मिला है एक ऐसा पदार्थ जो बदल देगा पूरी दुनिया... वैज्ञानिक इस सुपरकंडक्टर को कह रहे हैं अजूबा
इस पदार्थ को बनाने में हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और ल्यूटेटियम को मिलाया गया है. इसके लिए जिस दबाव की जरूरत होती है वो पृथ्वी की सतह पर वायुमंडलीय दाब से दस हजार गुना ज्यादा होता है.
पृथ्वी तेजी से बदल रही है. इंसान आधुनिकता के जितने नजदीक जा रहा है उसे नए-नए ऐसे संसाधन मिल रहे हैं जिसके जरिए वो अपनी सुख सुविधाओं को और हाइटेक कर रहा है. हालांकि, इन सब के बीच एक चीज है, जिसकी जरूरत शुरू से लेकर अंत तक रहेगी...वो है ऊर्जा. ऊर्जा के बिना विकास आगे नहीं बढ़ सकता, लेकिन अब सौर्य ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा से ऊपर उठकर इंसान सोचने लगा है. इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे सुपरकंडक्टर पदार्थ को खोज निकाला है जो ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक की दुनिया में नई क्रांति पैदा कर देगा. आज इस आर्टिकल में हम आपको उसी सुपरकंडक्टर के बारे में बताएंगे.
तेज़ हो जाएगी बिजली की ग्रिड
वैज्ञानिकों ने जिस नए सुपरकंडक्टर की खोज की है, वो बिजली के ग्रिड के लिए खास है... कहा जा रहा है कि भविष्य में इसके उपयोग की वजह से बिजली के उपयोग में बहुत ज्यादा तेज गति देखने को मिलेगी. न्यूयॉर्क में यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर के असिस्टेंट प्रोफेसर रंगा डियास और उनके टीम मेट्स ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसा पदार्थ बनाया है जो केवल 20 डिग्री सेल्सियस पर एक सुपरकंडक्टर बन सकता है.
कम दबाव में शानदार काम
रिसर्चर्स का कहना है कि इस पदार्थ को बनाने में हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और ल्यूटेटियम को मिलाया गया है. इसके लिए इस तापमान पर एक गीगापास्कल के दबाव की जरूरत होती है जो कि पृथ्वी की सतह पर वायुमंडलीय दाब से दस हजार गुना ज्यादा होता है. हालांकि, यह पिछले निर्मित किए गए सुपरकंडक्टर पदार्थों की तुलना में कहीं ज्यादा कम दबाव है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये आज के समय में काफी आगे की चीज होगी. यानी इसे आप फ्यूचरिस्टिक भी कह सकते हैं.
इससे आपको क्या लाभ होगा
इस सुपरकंडक्टर से इंसानों को बहुत फायदा होगा... इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा स्थानांतरण, वितरण और अन्य बड़े कार्यों में इससे बेहतरीन बदलाव देखने को मिलेगा. इस सुपरकंडक्टर के आने से बिजली के स्थानांतरण में कोई रुकावट नहीं पैदा होगी. इससे कम से कम 20 करोड़ मेगावाट की ऊर्जा का नुकसान होने से बच जाएगा. इसके अलावा इससे चिकित्सा के क्षेत्र में भी बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे. जैसे- MRA और मैग्नेटोकार्डियोग्राफी जैसी इमेजिंग और स्कैनिंग तकनीक पहले से ज्यादा उन्नत हो जाएगी.
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