जब चुनाव लड़ने के लिए विरोधियों की भी मदद करते थे नेता, क्या आपको पता है नेहरू-लोहिया का यह किस्सा
देश में आगामी कुछ महीनों में चुनाव होने वाला है, जिसके लिए तैयारी जारी है. लेकिन आज हम आपको 1962 लोक सभा चुनाव का वो किस्सा बताएंगे जब चुनाव प्रचार के लिए पं नेहरू ने डॉ. लोहिया की मदद की थी.
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भारत में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए आगामी अप्रैल और मई 2024 में चुनाव होना है. बीते कुछ सालों में देश की अलग-अलग पार्टियों से टिकट मिलने के बाद आप सभी लोगों ने चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को प्रचार करते हुए देखा होगा. इस दौरान उम्मीदवारों के तरीके अक्सर लोगों का ध्यान खींचते हैं. लेकिन आज हम आपको देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और समाजवाद की नींव रखने वाले राम मनोहर लोहिया का एक किस्सा सुनाएंगे. जिसमें एक नेता दूसरे नेता को चुनाव प्रचार के लिए मदद करते दिख रहे हैं. जानिए क्या था पूरा मामला.
1962 इलाहाबाद
बता दें कि 1962 के चुनाव में इलाहाबाद की फूलपुर सीट पर पंडित जवाहर लाल नेहरू और और डॉ. राम मनोहर लोहिया में मुकाबला था. इस दौरान चुनाव प्रचार में नेहरू जहां एक तरफ कारों का काफिला लेकर चलते थे, वहीं दूसरी तरफ लोहिया तांगों से चुनाव प्रचार करते थे. उस वक्त जवाहर लाल नेहरू ने राम मनोहर लोहिया को चुनाव प्रचार के लिए जीप और 25 हजार चुनाव खर्च के लिए भेजा था. लेकिन लोहिया ने वह जीप नेहरू को वापस कर दी थी. हालांकि जानकारी के मुताबिक पैसे चुनाव में खर्च हुए थे. इस घटना ने देश-विदेश की मीडिया का ध्यान खूब खींचा था.
जवाहर लाल नेहरू
फूलपुर लोकसभा सीट पर 1962 को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अभय अवस्थी बताते हैं कि तब पं. नेहरू के खिलाफ चुनाव जीतना तो दूर, लड़ना भी आसान नहीं था. हालांकि नेहरू भी चाहते थे कि उनके मुकाबले कोई बड़ा चेहरा चुनाव मैदान में सामने रहे. वहीं जब डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में फूलपुर से नामांकन का ऐलान किया था, तो उनके राजनीतिक सहयोगियों ने सलाह दी कि दूसरी सीट से लड़ना ज्यादा ठीक रहेगा. इस बात पर राम मनोहर लोहिया टस से मस नहीं हुए थे. लोहिया ने कहा कि चाहे जो भी हो जाए वह नेहरू की नीतियों के विरोध में फूलपुर से ही चुनाव लड़ेंगे. हालांकि ये सच है कि उस दौरान इस सीट पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थी. चुनाव परिणाम आने के बाद नेहरू की जीत हुई थी.
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