था पर है और ऐसे में परमाणु हमले की आशंका और ज्यादा बढ़ गई है. अगर इस युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो दुनिया विनाश की ओर बहुत तेजी से बढ़ेगी.
डूम्सडे क्लॉक आज से पहले तबाही के इतने नजदीक नहीं पहुंचा
अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में वैज्ञानिकों की एक जमघट लगी, जिसमें बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने कहा कि आज से पहले डूम्सडे क्लॉक कभी भी तबाही के इतने करीब नहीं पहुंचा. यह सब कुछ रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध, कोरोना महामारी, तेजी से गंभीर होते जलवायु संकट की वजह से हो रहा है.
अब तक तबाही से 100 सेकंड दूरी पर रुकी थी डूम्सडे क्लॉक
पिछले 3 वर्षों से डूम्सडे क्लॉक की सुई रात के 12 बजने से ठीक 100 सेकंड की दूरी पर रुकी थी. लेकिन अब यह महज 90 सेकंड की दूरी पर है. यानी तबाही का समय 10 सेकंड और कम हो गया है. यह घटना आपको भले ही सुनने में छोटी लग रही हो, लेकिन इसकी वजह से दुनियाभर के तमाम बुद्धिजीवी चिंता ग्रस्त हो गए हैं. दरअसल, उन्हें समझ आने लगा है कि तबाही के 10 सेकंड और करीब पहुंचना भविष्य के लिए कितनी बड़ी समस्या है.
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