(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एक ऐसा सुपरकंप्यूटर जिसकी नहीं है उम्र, जानिए कैसे करता है काम?
दुनियाभर में अलग-अलग तरह के सुपरकंप्यूटर बनाए जा रहे हैं. ऐसे में क्या आप एक नए सुपरकंप्यूटर के बारे में जानते हैं जिसकी कोई उम्र ही नहीं है?
Supercomputer: दिमाग को दुनिया का सबसे बड़ा कंप्यूटर माना जाता है. किसी भी व्यक्ति का दिमाग उससे सभी तरह के कार्य करवाने का काम करता है. ऐसे में क्या आप एक ऐसे सुपर कंप्यूटर के बारे में जानते हैं जो हर सेकंड 100 बिलियन ऑपरेशन करने में सक्षम है.
खास बात ये है कि इस दिमाग की कोई उम्र ही नहीं है. इस कंप्यूटर के बारे में ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं का कहना है कि ये सुपर कंप्यूटर मानव मस्तिष्क में गतिविधियों की अनुमानित दर को टक्कर देगा. इस कंप्यूटर का नाम डीपसाउथ है. बता दें ये दुनिया का पहला सुपर कंप्यूटर है जो मानव मस्तिष्क के पैमाने पर न्यूरॉन्स और सिनैप्स (प्रमुख जैविक संरचनाएं जो हमारे तंत्रिका तंत्र को बनाते हैं) के नेटवर्क पर काम करने में सक्षम है.
क्या है डीपसाउथ?
डीपसाउथ न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग नामक एक सोच है. जिसका उद्देश्य मानव मस्तिष्क में हो रही जैविक प्रक्रियाओं की नकल करना है. इसे वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल सेंटर फॉर न्यूरोमॉर्फिक सिस्टम्स से चलाया जाएगा. बता दें हमारा मस्तिष्क सबसे अद्भुत कंप्यूटिंग मशीन है. अपनी कंप्यूटिंग शक्ति को अरबों छोटी इकाइयों (न्यूरॉन्स) में वितरित करके, जो खरबों कनेक्शनों (सिनैप्स) के जरिये आपस में मिलकर काम करती हैं, मस्तिष्क दुनिया के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों को टक्कर दे सकता है, जबकि इसके लिए महज एक फ्रिज लैंप बल्ब द्वारा उपयोग की जाने वाली समान शक्ति की जरुरत होती है.
दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर?
सुपर कंप्यूटर आम तौर पर बहुत ज्यादा जगह लेते हैं और उन्हें चलाने के लिए बड़ी मात्रा में बिजली की जरुरत होती है. दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपरकंप्यूटर, हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज फ्रंटियर, प्रति सेकंड केवल एक कुइनटिलियन (एक के बाद 18 जीरो) से ज्यादा ऑपरेशन कर सकता है. यह 680 वर्ग मीटर (7,300 वर्ग फुट) जगह में आ पााता है और इसे चलाने के लिए 22.7 मेगावाट (मेगावाट) की जरुरत होती है.
किसने दी थी कंप्यूटर की थ्योरी?
बता दें कि हमारा दिमाग सिर्फ 20 वॉट बिजली के साथ प्रति सेकंड समान संख्या में ऑपरेशन कर सकता है, जबकि उसका वजन सिर्फ 1.3 किलोग्राम-1.4 किलोग्राम होता है. वहीं न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग का लक्ष्य उन चीजों का पता लगाना है जो अबतक पता नहीं चल पाई हैं. सीमा पर ट्रांजिस्टर 30 जून 1945 को, गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी जॉन वॉन न्यूमैन ने एक नई मशीन, इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल ऑटोमैटिक कंप्यूटर (एडवैक) के डिजाइन के बारे में बताया था.
आपको बता दें कि इसी ने आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर को प्रभावी ढंग से परिभाषित किया था. चाहे आप जिस लैपटॉप पर काम कर रहे हों या फिर दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर हो. दुनिया अभी भी 80 साल पहले वॉन न्यूमैन द्वारा पेश की गई संरचना पर ही काम कर रही है.
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