Alcohol Consumption In India: शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है. ऐसा आपने अलग अलग जगहों पर स्लोगन के रूप में लिखा देखा होगा. अधिक शराब पीने से लिवर डैमेज समेत अन्य बीमारियों के होने का खतरा पैदा हो जाता है. लेकिन इस शराब के पीने से जुड़ा एक फैक्ट और है. यदि कोई प्रेग्नेंट महिला इस शराब का सेवन करती है तो गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. 


गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग की बदल सकती है संरचना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गर्भ में पल रहे बच्चे पर मां के शराब का सेवन क्या असर डालता है. इसको लेकर स्टडी की गई. एमआरआई की इस स्टडी में सामने आया कि ​प्रेगनेंसी के दौरान कम या अधिक शराब पीने से बच्चे के ब्रेन की संरचना में बदलाव आ सकता है. इससे बच्चे के ब्रेन की ग्रोथ तक रुक सकती है. ऐसा होने पर बच्चे में बोलने की परेशानी, व्यवहार संबंधी दिक्कत, सीखने संबंधी समस्या देखने को मिल सकती हैं. इसे फेटल अल्कोहल सिंड्रोम के नाम से जानते हैं. 


क्या है फेटल अल्कोहल सिंड्रोम
प्रेग्नेंट होने पर महिलाओं को बहुत अधिक परहेज करना पड़ता है. शराब भी उन्हीं परहेज में से एक है. लेकिन कुछ महिलाएं ​प्रेगनेंसी के दौरान शराब पीना नहीं छोड़ती हैं. होता यह है कि ​प्रेगनेंसी पीरियड में शराब पीने पर यह प्लेसेंट के जरिए गर्भ तक पहुंच जाता है. पूरी तरह से डेवलप न होेने के कारण गर्भ में अल्कोहल को पचाने की क्षमता नहीं होती. यह अल्कोहल गर्भ मेें जमा होने लगता है. बच्चे के मानसिक विकास को अवरुध करने लगता है. इसे ही फेटल अल्कोहोल सिंड्रोम ( एफएएस) कहा जाता है. इन समस्याओं को बाद में ठीक भी नहीं किया जा सकता है. 


यह लक्षण दिखते हैं
एफएएस होने के बाद बच्चे में कई फिजिकली प्रॉब्लम देखने को मिलती हैं. इसमें वजन कम होना, ग्रोथ कम होना, बच्चे के चेहरे के भावों में कई तरह की परेशानी दिखने लगती हैं. मसलन, आंखो ंका छोटा होना, नाक का उपर उठ जाना,  ऊपरी होठ पतला होना, नाक और ऊपरी होठों के बीच पतली त्वचा का होना शामिल हैं. ब्रेन पूरी तरह से डेवलप न होने से उसका साइज छोटा हो जाता है. 


ये भी पढ़ें-