जब एक बच्चे को गोद लिया जाता है तो अक्सर यह ख्याल मन में आता है कि आखिर इसके अधिकार क्या होंगे? क्या गोद लिए बच्चे को भी वही अधिकार मिलेंगे जो एक बायोलॉजिकल बच्चे को मिलते हैं? किसी भी माता-पिता के लिए या फिर उस बच्चे के लिए जिसे गोद लिया गया है, यह बड़ा सवाल है. हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इस पर एक फैसला दिया है. आज इस लेख में हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देंगे.


गोद लिए हुए बच्चे के क्या अधिकार हैं


जब आप किसी बच्चे को पूरी तरह से चाइल्ड एडॉप्शन लीगल प्रोसेस को कंप्लीट करके गोद लेते हैं तो उसे वह सभी अधिकार दिए जाते हैं जो एक बायोलॉजिकल बच्चे के होते हैं. इसके साथ ही अगर बच्चे के असली मां बाप गोद लिए हुए बच्चे को अपनी संपत्ति बतौर गिफ्ट देना चाहे तो वह दे सकते हैं. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी. हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर गोद लिए हुए बच्चे के साथ कोई भेदभाव किया जाता है तो यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा.


कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा?


कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि गोद लिए हुए बच्चे के वही अधिकार होंगे जो एक बायोलॉजिकल बच्चे के होते हैं. यानि उसे संपत्ति में भी वैसे ही अधिकार मिलेगा और अनुकंपा के आधार पर माता-पिता की जगह नौकरी भी दी जाएगी. हाई कोर्ट ने यह फैसला अभियोजन विभाग के खिलाफ दायर एक याचिका पर दिया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि अभियोजन विभाग ने उनके गोद लिए हुए बच्चे को यह कहते हुए नौकरी देने से इनकार कर दिया कि वह उनका बायोलॉजिकल बेटा नहीं है.


एक बच्चे को कैसे गोद ले सकते हैं


भारत में किसी बच्चे को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया बेहद जटिल है. अगर आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो कानूनी प्रक्रिया को पूरे होने में लगभग 2 से 5 साल का समय लग जाता है. हालांकि, इस पर सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि अब स्थानीय कोर्ट के बजाय जिला मजिस्ट्रेट भी किसी दंपत्ति को बच्चा गोद लेने का आदेश दे सकते हैं. 


किसी बच्चे को कौन गोद ले सकता है


भारत में किसी बच्चे को गोद लेने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करने के बाद ही आप कोई बच्चा गोद ले सकते हैं. अगर आप किसी बच्चे को गोद लेना चाहते हैं तो आपका शादीशुदा हो ना जरूरी है. इसके साथ ही आपकी शादी को कम से कम 2 साल का समय हो जाना चाहिए. गोद लेने वाले माता-पिता को पहले से कोई जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए.


माता और पिता दोनों की रजामंदी बच्चे को गोद लेने की होनी चाहिए. अगर आप सिंगल पैरंट्स बनना चाहते हैं और आप पुरुष हैं तो आप केवल बेटे को गोद ले सकते हैं. वहीं अगर आप महिला सिंगल पेरेंट्स बनना चाहती हैं तो आप लड़का या लड़की दोनों में से किसी को भी गोद ले सकती हैं. जब आप किसी बच्चे को गोद ले रहे हों उस समय आपकी आर्थिक स्थिति सही होनी चाहिए.


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