भारत का चौथा सबसेे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है जो 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. साथ ही येे राज्य सबसेे अधिक जिलों के साथ सबसेे ज्यादा जनसंख्या को भी समेटा हुआ है. यहां की जनसंख्या कई देशों से ज्यादा है. उद्योग और आस्था के संगम इस शहर में दिलचस्प चीज है. जो है कैंचियों का शहर. जी हां यहां एक जिला कैंचियों के शहर के रूप में जाना जाता है.
कौन सा जिला कहलाता है कैंचियों का शहर?
सबसे अधिक जिलों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं. जो 18 मंडलों में आते हैं. इसके अलावा इस प्रदेश में 17 नगर निगम, 822 सामुदायिक विकास खंड, 3550 तहसील और 437 नगर पंचायत हैं.
इन्हीं में से एक जिला है मेरठ. जो कैंचियों के शहर के रूप में भी जाना जाता है. जिसकी वजह यहां पर कैंचियों का उद्योग है. जो लगभग 400 साल पुराना बताया जाता है.
कब हुई थी कैंची बनाने की शुरुआत
मेरठ में कैंचियां बनाने की शुरुआत मुुगल काल सेे हुई थी. जब मुगलों के लिए तलवार बनाने वाले कारीगरों नने कैंचियां बनाना शुरू किया था. कहा जाता है कि सबसे पहले बेगम समरू विदेश से कैंची जैसा कुछ हथियार लेकर आई थीं. जिसके बाद मेरठ के कारी्गरों द्वारा उसे कैंची का आकार दिया था.
कैंची की कितनी किस्में?
कैंची बनाने के लिए गाड़ियों की कमानी से लेकर रेलवे की स्प्रिंग को पिघलाया जाता है, जिसके बाद कैंची की धार तैयार होती है. वहीं इसका हैंडल तांबा और एल्यूमिनियम को पिघलाकर बनाया जाता है. मेरठ में दर्जनों किस्मों में कैंची तैयार की जाती है. जिसमें कारपेट कैंची, नाई कैंची और कपड़ा कैंची सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं. कई जगहों पर यहीं सेे कैंची का व्यापार किया जाता है. यहां कैंचियों का सालों पुराना व्यापार धीरे--धीरे विस्तृत रूप ले चुका है.
यह भी पढ़ें: आखिर कबूतर को ही क्यों कहा जाता है जासूसी पक्षी, बेहद रोचक है इसके पीछे की वजह