देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के लिए तारीख़ों की घोषणा भी कर दी है. बता दें कि पूरे देश में कुल 7 चरण में चुनाव होंगे. देश में आदर्श आचार संहिता चुनाव की घोषणा होने के बाद ही लागू हो जाती है. सुरक्षाबल भी लगातार चुनाव को साफ-सुथरे और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए सुरक्षा जांच करते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जांच के दौरान जब्त पैसों और शराब का चुनाव आयोग और पुलिस क्या करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि चुनाव के दौरान जब्त सामान का क्या होता है.  


चुनाव में प्रचार


चुनाव की तारीख और सीट फाइनल होने के बाद उम्मीदवार और उनके समर्थक चुनाव प्रचार में उतर जाते हैं. वहीं चुनाव आयोग के निर्देशों पर चुनावों के दौरान अवैध या नियमों के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली नगदी,सोना और शराब को पुलिस जब्त करती है. क्योंकि कुछ लोग नियमों का उल्लंघन करके चुनाव में अधिकतर काले धन का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने के लिए पैसे खर्च करने की जो लिमिट तय की है, प्रत्याशी उससे कहीं ज्यादा खर्च करते हैं. 


इसलिए चुनाव के दौरान पुलिस संदिग्ध दिखने वाले वाहनों और लोगों की चेकिंग और पूछताछ करती रहती है. इसके अलावा पुलिस को अपने सूत्रों के आधार पर भी छापामार के कैश या शराब जब्त करती है. 


जब्त शराब का क्या होता है?


अब सवाल ये है कि चुनाव के दौरान कैश के अलावा भारी मात्रा में शराब भी जब्त की जाती है. आखिर प्रशासन उस शराब का क्या करता है. जानकारी के मुताबिक चुनाव के दौरान मिली सभी शराब को पहले तो एक जगह जमा किया जाता है. जिसके बाद उसे एक साथ नष्ट कर दिया जाता है. 


क्या जब्त पैसा वापस मिलता है ?


बता दें कि चुनाव के दौरान पुलिस जो भी कैश जब्त करती है. उसे आयकर विभाग को सौंप दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस व्यक्ति से पुलिस कैश बरामद करती है, वह व्यक्ति बाद में इसके लिए क्लेम कर सकता है. इस दौरान उस व्यक्ति को ये साबित करना होगा कि ये पैसा उसका अपना है. उसने इन पैसों को किसी अवैध तरीके से नहीं कमाया है. अगर यह साबित हो जाता है तो पैसा वापस मिल जाता है. वहीं जिन जब्त पैसे पर कोई दावा नहीं करता है, वो सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है.


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