पांच साल में लेटरल एंट्री से आए 63 अफसर, अभी इतने अधिकारी मोदी सरकार में कर रहे काम
देश में लेटरल एंट्री को लेकर एक बार फिर से राजनीति बयानबाजी तेज हो गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीते 5 सालों में केंद्र सरकार में लेटरल एंट्री के जरिए कितने अधिकारी नियुक्त हुए हैं.
देश में एक बार फिर से लेटरल एंट्री प्रोसेस चर्चा में है. हालांकि राजनीतिक बयानों के बाद यूपीएससी की तरफ से निकाले गए विभिन्न 45 पदों पर अभी रोक लगा दी गई है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर लेटरल एंट्री क्या होता है और अभी सरकार में कितने अधिकारी इसके जरिए काम कर रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि लेटरल एंट्री प्रोसेस क्या है.
लेटरल एंट्री पर राजनीति
बता दें कि यूपीएससी ने 7 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थी. लेकिन सरकार के इस फैसले पर जमकर सियासी बवाल मचा हुआ था. कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि सरकार आरक्षण पर चोट कर रही है. इतना ही नहीं एनडीए के घटक दलों ने भी फैसले की आलोचना की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है. पत्र में लिखा है कि मोदी सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए.
आखिर है क्या लेटरल एंट्री सिस्टम ?
अब सवाल ये है कि आखिर लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है. बता दें कि यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है, जिन पद पर आईएएस रैंक के ऑफिसर यूपीएससी एग्जाम क्वालिफाई करके नियुक्त होते हैं. आसान भाषा में समझिए कि इन सिस्टम में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स को सरकार में इन पदों पर नौकरी दी जाती है. इस सिस्टम में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा नहीं लेता है और बिना एग्जाम के इंटरव्यू के जरिए प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की इन पदों पर नियुक्ति की जाती है.
लेटरल एंट्री का फायदा?
बता दें कि लेटरल एंट्री को लेकर हर किसी का अपना-अपना तर्क होता है. कई एक्सपर्ट लेटरल एंट्री के फायदे भी बताते हैं. कुछ लोगों का मानना होता है कि ये सिस्टम को और भी मजबूत करता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लेटरल एंट्री सिस्टम से सरकारी सेवाओं में एक्सपर्ट और अनुभव दोनों शामिल होते हैं. इससे काम और बेहतर होता है. इसके अलावा ब्यूरोक्रेसी में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ती है. इंटरव्यू की वजह से चयन होने पर एक्सपर्ट में भी खास लोग चुनकर आते हैं और उन्हें उस फील्ड में काफी लंबा अनुभव होता है. जो सरकारी नीतियां बनाने में काफी फायदेमंद होता है. इसके अलावा लेटरल एंट्री से अधिकारियों की नियुक्ति जल्दी होती है और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आती है.
केंद्र सरकार में कितनी नियुक्ति हुई ?
बता दें कि इस बार 45 पदों के लिए यूपीएससी ने विज्ञापन निकाला था, जिसे वापस लिया गया है. केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि 2019 में 8 जॉइंट सेकेट्री पदों पर नियुक्ति की गई थी. इसके बाद 2022 में 30 अधिकारी (3 जॉइंट सेकेट्री, 27 डायरेक्टर) का चयन किया गया था. वहीं 2023 में 37 पदों के लिए भर्ती की सिफारिश की गई थी, जिसमें 20 अधिकारी (जॉइंट सेकेट्री, डायरेक्टर और डेप्युटी सेकेट्री) भी शामिल थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले पांच साल में इन स्तरों पर अब तक 63 नियुक्तियां लेटरल एंट्री के माध्यम से की गई हैं और वर्तमान में 57 ऐसे अधिकारी तैनात हैं.
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