भूख और गरीबी से जंग लड़ती है देश की यह 'आर्मी', जरूरतमंद कहते हैं 'रॉबिन हुड'
Robin Hood Army: भारतीय सेना की तरह रॉबिन हुड आर्मी भी देश की सेवा करती है. हजारों स्वयंसेवक भूखे लोगों तक बचे हुए भोजन को पहुंचाते हैं.
आर्मी की बात हो तो सरहद पर मौजूद सैनिक याद आते हैं, जो न सिर्फ दुश्मन को रोककर हमारी हिफाजत करते हैं, बल्कि अपनी जान न्यौछावर करने से भी नहीं हिचकते हैं. हालांकि, देश में एक ऐसी आर्मी भी है, जो भूख और गरीबी जैसे देश के दुश्मनों से जंग लड़ती है. यही वजह है कि जरूरतमंद इस आर्मी को रॉबिन हुड आर्मी कहते हैं. एबीपी न्यूज ने 2024 के न्यूज मेकर ऑफ द ईयर अवॉर्ड में रॉबिन हुड आर्मी को भी चुना है. आइए आपको बताते हैं कि यह आर्मी कैसे करती है काम?
क्या है रॉबिन हुड आर्मी?
जानकारी के मुताबिक, रॉबिन हुड आर्मी को आरएचए भी कहा जाता है, जो एक वॉलंटियर ऑर्गनाइजेशन है. इस आर्मी में हजारों युवा प्रोफेशनल्स और आम लोग भी जुड़े हुए हैं, जो अपने बचे हुए वक्त का इस्तेमाल भूख की वैश्विक समस्या से लड़ने में बिताते हैं. दरअसल, इस आर्मी के जवान रेस्तरां और डिस्ट्रिब्यूटर्स से वह खाना लेते हैं, जो उनके पास रोजाना बच जाता है. रॉबिन हुड आर्मी के जवान यह खाना उन लोगों तक पहुंचाते हैं, जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं.
आंखों में आंसू ला देगा रॉबिन हुड आर्मी का यह प्रयास
बता दें कि रॉबिन हुड आर्मी अब तक दुनियाभर के 403 शहरों में 15.2 करोड़ जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचा चुकी है. इसके अलावा इस आर्मी ने अपनी एजुकेशन ब्रांच रॉबिन हुड अकादमी के माध्यम से सड़क पर रहने वाले 10,293 बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाया है. इन बच्चों को पढ़ाई के लिए एक भी रुपया खर्च नहीं करना पड़ा. बता दें कि रॉबिन हुड आर्मी का आदर्श वाक्य 'भूखे लोगों की सेवा करो' है. यह आर्मी अपने मकसद पर खरी उतरने के लिए 10 साल पूरे कर चुकी है.
इन कार्यों पर भी रहता है फोकस
रॉबिन हुड आर्मी के वॉलंटियर न सिर्फ भूखों तक खाना पहुंचाते हैं, बल्कि गरीब बच्चों की पढ़ाई पर भी फोकस करते हैं. यह संगठन हर रविवार को एक स्पेशल प्रोग्राम भी करता है, जिसमें बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें जरूरत का सामान भी दिया जाता है. इसके अलावा ब्लड डोनेशन कैंप भी लगवाता है. खास बात यह है कि रॉबिन हुड आर्मी ऐसे कार्यों के लिए किसी से चंदा नहीं लेता है. इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ जोड़ना और जरूरतमंद लोगों की मदद करना है.
ये भी पढ़ें:ट्रेन में कितनी होती है बिजली खपत, एसी और नॉन एसी कोच में कितने यूनिट का अंतर?