इंसान के जगे रहने पर सोता है दिमाग का एक हिस्सा, जानिए कैसे करता है ये काम
इंसान के शरीर में सबसे जरूरी अंग दिमाग होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान जब जगा रहता है, तो उस दिमाग का एक हिस्सा सोया रहता है. लेकिन सोने पर एक हिस्सा जगा रहता है.

इंसान के शरीर का अहम हिस्सा दिमाग होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इंसानी दिमाग कितने देर तक एक्टिव रहता है और ये कैसे काम करता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे दिमाग का अलग-अलग हिस्सा काम करता है और सोने पर कौन सा हिस्सा सक्रिय रहता है.
इंसानी शरीर
दिमाग इंसान के शरीर का अहम हिस्सा है. अमेरिका में हुए एक शोध में चौंकाने रिजल्ट सामने आया है. इस शोध में सामने आया कि जब हम जाग रहे होते हैं, तब हमारे दिमाग का एक छोटा हिस्सा झपकी लेता है. लेकिन यही हिस्सा जब हम सो रहे होते हैं, तब बार-बार जागता रहता है. वैज्ञानिकों ने इस नई खोज को बेहद अहम बताया है, जो कई बीमारियों को समझने में मदद कर सकती है.
रिसर्च में आया सामने
रिसर्च में सामने आया है कि दिमाग के एक बेहद छोटे हिस्से में मस्तिष्क तरंगें अचानक से कुछ मिलीसेकंड के लिए बंद हो जाती हैं. वहीं ये हमारे सोने के दौरान इसी क्षेत्र में अचानक से मस्तिष्क तरंगें चलने लगती हैं. इतना ही नहीं मस्तिष्क तरंगों से ही दिमाग के सोने-जागने का पता चलता है. 4 साल चले शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों के दिमाग के 10 अलग-अलग हिस्सों में मस्तिष्क तरंगों का वोल्टेज मापा और बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी डाटा इकट्ठा किया था.
शोधकर्ताओं ने कई महीनों तक एक छोटे समूह की गतिविधियों पर माइक्रोसेकंड की सीमा तक नजर रखा था. इस डाटा का एक आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क के जरिए विश्लेषण किया गया था और नेटवर्क से ऐसे पैटर्न और विसंगतियां पता करने को कहा गया, जो मानवीय अध्ययनों में पकड़ में नहीं आई हैं.
जैवआणविक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डेविड हॉसलर ने कहा कि वैज्ञानिक के तौर पर हमें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हमारे दिमाग के अलग-अलग हिस्से उस समय झपकी ले रहे होते हैं, जब हमारा बाकी दिमाग जगा होता है. यह नई खोज नींद अनियंत्रित होने से जुड़ी न्यूरोडेवलपमेंटल और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को बेहतर समझने और इनका इलाज खोजने में बेहद अहम हो सकती है.
वहीं वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के सहायक प्रोफेसर कीथ हेनगेन ने कहा कि सोना-जागना हमारे व्यवहार के सबसे बड़े निर्धारक हैं. इसलिए अगर हमें यह नहीं पता कि सोना-जागना वास्तव में क्या हैं, तो हम पिछड़ जाएंगे. सोने-जागने को हम बुनियादी तौर पर जितना अधिक समझेंगे, उतना ज्यादा हम बीमारियों का समाधान कर पाएंगे.
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