यहां मिलता है भरपेट खाना, वो भी बिल्कुल फ्री! भारत के इस शहर में है ये अनोखा कैफे
Free Food: तरफ जहां दुनिया पैसे और व्यापार के पीछे है, वहीं भारत के एक शहर में एक ऐसा कैफे भी है जहां आप फ्री में खाना खा सकते हैं. आइए जानते हैं ये कैफे कैसे काम करता है.
Free food in Seva cafe: GST लागू होने के बाद से रेस्टोरेंट्स में खाना महंगा हो गया है. इसलिए अब लोगों को घर की दाल रोटी ही सुहाती है. खासतौर पर मिडिल क्लास फैमिली के लिए तो एसी रेस्टोरेंट में बैठकर खाना बड़ा मुश्किल हो गया है. अगर हम आपसे कहें कि आप रेस्टोरेंट्स में खाना खाने जाएं और आपको बिल ना देना पड़े तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे. लेकिन यकीन मानिए दुनिया में एक ऐसा रेस्टोरेंट भी है, जहां खाना खाने के बाद आपको बिल नहीं देना पड़ेगा. जी हां, सुनने में शायद आपको यह मजाक लग रहा होगा, क्योंकि भारत में फ्री का खाना सिर्फ किसी के घर, शादी-ब्याह या लंगर में ही खाने को मिलता है. लेकिन यह जानकर आपको और भी ज्यादा हैरानी होगी कि ये फ्री खाना खिलाने वाला रेस्टोरेंट कहीं और नहीं, बल्कि भारत के ही एक शहर में है...
ये बात है भारत में इस शहर की...
गुजरात के अहमदाबाद शहर में गुजराती सेवा कैफे लोगों को फ्री में खाना खिलाता है. यहां आप जमकर खाना खा सकते हैं और वो भी बिना बिल चुकाए, क्योंकि यहां आपका लंच या डिनर किसी अनजान शख्स की तरफ एक तोहफा होता है. पिछले करीब 12 सालों से सेवा कैफे इसी तरह से काम कर रहा है. एक तरफ जहां दुनिया पैसे और व्यापार के पीछे है, वहीं मानव सदन, ग्राम श्री और स्वच्छ सेवा जैसे NGO मिलकर सेवा कैफे चला रहे हैं.
गिफ्ट इकोनॉमी पर चलता है कैफे
ये कैफे गिफ्ट इकॉनमी के मॉडल पर काम करता है. गिफ्ट इकॉनमी का मतलब है कि ग्राहक अपनी मर्जी से पे करते हैं, फिर उनके पैसे से किसी अन्य ग्राहक को फूड सर्व किया जाता है. कैफे के संचालक बताते हैं कि इसे कई वालंटियर्स मिलकर चलाते हैं और हर ग्राहक को प्रेम से खाना खिलाते हैं.
ग्राहक दे जाते हैं ज्यादा पैसे
ये वालंटियर्स खुद को ''मूव्ड बाय लव वालंटियर" कहते हैं. सेवा के बदले इन वालंटियर्स को कैफे की तरफ से तरह-तरह के तोहफे भी मिलते रहते हैं. सेवा कैफे में पहली बार आने वाले कई लोग इस नये मॉडल को नहीं समझ पाते हैं और बिना पेमेंट न करने या फिर कम पेमेंट करने का मूड बना लेते हैं. लेकिन, इस कैफे के माहौल और वालंटियर्स की लगन को देखकर वो कुछ ज्यादा ही पैसे देकर चले जाते हैं.
रोजाना 50 लोगों को खाना खिलाया जाता है
कैफे की एक वालंटियर बताती है कि जब पहली बार वो अपने दोस्तों के साथ इस कैफे में आई थी, तो उन्होंने सोचा था कि खाने के बाद टेबल पर खाली लिफाफा छोड़कर चली जाएंगी. लेकिन कैफे के सेवा भाव को देखकर वो भी कुछ ज्यादा ही पैसे लिफाफे में रख कर गईं. सेवा कैफे गुरुवार से रविवार तक शाम 7 से रात 10 बजे तक खुला रहता है या फिर जब तक 50 मेहमानों को खाना न खिला दिया जाए तब तक खुला रहता है.
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