(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आखिर क्या है लोकसभा का नियम 349? राहुल गांधी के भाषण के बीच क्यों इस पर हो रही चर्चा
लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का लोकसभा में दिया गया भाषण इन दिनों खासी चर्चाओं में है. इसी बीच लोकसभा का नियम 349 भी खासी चर्चाओं में है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ये नियम है क्या?
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का आज लोकसभा में दिया गया भाषण खासी चर्चाएं बटोर रहा है. लोकसभा में उनके भाषण के दौरान लोकसभा का नियम 349 का कई बार जिक्र किया गया. ऐसे में चलिए समझते हैं कि आखिर ये लोकसभा के नियम हैं क्या जिनके बारे में बार-बार चर्चाएं की गई हैं.
क्या हैं लोकसभा के नियम?
लोकसभा के नियम लोकसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने के लिए, सदस्यों के व्यवहार और बोलने के तौर तरीकों का निर्धारण करते हैं. इस अनुच्छेद का शीर्षक ही दिया गया है सदन में सदस्यों द्वारा पालन किये जाने वाले नियम. ऐसे में इन नियमों की शुरुआत में साफतौर पर लिखा गया है कि जिस समय सदन की कार्यवाही चल रही हो, एक सदस्य- उपधारा एक में बताया गया है कि सदन की कार्यवाही से संबंधित विषय को छोड़ कर कोई भी पुस्तक नहीं पढ़ेगा. वहीं उपधारा दो में कहा गया है कि बोलते समय किसी भी सदस्य को अव्यवस्थित अभिव्यक्ति या शोर या किसी अन्य अव्यवस्थित तरीके से बाधा नहीं डालनी चाहिए. बता दें लोकसभा में इसका हवाला राहुल गांधी के पक्ष में दिया गया.
लोकसभा ने राहुल गांधी को दिया नियम का हवाला
जब लोकसभा की कार्रवाही चल रही थी उस समय राहुल गांधी भगवान शिव का चित्र भी अपने साथ लेकर आए थे. जिसे उन्होंने सदन में बार-बार दिखाया. इस दौरान सत्तापक्ष लगातार उनका विरोध कर रहा था. कांग्रेस की ओर से धारा 349 की उपधारा दो का हवाला दिए जाने पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन में किसी भी चित्र का प्रदर्शन नहीं किया जा सकता. हालांकि उन्होंने अपने अधिकारों का प्रयोग करने की जगह नेता प्रतिपक्ष को सलाह मात्र दी थी.
कम ही होता है प्रयोग
देखा जाए तो सदन में नियमवाली का हमेशा हवाला दिया जाता रहा है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसका प्रयोग कम ही होता रहा है, क्योंकि नियमावली का जिक्र अक्सर प्रतिपक्ष की ओर से ही किया जाता दिखता रहा है. हालांकि ऐसा कहा जा सकता है कि विपक्षी संसदों की संख्या पहले की लोकसभा में कम होने के कारण इसका जिक्र कम देखने को मिल रहा था. आज सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर आज राहुल गांधी के भाषण के दौरान नियमों का उल्लेख कई बार देखने को मिला. हालांकि की आज भी इस नियम का जिक्र मात्र हुआ.
यह भी पढ़ें: जो गैस सिलेंडर दिल्ली में 1696 का, वही चेन्नई में 1809 का, आखिर क्यों होता है इतना अंतर