Kargil Vijay Diwas: टाइगर हिल से लेकर तोलोलिंग तक...दुश्मन को खदेड़कर कारगिल की इन चोटियों पर किसने लहराया था तिरंगा?
आज पूरा देश कारगिल युद्ध में शामिल वीर शहीदों की याद में कारगिल विजय दिवस मना रहा है. देखिए किस तरह से भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को तोलोलिंग से लेकर टाइगर हिल से खदेड़ा था.
आज यानी 26 जुलाई के दिन देश अपने वीर जवानों के लिए कारगिल विजय दिवस मनाता है. लद्दाख के कारगिल को वीरों की धरती कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल से लेकर तोलोलिंग तक भारतीय सेना के जवानों ने कैसे दुश्मनों को खदेड़ा था. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे भारतीय सेना के जवानों ने कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था.
कारगिल युद्ध
कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है. कारगिल को वीरों की धरती भी कहा जाता है. कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराने वाले कर्नल बलवान सिंह ने कारगिल लड़ाई को याद करते हुए बताया कि सेना के अधिकारियों ने बताया कि कुछ पाकिस्तानी घुसपैठी द्रास की चोटियों पर आकर बैठे हैं और हमें उन्हें खदेड़ने का आदेश मिला था. उन्होंने कहा कि 15 मई को हमारी मोमेंट शुरू हुई थी. घुसपैठियों ने श्रीनगर-लेह हाइवे के ठीक सामने तोलोलिंग पीक्स के दोनों प्वाइंटस पर कब्जा जमाया हुआ था. इन चोटियों को प्वाइंट 5140 और प्वाइंट 4875 कहा जाता है, ये चोटियां तोलोलिंग चोटी के पश्चिम में हैं.
इन चोटियों पर भारतीय सेना का चढ़ना काफी चुनौतीपूर्ण था, यही कारण है कि भारतीय सेना को इन चोटियों से घुसपैठियों को भगाने के लिए सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा था. लेकिन 24 दिनों तक भारतीय सेना ने तोलोलिंग की लड़ाई लड़ी थी. हालांकि तोलोलिंग पर जीत हासिल करने के दौरान 2 अफसर, 2 जेसीओ और 25 अन्य रैंक के जवान शहीद हुए थे.
टाइगर हिल पर तिरंगा
तोलोलिंग पर जीत दर्ज करने के बाद भारतीय सैनिकों को टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने का आदेश मिला था. हालांकि टाइगर हिल 7500 फीट ऊंचा है और वहां तक पहुंचकर पाकिस्तानी घुसपैठियों को भगाना आसान नहीं था. 4 जुलाई 1999 को योगेन्द्र यादव ने अपने कमांडो प्लाटून के साथ मिलकर दुर्गम ऊंची चोटी पर चढ़ाई की थी. लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने इस दौरान भारी गोलीबारी शुरू कर दी थी, इसमें कई भारतीय जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे. लेकिन योगेंद्र यादव के साथ 5 जुलाई को 18 ग्रनेडियर्स के 25 सैनिक फिर आगे बढ़ना शुरू किया थे. हालांकि इस बार भी रणनीति बदल गई थी. उधर पाकिस्तानी सैनिकों की नज़र फिर से भारतीय सैनिकों पर पड़ गई थी, जिसके बाद करीब 5 घंटे की लगातार गोलाबारी के बाद भारतीय सेना ने योजनाबद्ध तरीके से अपने कुछ जवानों को पीछे हटने के लिए कहा था. लेकिन यह एक योजना का हिस्सा था.
कर्नल बलवान सिंह ने बताया कि टाइगर हिल पर चढ़ने के लिए पहाड़ों से जुड़े उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए हमने टाइगर हिल के पीछे से चढ़ाई चढ़ी थी. इसके बाद टॉप पर एक फुट होल्ड बनाया था. इस दौरान हिल पर पाकिस्तानी घुसपैठिओं के साथ हमारी हैंड टू हैंड फाइट हुई थी, जिसमें हमारे 6 जवान शहीद हुए और 6 घायल हुए थे.
कर्नल बलवान सिंह ने बताया कि उस दौरान वो भी घायल हुए थे, उनको एक गोली हाथ और एक गोली पैर में लगी थी. जबकि जोगेंद्र यादव को 12 से ज्यादा गोलियां हाथ में लगी थी. जिस कारण उनकी राइफल हाथ से गिर गई थी. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दुश्मन के राइफल को उठाकर फायरिंग शुरू किया था. इस दौरान घायल भारतीय सेना ने 25 पाकिस्तानी सेना के जवानों को मार भगाया थाऔर कारगिल की चोटी पर झंडा फहराया था.
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