दुनियाभर के देशों ने कोरोना वायरस का कहर देखा है. कोरोना वायरस की चपेट में आने से लाखों लोगों की मौत हुई थी और करोड़ों लोग इसकी चपेट में आए थे. चीन के वुहान लैब से निकला यह वायरस कुछ ही दिनों में पुरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले चुका था. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक अब एक बार फिर से वुहान लैब से नया वायरस निकल रहा है, जिसके बारे में सुनकर दुनियाभर के वैज्ञानिक भयभीत हैं. जानिए नया वायरस कौन सा है. 


कोरोना


कोरोना वायरस को आज के वक्त कोई याद नहीं करना चाहता है. इस वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी और लाखों लोगों की जान ली थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला था, जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक कोविड से संक्रमित लोगों पर आज भी इसका असर दिखता है. 


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नया वायरस?


बता दें कि एक शोध में खुलासा हो रहा है जिस वुहान लैब से कोरोना वायरस  निकला था, चीन की उसी वायरस से अब एक और वायरस निकल चुका है. दरअसल एक रिसर्च में आशंका जताई गई है कि इसी लैब से पोलिया का एक बेहद इवॉल्व्ड स्ट्रेन लीक हुआ था. इस वायरस से साल 2014 में चीन के अन्हुई प्रांत में 4 साल का एक बच्चा संक्रमित हुआ था. इस लैब का नाम वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है और अमेरिकी एजेंसी एफबीआई का मानना है कि कोरोना वायरस भी इसी लैब से निकला था.


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रिसर्च में दावा


फ्रांस के पैश्चर इंस्टीट्यूट द्वारा की गई एक रिसर्च में यह सामने आया है कि WIV14 नामक स्ट्रेन पोलियो वायरस के एक वैरिएंट के साथ 99 प्रतिशत जीन संबंध रखता है, जिसे वुहान की प्रयोगशाला में संग्रहित किया गया था. इस अध्ययन ने चीन की प्रयोगशालाओं में सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर नए सवाल और चिंताओं को जन्म दिया है. कोविड-19 महामारी में चीन की प्रयोगशालाओं की संदिग्ध भूमिका के कारण पहले से ही उन पर संदेह की नजरें हैं. अब यह नई रिसर्च के बाद चीनी प्रयोगशालाओं पर शक और बढ़ रहा है. 


बता दें कि यह रिसर्च पोलियो के WIV14 स्ट्रेन से संबंधित है, जिसे सबसे पहले 2014 में एक बच्चे के नमूने में पहचाना गया था. उस समय यह बच्चा अन्हुई क्षेत्र में हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के प्रकोप के दौरान जांचा गया था. WIV14 के बच्चे में पाए जाने के बाद वैज्ञानिकों को गहरा आश्चर्य हुआ था. जेनेटिक विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि WIV14 स्ट्रेन Saukett A स्ट्रेन के साथ काफी समानता रखता है, जो एक पोलियो पैरेंट है और जिसे 1950 के दशक में विकसित किया गया था. हालांकि इसका उपयोग वैक्सीन निर्माण में किया जाता है.


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