Howrah Bridge: भारत एक ऐसा देश है जहां अत्याधुनिकता और परंपरा का अनूठा मेल देखा जा सकता है. यहां कई ऐसे स्मारक और इंफ्रास्ट्रक्चर हैं, जो देश की महानता और विविधता का प्रतीक हैं. एक ऐसा ही स्मारक है हावड़ा पुल, जिसे लोगों ने थूक-थूक कर कमजोर बना दिया है. हालांकि, इस साधारण सी घटना के पीछे एक गहरी सच्चाई छिपी हुई है. जिससे आज हम आपको रूबरू कराएंगे.
हावड़ा ब्रिज
यह कहानी भारत के बंगाल में स्थित हावड़ा पुल की है, जो 1946 में बनाया गया था. इस पुल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण रोल निभाया था और इसे देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इस पुल का इंफ्रास्ट्रक्चर अपने आप में बेहद खास है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने बड़े और भारी-भरकम इस पुल में नट-बोल्ट का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
पान मसाला चबाने से कमजोर हो रहा हावड़ा ब्रिज
पुराने समय में हावड़ा पुल एक मजबूत और स्थाई संरचना थी. लेकिन समय के साथ इसकी मजबूती घटती जा रही है. जिसका कारण है लोगों का थूकना. पुल से गुजरने वाली गाड़ियों में बैठे लोग गुटका, पान मसाला या फिर तंबाकू खाते हैं और गाड़ी से मुंह बाहर निकलकर थूक देते हैं. इस थूक ने पुल की संरचना को कमजोर कर दिया है. इसमें लगा स्टील गलने लगा है. जिससे पुल को काफी नुकसान हुआ है.
छत्तीसगढ़ कैडर के IAS अधिकारी अवनीश शरण (Awanish Sharan) ने पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) की गुटखा पीक से सनी एक तस्वीर ट्वीटर पर साझा की थी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि पोर्ट ट्रस्ट ने कहा है कि गुटखे की पीक से 70 साल पुराने पुल की स्थिति खराब हो रही है. गुटखा-चबाने वाले लोग हावड़ा ब्रिज पर हमला कर रहे हैं.”
फाइबर लगाकर पुल को किया गया है संरक्षित
कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट ने पुल को बचाने के लिए इसके स्टील के पायों को नीचे से फाइबर ग्लास से ढका, जिससे कि गुटके के पीक से पायों में जंग ना लगे और वो खराब ना हों. एक अनुमान के मुताबिक, हावड़ा ब्रिज से हर रोज 1.2 लाख छोटे-बड़े वाहन और 5 लाख पैदल यात्री गुजरते हैं. 70 सालों से लोग इस पुल के पायों के निचले हिस्सों का इस्तेमाल सार्वजनिक पीकदान की तरह कर रहे हैं. जिससे पुल को काफी नुकसान हुआ है.
50% तक कम हो गई मोटाई
एक रिपोर्ट में ट्रस्ट ने बताया था कि पुल के खंभों को काफी नुकसान हो चुका है. हैंगरों की रक्षा करने वाले स्टील हुड की मोटाई पिछले 4 सालों में 50 प्रतिशत कम हो गई है. ट्रस्ट के मुताबिक, आधे चबाए गए पान मसाले, पान के पत्ते, चुने, सुपारी और तंबाकू आदि में ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो मजबूत स्टील को भी क्षतिग्रस्त कर रहे हैं. इसके अलावा, धूप, बारिश आदि से भी पुल को नुकसान होता है.
मुद्दे की गंभीरता को समझने की जरूरत
इस स्थिति को सुधारने के लिए, सभी स्तरों पर समाधान ढूंढने की जरूरत है. पुल की मजबूती को बनाए रखने के लिए उसकी मरम्मत के साथ-साथ स्थानीय जनता को भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए. इसके अलावा, शिक्षा और जागरूकता की जरूरत है, ताकि लोगों को इस पुल को सम्मान देने का महत्व समझाया जा सके. इस पुल की सुरक्षा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण स्मारक है जो हमें हमारे अतीत की याद दिलाता है. इसके साथ ही, यह भारतीय विरासत का हिस्सा है.
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