इसरो आदित्य एल-1 को लॉन्च करने जा रहा है. ऐसे में पूरी दुनिया की नजर इसरो के इस मिशन पर बनी हुई है. लेकिन ये मिशन चंद्रयान 3 से भी ज्यादा कठिन साबित हो सकता है. जिसका एक प्रमुख कारण सौर तूफान भी है. सूरज में हलचल होती रहती हैं. ये हलचल कभी थम जाती हैं तो कभी विकराल रूप धारण कर लेती हैं. बीते कुछ दिन से ये हलचलें बंद थीं. लेकिन सितम्बर का महीना शुरू होते ही ये हलचले तेज हो गई हैं.


रिपोर्ट्स के अनुसार एक के बाद एक सूर्य में सनस्पॉट उभर रहे हैं. जानकारों के अनुसार सूरज में बने सनस्‍पॉट से एक चुंबकीय फ‍िलामेंट का उत्‍सर्जन हुआ है. इसके कारण कोरोनल मास इजेक्शन के बड़े बादल धरती की तरफ बढ़ रहे हैं. जो कि आज पृथ्वी को प्रभावित करने काम कर सकते हैं. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार बीते दिनों सूर्य में एक चुंबकीय फिलामेंट फट गया था.जिसकी वजह से सृज के उत्तरी गोलार्ध में आग के बड़े बवंडर उठे थे. जिसकी वजह से पृथ्वी पर कोरोनल मास इजेक्‍शन का खतरा बढ़ गया है.


रिपोर्ट्स की मानें तो ये तूफान आज धरती से टकरा सकता है. हालांकि ये G1 का हो सकता है, जो ज्यादा पावरफुल नहीं होता है. हालांकि इस कारण सैटेलाइट्स को खतरा नहीं होता है. इस तरह के सौर तूफान अस्‍थायी रूप से रेडियो ब्‍लैक आउट के कारण बन सकते हैं. बताते चलें कि कोरोनल मास इजेक्शन सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं. सूरज में विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूरज के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं. अंतरिक्ष में इनका विस्‍तार होता रहता है. जिस कारण ये कई लाख मील तक पहुंच जाते हैं. जिसके कारण ये ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं. पृथ्‍वी की तरफ दिशा होने के समय यह जियो मैग्‍नेटिक गड़बड़ी पैदा करने का काम करते हैं.


अमेरिकी एजेंसी ने चेताया


अमेरिका की स्पेस एजेंसी पहले ही सूर्य में होने वाले विस्फोट को लेकर बयान दे चुकी है. एजेंसी के अनुसार सौर विस्फोट बार-बार होते रहेंगे. साल 2025 तक इनमें वृद्धि देखने को मिल सकती है. जिस कारण सैटेलाइट्स व अंतरिक्ष यात्रियों पर असर पड़ सकता है.


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