AK 47 का इस्तेमाल दुनियाभर के सैनिकों और कई अन्य लोगों द्वारा भी किया जाता है. इसे दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसमें एक बार में 30 गोलियां भरी जा सकती हैं. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम AK 47 कैसे पड़ गया? चलिए आज इसके पीछे की दिलचस्प वजह जानेंगे.


कैसे पड़ा AK 47 का नाम?


दुनिया में एक से बढ़कर एक खतरनाक बंदूकें मौजूद हैं. लेकिन जिस बंदूक का नाम सबसे ज्यादा सुनने में आता है वो है ऐके-47 (AK-47). ऐके-47 दुनिया की खतरनाक ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक मशीन गन है, जिसे दुनिया की कई सेनायें इस्तेमाल करती हैं. साथ ही इसका इस्तेमाल आतंकवादी भी बहुत करते हैं. भारतीय सेना में भी इसका इस्तेमाल होता है, वहीं स्पेशल फोर्सेस भी इसका इस्तेमाल करती हैं. हालांकि आम नागरिकों को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती. इसके नाम AK के पीछे 47 जुड़ने की एक दिसचस्प कहानी है.


दरअसल इसका पूरा नाम Automatic Kalashnikov-47 है. जिसमें Kalashnikov नाम इसके आविष्कारक मिखाइल कलाश्निकोव (Mikhail Kalashnikov) के नाम से लिया गया है, क्योंकि ये राफइल साल 1947 में बनी थी. इसलिए AK के बाद इसमें 47 लगाया गया. बता दें कि मिखाइल कलाश्निकोव (Mikhail Kalashnikov) रुस के थे. साल 2013 में 94 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया था. जब मिखाइल कलाश्निकोव रूसी सेना से जुड़े थे उस समय वो टैंक मैकेनिक के रूप में सेना में काम कर रहे थे.


बता दें कि AK-47 दुनिया की सबसे ज्यादा गैरकानूनी तौर पर बिकने वाली राइफल है. इसके साथ ही ये दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली राइफल भी है. इसके लिए इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है.


क्या है AK-47 की खासियत?


इस बंदूक में एक बार में 30 गोलियां भरी जा सकती हैं. वहीं इस बदूंक की नली से गोली छूटने की रफ्तार 710 मीटर प्रति सेकंड होती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बंदूक से एक सेकंड में 6 गोली निकलती हैं, यानी एक मिनट में लगभग 600 राउंड फायर होता है. ये कितनी पावरफुल है इसका इंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ दीवारों, यहां तक की कार के दरवाजे को भी भेद कर उसके पीछे बैठे इंसान को मार सकती है.


इसे चलाने के लिए किसी तरह की खास ट्रेनिंग की जरूरत भी नहीं होती. साथ ही इसकी साफ-सफाई करना और इसे मेंटेन करना भी बहुत आसान होता है. इसका Akm वर्जन इस समय दुनिया का सबसे हल्का राइफल का वर्जन है. बता दें कि फुल लोड होने के बाद भी इसका वजन मात्र 4 किलो होता है. इसके अलावा भी ये बंदूक कई खासियतें रखती है.


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