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मिलावटी दूध या घी बेचने वाला पकड़ा गया तो उसे कितनी सजा होगी, जानें क्या कहता है कानून

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री या वितरण करते पाया गया तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है.

भारत में मिलावटी चीजों की भरमार है. खासतौर से जब आप खाद्य पदार्थों की बात करते हैं तो उसमें सबसे ज्यादा मिलावट देखने को मिलती है. मसाले, दूध, घी, तेल हर चीज में मिलावट होती है. चलिए आज इस खबर में जानते हैं कि अगर कोई मिलावट खोर खाने की चीजों में मिलावट करता पकड़ा गया तो उसे भारतीय कानून के तहत कितनी सजा होगी.

क्या कहता है नियम-कानून

भारत में मिलावटखोरी और खाद्य सुरक्षा से संबंधित मामलों को देखने के लिए, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 (Food Safety and Standards Act, 2006) बनाया गया है. इसके अलावा इसके तहत बनाए गए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के नियमों का भी पालन किया जाता है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 को भारतीय खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है. इस कानून के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट को प्रतिबंधित किया गया है और अगर कोई व्यक्ति मिलावटी सामान बेचता पाया जाता है, तो उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होती है.

कितनी मिलती है सजा

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन, बिक्री या वितरण करते पाया गया तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है. दोषी पाए जाने पर जुर्माना, सजा या दोनों का प्रावधान है. जुर्माने की बात करें तो मिलावटी खाद्य पदार्थों को बनाने और बेचने पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. जबकि, अपराध के गंभीरता को देखते हुए, इस तरह के मामलों में 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा भी हो सकती है. वहीं अगर मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मिलावटखोर को आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है.

धारा 272 और 273 के तहत भी मिलती है सजा

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) में भी मिलावटखोरी से संबंधित अपराधों के लिए दंडात्मक प्रावधान हैं. खासतौर से धोखाधड़ी और आम जनता के जीवन को खतरे में डालने के मामले में. दरअसल, अगर किसी व्यक्ति द्वारा मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री की जाती है, जिससे किसी जान जाने का खतरा ना हो तो यह धोखाधड़ी के अंतर्गत आता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 272 और 273 के तहत इसमें, मिलावटी खाद्य पदार्थों को बेचने वाले को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

जबकि, अगर मिलावटी खाद्य पदार्थ से किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो जाती है या कोई बीमारी फैल जाती है या किसी के जान पर बन आती है तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है. ऐसे मामलों में, संबंधित व्यक्ति को 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है और उस पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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