क्रॉस वोटिंग करने वालों को लेकर अमेरिका में बना है कानून, नेताओं पर लगता है इतना जुर्माना
भारत में और बाहर होने वाले चुनाव में बहुत अंतर है, हाल ही में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में होने वाली क्रॉस वोटिंग को लेकर क्या कानून है?
अमेरिका में इन दिनों प्रेसिडेंट चुनाव की सरगर्मियां तेज हैं. भारत की तरह अमेरिका में भी चुनावी प्रक्रियां में वोटिंग के अलग-अलग चरण देखने को मिलते हैं. इन्हीं में से एक है क्रॉस वोटिंग. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये क्रॉस वोटिंग होती क्या है और अमेरिका में इसे लेकर क्या कानून हैं.
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क्या होती है क्रॉस वोटिंग?
क्रॉस वोटिंग का मतलब है किसी पार्टी के सदस्य द्वारा उस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के बजाय किसी दूसरे उम्मीदवार को वोट देना. यह किसी भी पार्टी के नियमों के खिलाफ माना जाता है. हालांकि, कई देशों में मतदान का अधिकार व्यक्तिगत होता है और लोग अपनी मर्जी से किसी को भी वोट दे सकते हैं.
अमेरिका में क्रॉस वोटिंग पर क्या है कानून?
अमेरिका में क्रॉस वोटिंग को लेकर कोई एकरूपता नहीं है. कुछ राज्यों में पार्टी प्राइमरी में क्रॉस वोटिंग की अनुमति होती है, जबकि कुछ राज्यों में इसे प्रतिबंधित किया गया है. वहीं कुछ राज्यों में ओपन प्राइमरी होती है, जिसमें कोई भी मतदाता किसी भी पार्टी की प्राइमरी में वोट डाल सकता है. इसके अलावा कुछ राज्यों में क्लोज्ड प्राइमरी होती है, जिसमें केवल उसी पार्टी के पंजीकृत सदस्य ही उस पार्टी की प्राइमरी में वोट डाल सकते हैं. साथ ही कुछ राज्यों में सेमी-क्लोस्ड प्राइमरी होती है, जिसमें स्वतंत्र मतदाता किसी भी पार्टी की प्राइमरी में वोट डाल सकते हैं, लेकिन पंजीकृत सदस्य केवल अपनी ही पार्टी की प्राइमरी में वोट डाल सकते हैं.
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क्यों होती है क्रॉस वोटिंग?
कई बार पार्टी के सदस्य अपने पार्टी के उम्मीदवार से असंतुष्ट होते हैं और इसलिए वे दूसरे उम्मीदवार को वोट देते हैं. इसके अलावा कभी-कभी पार्टियां अपनी रणनीति के तहत क्रॉस वोटिंग को बढ़ावा देती हैं. साथ ही कई मतदाता अपनी पार्टी से जुड़े होते हुए भी स्वतंत्र रूप से सोचते हैं और अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनना चाहते हैं.
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