50 Years Of Emergency: आज ही के दिन यानी 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, जो 21 मार्च 1977 तक चला था. इस दो साल के समय को देश के इतिहास में एक काला धब्बा माना जाता है. आपातकाल की घोषणा के बाद ही देश एक जेलखाने में तब्दील हो गया था. बड़े पैमाने पर नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ था. ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या कोई प्रधानमंत्री किसी स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकता है?
क्या प्रधानमंत्री के पास होती है इमरजेंसी लगाने की ताकत?
संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत, राष्ट्रपति सिर्फ तभी आपातकाल की घोषणा कर सकता है जब उसके पास प्रधानमंत्री और उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिखित रूप में संकट की स्थिति की पुष्टि हो. ये अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति का होता है कि वो उस स्थिति को परखते हुए आपातकाल की घोषणा कर सकें.
25 जून को किसने की थी आपातकाल की घोषणा?
25 जून 1975 को देश में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ये कहते हुए रेडियो पर घोषणा की थी कि राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा कर दी है. इसमें कोई घबराने की बात नहीं है.
हालांकि इस घोषणा के कुछ देर बाद ही प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों में बिजली की आपूर्ति काट दी गई थी और जयप्रकाश नारायण, राज नारायण, मोरारजी देसाई, चरण सिंह, जार्ज फर्नांडिस सहित कई विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हो गई थी. इस दौरान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 में संशोधन करते हुए इंदिरा गांधी के पास असाधारण शक्तियां आ गई थीं.
क्या था अनुच्छेद 352 में संशोधन?
बता दें कि आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (एमआइएसए) को एक अध्यादेश के माध्यम से संशोधित किया गया ताकि किसी भी व्यक्ति को बिना किसी मुकदमे के हिरासत में रखने की अनुमति मिल जाए. इसी दौरान भारतीय संविधान का सबसे विवादास्पद 42वां संशोधन पारित किया गया. इस संशोधन ने न्यायपालिका की शक्ति को कम कर दिया और इस संशोधन ने संविधान की मूल संरचना को बदल दिया था.
भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा हो चुकी है. पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल साल 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान लगा था. बता दें बाहरी युद्ध के अतिरिक्त आंतरिक अशांति के कारण साल 1975 में आपातकाल की घोषणा की गयी थी.
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