भारत में कई ऐसे स्थान हैं, जो सदियों से अलग-अलग साधना पद्धतियों के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं. इतना ही नहीं भारत देश में कुछ जगहों पर संस्कृत का पाठ करते हुए आपको साधु दिखेंगे, तो कुछ जगहों पर काले जादू के सिद्ध पुरुष भी मिलते हैं. लेकिन आज हम भारत के कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने वाले हैं, जहां आम इंसान जाने से डरता है.  


बनारस


वाराणसी के मणिकर्णिका घाट को अघोर, तंत्र या काला जादू की साधना का बड़ा केंद्र माना जाता है. मणिकर्णिका घाट पर साधना में जुटे कई अघोरी बाबा आपको आसानी से मिल जाएंगे. इतना ही नहीं ये साधु अपनी साधना के दौरान शवों को खाते हैं और खोपड़ी में पानी पीते हैं. कहा जाता है कि इससे उनकी शक्तियों में तेजी से बढ़ोतरी होती है. जानकारी के मुताबिक मणिकर्णिका घाट पर चोरी से काला जादू भी किया जाता है. हालांकि भारत में काले जादू की क्रियाओं पर पाबंदी है. 


असम


बता दें कि असम का मायोंग गांव सदियों से काले जादू के लिए पहचाना जाता है. मुगल काल से इस गांव में लोग आने से डरते थे. इस गांव में काले जादू से जुड़े कई किस्‍से सुने-सुनाए जाते हैं. कहा जाता है कि गांव के ज्‍यादातर लोग काला जादू करने में माहिर होते हैं. गांव के लोगों का मानना है कि उन्‍हें काले जादू की शक्ति वरदान में मिली है, जो सदियों से एक से दूसरे में चलती आ रही है.


ओडिशा


ओडिशा की कुशाभद्र नदी के घाटों पर भी अक्‍सर इंसानी खोपड़ियां और दूसरे अंगों की हड्डियां मिल जाती हैं. बता दें कि कुशाभद्र नदी के सुनसान पड़े घाटों पर सबसे ज्‍यादा काला जादू किया जाता है. 


कोलकाता


कोलकाता का निमतला घाट भी काला जादू के लिए जाना जाता है. यहां भी श्‍मशान घाट पर अंतिम संस्‍कार किया जाता है.कहा जाता है कि पूरी तरह से सन्‍नाटा होने के बाद आधी रात को अघोरी साधनाएं करने वाले लोग निमतला घाट पर आते हैं और जल रहे शवों का मांस खाते हैं. 


काला जादू पर पाबंदी


भारत में काला जादू पर पूरे तरीके से प्रतिबंध है. ऐसी जगहों पर जाने से आम इंसान भी डरता है, लेकिन उसके बावजूद कुछ लोग दूसरों के बहकावे में आकर काला जादू का सहारा लेते हैं. एबीपी न्यूज काला जादू समेत किसी भी गलत पूजा-पाठ का कोई समर्थन नहीं करता है. 


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