2000 Rupees Note Colour: साल 2016 में नोटबंदी के बाद चलन में आए 2000 के नोटों को अब वापस लिया जा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वो 200 रुपये के नोट को अभी से जारी करना बंद कर दें. आरबीआई ने कहा है कि 2000 के नोट 30 सितंबर 2023 तक लीगल करेंसी में बने रहेंगे यानी अगर आपके पास यह नोट मौजूद हैं तो आप 30 सितंबर तक इन्हें बैंक में जाकर एक्सचेंज करा सकेंगे. साल 2016 में जब 2000 के नोट की घोषणा की गई थी तब सबसे ज्यादा चर्चा इस नोट के रंग को लेकर हुई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले किसी भी भारतीय करेंसी में ऐसा रंग नहीं देखा गया था. 


कुछ लोगों को लगा था कि इस नोट का शेड पिंक है. जबकि कुछ लोगों ने इसे पर्पल शेड बताया था. चूंकि लोगों ने कभी नोट पर ऐसा रंग नहीं देखा था, इसलिए वे 2000 के नोट को देखकर काफी उत्साहित हुए थे.


इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2000 के नोट के शेड का पता लगाने के लिए पैनटोन शेड कार्ड की मदद ली गई. जो लोग 'पैनटोन' के बारे में नहीं जानते. हम उन्हें बता दें कि ये एक अमेरिकी बेस्ड कंपनी है. इसके पास रंगों का अधिकार है. एक तरह से कहें तो पैनटोन कलर सिस्टम को मुहैया कराने का काम करती है. रंगों के बारे में जानकारी के लिए ये सबसे अव्वल दर्जे की कंपनी है. अभी तक हम ये तो जान चुके हैं कि ये कंपनी रंगों से जुड़े बिजनेस से संबंधित है. ऐसे में आइए सबसे पहले जानते हैं कि पैनटोन काम क्या करती है और क्यों इसका काम दुनिया की प्रिंटिंग इंडस्ट्री के लिए बहुत जरूरी है.


पैनटोन कंपनी करती क्या है?


अगर आसान भाषा में कंपनी के काम को समझें, तो ये कुछ ऐसा है. मान लीजिए कोई कंपनी किसी प्रोडक्ट के पैकेट को एक देश में प्रिंट करती है. मगर अब वही कंपनी उसी प्रोडक्ट के पैकेट को दूसरे देश में बेचने के लिए वहां प्रिंट कर रही है. इस तरह एक ही प्रोडक्ट के पैकेट को अलग-अलग देशों में बेचने के लिए स्थानीय रूप से प्रिंट किया जा रहा है. ऐसा करने पर कई बार पैकेट के रंग में हल्का बदलाव देखने को मिलता है. भले ही ये बदलाव बहुत ही ज्यादा मामूली है, मगर इससे कंपनी की छवि खराब होने का खतरा है. 


रंगों में होने वाले इस बदलाव वाली समस्या का समाधान पैनटोन कंपनी करती है. कंपनी दुनियाभर में एक जैसी प्रिंटिंग की जाए इसके लिए कलर सिस्टम मुहैया कराती है. इस कलर सिस्टम को सभी देश मानते हैं. जिससे होता ये है कि अगर कोई कंपनी भारत में किसी पैकेट को प्रिंट कर रही है, तो उस पर जो रंग है. वहीं रंग ब्रिटेन में प्रिंट होने वाले पैकेट पर भी देखने को मिलेगा. इस पूरे सिस्टम को 'Pantone Matching System' के तौर पर जाना जाता है.


2014 में Radiant Orchid बना 'कलर फॉर द ईयर' 


पैनटोन हर साल 'कलर फॉर द ईयर' यानी उस साल के खास रंग को भी जारी करती है. फैशन और इंटीरियर इंडस्ट्रीज फिर इस रंग का इस्तेमाल अपने-अपने प्रोडक्ट्स के लिए करती हैं. पैनटोन ने 2014 में Radiant Orchid को 'कलर फॉर द ईयर' नामित किया था. कंपनी का कहना था, 'रेडिएंट ऑर्किड (Radiant Orchid) बहुत अच्छे ढंग से खिलता है. इसमें जादुई आकर्षण होता है, जो आंखों को अपनी ओर खींचता है और हमारी कल्पनाओं को जगा देता है.'


ऑर्किड को बहुत ही अनोखा फूल माना जाता है. इस रंग को शानो शौकत और विलासिता से जोड़कर देखा जाता है. ये दोनों ही चीजें बैंगनी रंग के साथ भी जोड़कर देखी जाती हैं. हालांकि, 2000 के नोटों को तो 2016 में छापा गया था. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस रंग का इस्तेमाल दो साल बाद क्यों किया गया, जबकि रेडिएंट ऑर्किड तो 2014 में ही 'कलर फॉर द ईयर' बन गया था. 


क्यों इस रंग का नोट पर हुआ इस्तेमाल?


इसकी एक वजह ये हो सकती है कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े अंतर से जीत हासिल कर सरकार बनाई. ऐसे में ये हो सकता है कि वह इस रंग के नोटों के जरिए कोई संदेश देना चाहते हों. रेडिएंट ऑर्किड में बैंगनी रंग का अर्क होता है और बैंगनी रंग में नीले और लाल रंग का. जहां नीला रंग ठहराव का प्रतीक है, तो लाल रंग ऊर्जा का. 


ये भी हो सकता है कि पीएम अपनी सरकार के इरादे को इस रंग के नोट के जरिए दिखाना चाहते हों. मगर वजह चाहे जो कुछ भी हो, किसी को ये नहीं मालूम है कि आखिर इस रंग का चुनाव क्यों किया गया और किसने किया. ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया है. मगर इस रंग को लेकर हम एक बात जरूर कह सकते हैं कि ये बहुत ही अच्छी च्वाइस रही है.


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