भारत की अंतरिक्ष में ताकत और मजबूत होने वाली है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद शनिवार इसरो का एक सन मिशन सूरज के करीब जाने को तैयार है. ये मिशन शनिवार को रवाना होगा और सूर्य करीब पहुंचकर सूरज के प्रकाश को लेकर रिसर्च करेगा. भारत के इस मिशन आदित्य की सफलता के बाद भारत भी उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने सूरज पर अपना मिशन भेजा है. दरअसल, अभी तक सूरज पर 22 मिशन जा चुके हैं और भारत का 23वां नंबर है.


भारत का नंबर भले ही 23 है, लेकिन कई मायनों में आदित्य काफी एडवांस है और अन्य देशों के मिशन से काफी अलग है. ऐसे में सवाल है कि आखिर ये मिशन किस तरह से अलग होने वाला है और इसमें अन्य देशों के मुकाबले क्या खास होने वाला है.


कब लॉन्च होगा आदित्य एल-1?


आदित्य एल-1 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा. ये सन मिशन पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर तक रास्ता तय करेगा. ये सूर्य के करीब जाकर सूरज से आने वाली किरणों का अध्ययन करेगा और सूर्य से जुड़े कई अनसुलझे रहस्य को दूर करेगा. ये मिशन सूरज मिशन करने वाले देशों में भारत का नाम शामिल करेगा. अभी तक भारत के अलावा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा, जर्मन स्पेस एजेंसी डीएलआर, यूरोपियन एजेंसी ईएसए का नाम शामिल है. इसमें नासा ने 14 सन मिशन लॉन्च किए हैं.  


क्यों खास है आदित्य एल-1?


भारत के लिए तो आदित्य इसलिए खास है, क्योंकि इसे पूरी तरह भारत में डिजाइन किया गया है, यहां तक इसमें लगे 7 पेलॉर्स लगे हैं, जिसमें 6 भारत में ही बना हैं. इसके साथ ही भारत ने पहली बार स्पेसक्राफ्ट बनाया है, जो हर वक्त सूर्य की तरफ देखेगा और चौबीस घंटे आग की तरफ देखेगा. दरअसल, सूर्य और पृथ्वी के बीच एक ऐसी जगह आती है, जहां दोनों की एनर्जी का असर रहता है और वो अपनी ओर खींचते हैं.


ऐसे में इस जगह कोई भी चीज वहीं रहती है, लेकिन यहां लंबे समय तक रुकना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में इसे खास तरह से डिजाइन किया गया है और खास मैकेनिज्म से उसे वहां बनाए रखने के लिए तैयार किया गया है. ये सूर्य के ज्यादा करीब नहीं जाएगा, लेकिन Lagrange पॉइंट पर रहेगा और सूर्य पर रिसर्च करेगा. आदित्य एल-1 एक तरीके से अंतरिक्ष दूरबीन है, जो खास तरह से अंतरिक्ष में काम करेगा.


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