2000 Rupee Note: 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन वापस ले लिया है. हालांकि, 2000 का नोट कई सालों से कम ही देखने को मिल रहा था. कहा तो यह भी जाता था कि RBI ने बहुत पहले ही 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी थी. ऐसे में एक सवाल आपके ज़हन में आ सकता है कि आखिर नोटों की छपाई होती कहां है और इसे कौन करता है?


दरअसल, भारतीय करेंसी छापने का काम भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का होता है. जिसके लिए देशभर में चार प्रिंटिंग प्रेस हैं. यहीं पर नोट छापे जाते हैं और भारतीय करेंसी के सिक्के भी चार मिंट में बनाए जाते हैं.


देश में सिर्फ यहां छपते हैं नोट


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में नोट छापने के उद्देश्य से साल 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में एक प्रिंटिंग प्रेस शुरू की गयी थी. जिसमें 10, 100 और 1000 के नोट छापने का काम शुरु किया गया था. हालांकि,  तब भी कुछ नोट इंग्लैंड से मंगाए जाते थे. साल 1947  तक नोट छापने के लिए सिर्फ नासिक प्रेस ही कार्यरत थी. उसके बाद साल 1975 में मध्यप्रदेश के देवास में देश की दूसरी प्रेस शुरू की गई और 1997 तक इन दोनों प्रेस से नोट छापे जा रहे थे.


चार जगह छपते हैं नोट


साल 1997 में सरकार ने अमेरिका, कनाडा और यूरोप की कंपनियों से भी नोट मंगवाने शुरू किए. साल 1999 में कर्नाटक के मैसूर में और फिर साल 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में भी नोटों की छपाई के लिए प्रेस शुरू की गई. कुल मिलाकर भारत में वर्तमान में चार नोट छापने की प्रेस हैं. 


देवास और नासिक की प्रेस वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नेतृत्व में काम करती हैं. वहीं, सलबोनी और मैसूर की प्रेस को भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड संचालित करती है.


कहां से आता है पेपर?


भारतीय मुद्रा के नोट में इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर पेपर जर्मनी, यूके और जापान से आयात किया जाता है. RBI अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय मुद्रा के 80% नोट विदेश से आने वाले कागज पर ही छपते हैं. वैसे भारत के पास भी एक पेपर मिल सिक्योरिटी पेपर मिल (होशंगाबाद) है. जो नोट और स्टांप के लिए पेपर बनान का काम करती है. वहीं, नोटों में लगने वाली स्पेशल स्याही स्विजरलैंड की कंपनी SICPA से मंगाई जाती है.


भारत में भी लगी स्याही बनाने वाली यूनिट


हालांकि, कर्नाटक के मैसूर में भी केंद्रीय बैंक की सब्सिडियरी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण (BRBNMPL) की स्याही बनाने वाली यूनिट वर्णिका (Vernika) की स्थापना की गयी है. जिसका उद्देश्य देश को नोट छापने के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है.


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