कौन होती हैं 72 हूरें? इस्लाम के हिसाब से इनका काम क्या है और ये किसे मिलती हैं
इस्लाम में कहा जाता है कि जो लोग अल्लाह के रास्ते पर चलते हैं, इस्लाम के हर अकीदे को निभाते हैं उन्हें मरने के बाद जन्नत नसीब होती है और इसी जन्नत में उनकी मुलाकात हूरों से होती है.
यूट्यूब हो या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, वहां आपको कई लोग 72 हूरों पर ज्ञान देते मिल जाएंगे. लेकिन क्या ये लोग सच में जन्नत और वहां की हूरों के बारे में कुछ जानते हैं. क्या इन्हें इस्लाम का इल्म है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इस्लाम के नजरिए से 72 हूरें क्या हैं और जन्नत में इनका काम क्या है और अगर ये किसी को मिलती हैं तो कैसे और क्यों मिलती हैं.
जन्नत में हूर का कॉन्सेप्ट क्या है?
जन्नत में हूर का कॉन्सेप्ट कुछ हद तक वैसा ही है जैसा स्वर्ग में अप्सरा को लेकर है. यानी एक ऐसी स्त्री जो वहां के अलावा कहीं और नहीं है. उसकी सुंदरता सबसे ऊपर है, उससे सुंदर कोई स्त्री किसी दुनिया में नहीं है. जन्नत में मौजूद इसी सुंदर स्त्री को इस्लाम में हूर कहा जाता है. इस्लाम में कहा जाता है कि जो लोग अल्लाह के रास्ते पर चलते हैं, इस्लाम के हर अकीदे को निभाते हैं उन्हें मरने के बाद जन्नत नसीब होती है और इसी जन्नत में उनकी मुलाकात हूरों से होती है. हालांकि, ये हूरें 72 होंगी इस पर जरूरत मतभेद हैं.
कितनी सुंदर होती हैं ये हूरें
हदीस तिरमिज़ी खंड-2 पृ.(35-40) में दिए गए हूरों की सुंदरता के बारे में इस तरह की कुछ बातें कही गई हैं. इसमें कहा गया है कि हूर एक बहुत सुंदर युवा स्त्री होती है, जिसका शरीर पारदर्शी होता है. उसकी हड्डियों में बहने वाला द्रव्य इस तरह दिखता है जैसे रूबी और मोतियों की लड़ियां हों. वह एक पारदर्शी सफेद गिलास में लाल शराब की तरह नजर आता है. हूरों को लेकर कहा गया है कि उनका रंग सफेद होता है, और ये साधारण स्त्रियों की तरह शारीरिक कमियों और विकारों से वो परे होती हैं. हर एक हूर किशोर वय की कन्या होती है.
उसके शरीर का गठन बेहद आकर्षक होता है. ये हूरें भव्य परिसरों वाले महलों में रहतीं हैं. इनके बारे में कहा जाता है कि हूर अगर जन्नत में बसे अपने आवास से पृथ्वी की ओर देखे तो सारा मार्ग सुगंधित और प्रकाशित हो जाए. हूर को लेकर इसमें कहा गया कि इनका मुख दर्पण से भी अधिक चमकदार होता है और उनके गाल में कोई भी अपना प्रतिबिंब देख सकता है.
किसे और कैसे मिलती हैं ये हूरें
इंडियन एक्सप्रेस समूह कि एक वेबसाइट को दिए अपने इंटरव्यू में इस्लामिक स्कॉलर डॉ. मुहिउद्दीन गाज़ी कहते हैं, "प्रोफेट मोहम्मद साहब ने कहा है कि जो जिहाद करेगा और जिहाद करते हुए शहीद होगा उसे 22 हूरें एक इनाम के तौर पर मिलेंगी. कुछ हदीसों में इसका जिक्र है. लेकिन दिक्कत ये है कि लोगों को जिहाद का असली मतलब नहीं पता है, लोग इसे आतंकवाद से जोड़कर देखते हैं. जिहादा और आतंकवाद दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. WORD OF PROPHET साफ कहता है कि जो आतंकवाद फैलाएगा वो बुरा कर रहा है और ये करते हुए अगर कोई मारा जाता है तो उसे बुरे आदमी की मौत की तरह देखा जाएगा. इस तरह के आदमी को मरने के बाद कोई इनाम नहीं मिलता. बुरे आदमी के लिए सिर्फ नर्क है."
वहीं इसी बात को आगे बढ़ाते हुए इसी इंटरव्यू में स्लामिक स्कॉलर अबुल आला सुब्हानी कहते हैं, "जो लोग भी ये कहते हैं कि 72 हूरें मिलेंगी... जन्नत मिलेगी, वो सब गलत है. ये बहुत साधारण सी बात है कि अगर आप हिंसा करेंगे, धरती पर इंसानों का सुकून खत्म करेंगे तो आगे वाली दुनिया में आपको सुकून कैसे मिल सकता है. अबुल आला सुब्हानी कहते हैं कि हमारे इस्लाम में एक कहानी है, कहा जाता है कि एक औरत ने एक बिल्ली को भूखा रखा और उस बिल्ली की मौत हो गई तो हमारे पैगंबर ने कहा कि ये औरत जहन्नुम में जाएगी. इससे ये बात साफ है कि इस्लाम इन बातों को लेकर कितना संवेदनशील है."
हर धर्म में इस तरह की बातें
हर धर्म में मृत्यू के बाद स्वर्ग में जाने पर सुंदर स्त्रियों का जिक्र है. हिंदू धर्म में इन्हें अप्सरा कह कर संदर्भित किया गया है. उर्वशी, रम्भा, मेनका ये देवलोक यानी स्वर्गलोक की अप्सराएं और नृत्यांगनाएं हैं. इन्हें भी ब्रह्मांड की सबसे खूबसूर स्त्रियां बताया गया है. वहीं पारसी धर्म के अनुसार, एक अच्छे पारसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा एक पुल के जरिए स्वर्ग तक पहुंचती है. वहीं पुल के दूसरी ओर उस व्यक्ति को लेने एक बेहद सुंदर स्त्री आती है. ये स्त्री व्यक्ति को हाउस ऑफ सॉंग तक लेकर जाती है. जबकि, इब्राहीमी धर्म में मृत्यु के बाद ईडन गार्डन की बात कही गई है. कहा गया है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति एक सुंदर गार्डन में सुंदर महिलाओं के सानिध्य में रहता है.