दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में शुमार एलन मस्क ने एक नया कारनाम करके दिखाया है. दरअसल उनकी कंपनी न्यूरालिंक ने इंसान में ब्रेन चिप लगाने का दावा किया है. एलन मस्क ने बताया कि इस प्रोसेस को टेलिपैथी कहते हैं. उन्होंने बताया कि इस ब्रेन चिप का फायदा सबसे ज्यादा दिव्यांग लोगों को मिलेगा. आज हम आपको बताएंगे कि ब्रेन चिप और टेलिपैथी क्या होती है और ये कैसे काम करता है.
इस चिप में ऐसा क्या?
• न्यूरालिंक ब्रेन चिप सिक्के के आकार की है. इस चिप का इस्तेमाल मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर का सामना कर रहे लोगों के लिए किया जा सकेगा.
• इस चिप में ढेर सारे छोटे-छोटे तार हैं, एक तार इंसान के बाल के मुक़ाबले 20 गुना पतला होगा. इस चीप को सर्जरी के माध्यम से बहुत सावधानी से इंसानी दिमाग के किसी खास हिस्से में लगाया जाएगा.
• इसके अलावा इन तारों में 1024 इलेक्ट्रोड्स होंगे, जो दिमाग़ की हर हरकत पर नजर रखेंगे. ये इलेक्ट्रोड्स दिमाग़ की फ़िज़ियोलॉजिकल और नर्वस गतिविधियों को उत्तेजित करेंगे. वहीं चिप में जो डेटा इकट्ठा होगा उसे भविष्य में होने वाली रिसर्च में उपयोग किया जा सकता है.
• ये इलेक्ट्रोड दिमाग के न्यूरॉन सिग्नल को प्रोसेस करते हैं. इसके बाद वो डाटा आगे न्यूरालिंक ऐप में जाता है. वहां उस डाटा को सॉफ्टवेयर डिकोड करता है और उसके आधार पर एक्शन लेता है.
• इसके अलावा इस चिप में एडवांस वायरलेस टेक्नोलॉजी है. जिसके जरिए ये न्यूरल सिग्नल को कंप्यूटर या फोन जैसी डिवाइस पर ट्रांसमिट करेगा.
• भविष्य में ये चिप धीरे-धीरे इंसान के दिमाग को समझकर उसके एल्गोरिदम के मुताबिक काम करेगा और सिग्नल देगा.
एलन की कंपनी न्यूरालिंक
एलन मस्क की न्यूरोटेक्नोलॉजी कंपनी इंसानी दिमाग के लिए ब्रेन चिप बनाने वाली कंपनी न्यूरालिंक की शुरूआत 2016 में 6 वैज्ञानिकों के साथ मिलकर की थी. ये कंपनी दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधे संचार चैनल बनाने पर काम कर रही है. बता दें कि कंपनी ने एक ऐसी चिप बनाई है, जिसे सर्जरी के जरिए इंसानी दिमाग के अंदर डाला जाएगा. जिसके बाद ये इंसान के दिमाग की तरह काम करेगी. बता दें कि इसका इस्तेमाल खासकर मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर का सामना कर रहे लोगों के लिए किया जाएगा. आसान भाषा में हम बताए तो जिस तरह से शरीर के कई दूसरे अंग जब काम करना बंद कर देते हैं तो हम उनका ट्रांसप्लांट करते हैं. उसी तरीके से ये दिमाग का ट्रांसप्लांट है.
कब मिली परीक्षण को मंजूरी
न्यूरालिंक को बीते साल अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफीए) से इंसान के मस्तिष्क प्रत्यारोपण का परीक्षण करने यानी इन-ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली थी. न्यूरालिंक का दावा है कि वो इन ब्रेन चीप का उपयोग अपने पक्षाघात और अंधापन जैसी स्थितियों के इलाज के लिए और कुछ विकलांग लोगों को कंप्यूटर और मोबाइल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में मदद करने के लिए करेगा. हालांकि इंसानों से पहले इन चिप्स का परीक्षण बंदरों के ऊपर किया गया था.
जानवरों के ऊपर सफल ट्रायल
कंपनी ने दावा किया है कि ये चिप स्मार्टफ़ोन और कंप्यूटर जैसे बेसिक डिवाइसेज़ से कंट्रोल होगी. बता दें कि जब इस चिप का ट्रायल हो रहा था, तब शुरूआत में कुछ जानवरों पर इसका ट्रायल किया गया था. न्यूरालिंक कंपनी ने अपने यूट्यूब चैनल पर इसका वीडियो भी पोस्ट किया था. जिसमें एक अफ्रीकी बंदर जिसके दिमाग में चिप लगाई गई थी, वो जॉयस्टिक से वीडियो गेम खेलता दिख रहा है. लेकिन जानवरों पर ट्रायल के कारण कंपनी को एक जांच का भी सामना करना पड़ा था. क्योंकि न्यूरालिंक पर आरोप लगा था कि कंपनी 2018 से अबतक अपने ब्रेन चिप के ट्रायल के लिए 1500 से अधिक जानवरों की जान ली है. हालांकि कंपनी ने इसका खंडन किया था.
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