सर्दियों में किसान अपने खेतों में धुआं करते हैं. अगर आप ग्रामीण परिवेश में या उसके आस-पास रहते होंगे, तो आपने ये देखा होगा कि ठंड बढ़ने के साथ ही किसानों की समस्या बढ़ जाती है. इतना ही नहीं अपनी फसलों को बचाने के लिए भी किसान धुंआ करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किसान अपने खेतों में धुआं क्यों करते हैं ? और वो धुंआ करके अपनी फसलों को कैसे बचाते हैं. 


खेतों में पड़ता है पाला


सर्दियों के समय खेतों में पाला पड़ता है. खेत में पाला पड़ने के कारण तापमान जीरो डिग्री सेंटीग्रेड से भी नीचे चले जाता है.ऐसी स्थिति में पौधों की कोशिकाओं में ठंड के कारण बर्फ जम जाता है, जिस वजह से कोशिकाएं मर जाती हैं. इसलिए पेड़- पौधों को पाले से बचाने के लिए किसान बहुत से पुराने उपाय खेतों में करते हैं. 


पाले से बचाने के उपाय 


खेतों को सर्दियों के मौसम में पाले से बचाने के लिए किसान कई तरह के उपाय करते हैं. इनमें सबसे सफल और उपयोगी उपाय है, खेत के किनारों पर बड़े-बड़े पेड़ जैसे- जामुन, शीशम, बबूल आदि लगाना चाहिए. कुछ सालों के बाद यह पेड़ किसानों के लिए प्रॉपर्टी बन जाते हैं और खेत के लिए वायुरोधी (हवा को रोकने) का काम करते हैं. जो किसान अपने खेत के किनारों पर पेड़ नहीं लगा सकते वह खेतों में धुआं करते हैं. यह उपाय बहुत पुराना और उपयोगी उपाय है. इसीलिए किसान सर्दियों में खेतों में धुंआ करते हैं. 


खेतों में धुआं करने का फायदा


ठंड के समय जब अत्यधिक पाला पड़ता है, उस समय किसान खेतों में धुंआ करते हैं. धुंआ करने से उसकी फसल पाले के प्रभाव से लगभग बच जाती है, क्योंकि धुंआ करने से खेत में हरित गृह प्रभाव (ग्रीन हाउस इफेक्ट) बन जाता है. जिसमें ऊष्मा अंदर तो आ सकती है परंतु उससे बाहर नहीं जा सकती है. इस कारण खेत के अंदर का तापमान बढ़ जाता है और फसलें पाले के प्रभाव बच जाती हैं.


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